
मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ ग्रेटर नोएडा
देश भर में बढ़ती पशु क्रूरता, गलत डॉग-बाइट आँकड़ों, रेबीज़ को लेकर फैलाए जा रहे भय और सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेशों के दुष्प्रभावों पर आज ग्रेटर नोएडा के स्वर्ण नगरी प्रेस क्लब में आयोजित विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस में सक्षंय बब्बर टीम ने कई गंभीर तथ्य देश के सामने रखे। संस्था ने इसे “सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं, बल्कि देशव्यापी जागरूकता चेतावनी” बताया।
पशु क्रूरता के मामलों में खतरनाक उछाल—एसिड अटैक, रेप, ज़हर देने जैसे अपराध अब डरावना स्तर पार कर चुके
संस्था ने बताया कि हाल के वर्षों में स्ट्रे एनिमल्स पर हो रहे अपराधों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ी है।
- एसिड अटैक
- रेप
- टॉर्चर
- हिट-एंड-रन
- ज़हर देकर मारने
जैसी घटनाएँ कई शहरों में “अभूतपूर्व स्तर” तक पहुँच चुकी हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इन जघन्य अपराधों पर अक्सर एफआईआर दर्ज तक नहीं होती। जहाँ शिकायत दर्ज होती भी है, वहाँ अपराधियों को केवल ₹50 की मामूली जमानत पर छोड़ दिया जाता है—जो कानून की मौजूदा कमजोरी और अमानवीय उदासीनता को उजागर करता है।
‘गलत आंकड़ों’ का ज़हर—सोशल मीडिया ने बढ़ाया डर, असलियत कहीं ज्यादा कम खतरनाक
टीम ने यह भी बताया कि सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे डॉग-बाइट और रेबीज़ से जुड़े कई आँकड़े भ्रामक, अपुष्ट और अतिशयोक्तिपूर्ण पाए गए हैं।
कई वायरल वीडियो और पोस्ट बाद में झूठे साबित हुए, जबकि सरकारी रिपोर्टें बताती हैं कि—
“देश में रेबीज़ और स्ट्रे जानवरों से जुड़ी घटनाएँ उतनी भयावह नहीं जितना सोशल मीडिया ने दिखाया है।”
संस्था का कहना है कि यह गलत प्रचार समाज में अनावश्यक भय और जानवरों के प्रति हिंसा को बढ़ावा दे रहा है।
11 अगस्त के सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद फीडर्स पर बढ़ रहा उत्पीड़न
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश को कई नगर निकायों ने गलत ढंग से लागू किया।
इसके चलते—
- फीडर्स पर हिंसा,
- धमकी,
- भेदभाव,
- और झूठे आरोपों
की घटनाएँ तेजी से बढ़ीं।
संस्था ने स्पष्ट कहा कि आदेश लागू करने से पहले पशु कल्याण समूहों, वैज्ञानिक संगठनों और विशेषज्ञों को सुना ही नहीं गया, परिणामस्वरूप देशभर में अव्यवस्था फैल गई।

कुत्तों को हटाने का समाधान ‘अव्यवहारिक और असंभव’—देश में शेल्टर, स्टाफ और इंफ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी
कई नगर निगम आदेशों की गलत व्याख्या कर अवैध कुत्ता उठाव कर रहे हैं, जिससे न केवल जानवरों का जीवन संकट में है, बल्कि शहरों में और अधिक तनाव पैदा हो रहा है।
संस्था ने कहा:
“सभी कुत्तों को शेल्टर में रखना या शहर से हटाना वैज्ञानिक रूप से गलत और व्यावहारिक रूप से असंभव है।”
देशभर के केस स्टडी, वीडियो प्रमाण और विस्तारपूर्वक डेटा होंगे पेश
प्रेस कॉन्फ्रेंस में संस्था—
- दिल्ली,
- लखनऊ,
- गुजरात,
- फरीदाबाद
आदि शहरों के केस स्टडी, शिकायत प्रतियां, मेडिकल रिपोर्ट, और डॉग-हेट कैंपेन के सबूत पेश करेगी, ताकि देश को असल स्थिति दिखाई जा सके।
संस्था ने सुझाए पाँच बड़े समाधान
- रिफ्लेक्टिव कॉलर ड्राइव
- वैज्ञानिक Animal Birth Control (ABC) प्रोग्राम
- बड़े पैमाने पर एंटी-रेबीज़ वैक्सीनेशन
- शेल्टर-आधारित एडॉप्शन मॉडल
- करुणा-आधारित शिक्षा सुधार
ये समाधान मानव–जानवर संघर्ष कम करने और वैज्ञानिक पद्धति से स्थिति सुधारने पर केंद्रित हैं।
और रखीं चार बड़ी राष्ट्रीय मांगें
संस्था ने सरकार और न्यायपालिका के सामने चार तत्काल माँगें रखीं—
- सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश को रद्द किया जाए।
- पशु क्रूरता पर कड़े कानून बनाए जाएँ और सख्ती से लागू हों।
- देशभर में पशु क्रूरता मामलों का राष्ट्रीय ऑडिट किया जाए।
- नीति निर्माण में अंतरराष्ट्रीय वेलफेयर संस्थानों और विशेषज्ञों को जोड़ा जाए।

“करुणा, विज्ञान और संवेदनशीलता की ओर लौटने का समय है”—सक्षंय बब्बर टीम
कॉन्फ्रेंस के अंत में संस्था ने कहा कि गलत सूचनाओं, बढ़ती हिंसा और अव्यवस्थित नीतियों के बीच देश को अब मानवता और विज्ञान आधारित दृष्टिकोण अपनाना होगा। यह प्रेस कॉन्फ्रेंस उसी दिशा में एक निर्णायक प्रयास है।