हृदय रोगों से बचाव के लिए विशेष सावधानी बरतना जरूरी : डॉ. आर.पी. सिंह

  मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी” / गौतमबुद्धनगर
महाशय हंसराज हॉस्पिटल दनकौर के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आर.पी. सिंह का कहना है कि बदलती जीवनशैली और खान-पान की बिगड़ी आदतें आज हृदय रोगों की सबसे बड़ी वजह बन गई हैं। एक समय था जब दिल की बीमारी बुजुर्गों तक सीमित मानी जाती थी, लेकिन आज यह बीमारी युवाओं और यहां तक कि बच्चों तक पहुंच चुकी है।


क्यों बढ़ रहे हैं हृदय रोग?

डॉ. सिंह बताते हैं कि आजकल लोगों का जीवन बहुत आरामतलब हो गया है।

  • पहले लोग शारीरिक श्रम और मेहनत से जुड़े रहते थे, लेकिन अब ज्यादातर समय मोबाइल, लैपटॉप या दफ्तर में कुर्सी पर बीतता है।
  • शरीर से पसीना नहीं निकलता, जिससे ब्लड प्रेशर और शुगर जैसी बीमारियां बढ़ती हैं।
  • यही बीमारियां आगे चलकर हार्ट अटैक और अन्य कार्डियक प्रॉब्लम्स की वजह बनती हैं।

उन्होंने बताया कि खासतौर पर डायबिटीज (शुगर) हृदय रोग का सबसे बड़ा कारक है। गलत खान-पान और जंक फूड की अधिकता से डायबिटीज तेजी से फैल रही है, जिससे हृदय पर खतरा कई गुना बढ़ जाता है।


हृदय रोग से बचाव के उपाय

डॉ. सिंह का मानना है कि बचाव ही सबसे बड़ी दवा है। यदि लोग अपनी जीवनशैली में थोड़े से बदलाव कर लें, तो हृदय रोगों से आसानी से बचा जा सकता है। उन्होंने सुझाव दिए :

  • सुबह-शाम की सैर और नियमित व्यायाम
    रोजाना कम से कम 30 मिनट तेज चाल से चलना या हल्की कसरत करना दिल को स्वस्थ रखता है।
  • जंक फूड और तैलीय भोजन से दूरी
    बर्गर, पिज्जा, कोल्ड ड्रिंक जैसी चीजें शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं। इसके बजाय घर का सादा, पौष्टिक और संतुलित भोजन अपनाना चाहिए।
  • तनाव से बचाव और पर्याप्त नींद
    तनाव और नींद की कमी दिल पर दबाव डालती है। योग, ध्यान और समय पर आराम से हृदय रोगों का खतरा कम होता है।
  • नियमित हेल्थ चेकअप
    30 वर्ष से ऊपर के लोगों को साल में कम से कम एक बार ब्लड प्रेशर, शुगर और ईसीजी की जांच करानी चाहिए।

युवाओं और बच्चों पर भी खतरा

डॉ. सिंह ने चिंता जताई कि पहले हृदय रोग 50–60 साल की उम्र में देखने को मिलते थे, लेकिन अब 20–25 साल के युवा और यहां तक कि किशोर भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। इसका सीधा कारण फास्ट फूड कल्चर, शारीरिक मेहनत से दूरी और डिजिटल लाइफस्टाइल है।


डॉ. सिंह की अपील

अंत में डॉ. आर.पी. सिंह ने कहा –
“दिल को स्वस्थ रखना किसी दवा से नहीं, बल्कि अनुशासित जीवनशैली से संभव है। यदि लोग सही खान-पान, नियमित व्यायाम और समय पर स्वास्थ्य जांच को आदत बना लें, तो हृदय रोगों से आसानी से बचा जा सकता है।”

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