
दनकौर पीएचसी परिसर में हुए हादसे को लेकर विद्युत विभाग की लापरवाही पर उठे सवाल

मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ गौतमबुद्धनगर
दनकौर कस्बे के बड़ा मोहल्ला निवासी पूजा पत्नी श्री संजीव का 9 वर्षीय बेटा कृष, दिनांक 21 जुलाई 2025 को एक दर्दनाक हादसे का शिकार हो गया। कृष स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) परिसर में खेल रहा था, जहां बिना सुरक्षा व्यवस्था के रखा गया ट्रांसफार्मर उसकी जिंदगी पर भारी पड़ गया। मासूम को खुले पड़े बिजली के नंगे तारों से करंट लग गया जिससे वह गंभीर रूप से झुलस गया।
परिजनों ने उसे तत्काल सफदरजंग अस्पताल दिल्ली में भर्ती कराया, जहां संक्रमण फैलने के कारण चिकित्सकों को उसका एक हाथ काटना पड़ा। यह हादसा जहां एक ओर एक बच्चे का भविष्य प्रभावित कर गया, वहीं विद्युत विभाग की सुरक्षा व्यवस्था पर भी कई सवाल खड़े करता है।
पीड़िता ने की शिकायत, आयोग ने लिया संज्ञान
घटना के बाद पीड़ित बालक की मां पूजा ने दिनांक 23 जुलाई 2025 को संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले की सूचना पुलिस को भी दी गई थी। मामला अनुसूचित जाति समुदाय से जुड़े पीड़ित परिवार से संबंधित है। शिकायत के आधार पर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने इस पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड, जिला प्रशासन और पुलिस विभाग से 15 दिनों में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
क्या कहा आयोग ने
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग द्वारा भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत प्राप्त शक्तियों के अनुसार आयोग इस पूरे प्रकरण की गहराई से जांच करेगा। आयोग ने संबंधित पक्षों से घटना की तिथि, पीड़ित का विवरण, की गई कार्रवाई, एफआईआर की स्थिति, संभावित अभियुक्तों के नाम, और मुआवजे की स्थिति जैसे सभी बिंदुओं पर विस्तृत तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है।
प्रशासन से न्याय की अपेक्षा
परिवार और स्थानीय लोगों की ओर से यह अपील की जा रही है कि मासूम कृष को न्याय दिलाने के लिए प्रशासनिक स्तर पर यथासंभव सहयोग और सहायता प्रदान की जाए। साथ ही भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सार्वजनिक स्थलों पर रखे ट्रांसफार्मरों की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
Vision Live News की अपील
- विद्युत विभाग द्वारा घटना की जवाबदेही तय की जाए।
- पीड़ित परिवार को तत्काल उचित मुआवजा व पुनर्वास सहायता दी जाए।
- ऐसे सभी स्थानों पर सुरक्षा मानकों की तत्काल समीक्षा व सुधार हो।
- आयोग की सिफारिशों के अनुसार न्यायिक प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए।
यह घटना हमें याद दिलाती है कि सार्वजनिक सुरक्षा की अनदेखी किस हद तक जिंदगी को बदल सकती है। अब समय है कि सिस्टम संवेदनशीलता दिखाए और मासूम कृष के भविष्य की भरपाई की जाए।
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