रुद्राभिषेक पूजा: भगवान रुद्र की आराधना का पावन अनुष्ठान


अलौकिक लाभों से युक्त, शांति, समृद्धि और कल्याण का मार्ग – बता रहे हैं महामंडलेश्वर आचार्य अशोकानंद जी महाराज, पीठाधीश्वर – बिसरख धाम (रावण जन्म स्थली)


महामंडलेश्वर आचार्य “अशोकानंद “जी महाराज
हिंदू धर्म में भगवान शिव के रौद्र स्वरूप “रुद्र” की उपासना के लिए रुद्राभिषेक पूजा को सर्वोच्च और अत्यंत पवित्र अनुष्ठान माना गया है। महामंडलेश्वर आचार्य अशोकानंद जी महाराज, पीठाधीश्वर – बिसरख धाम (रावण जन्म स्थली) के अनुसार यह पूजा समस्त प्रकार की बाधाओं, पापों, रोगों और कष्टों से मुक्ति प्रदान करती है तथा आध्यात्मिक और सांसारिक कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है।


🔱 रुद्राभिषेक पूजा का भावार्थ और महत्व

भगवान शिव के अनेक रूपों में “रुद्र” उनका क्रोध और संहार का रूप है, जो अधर्म, अन्याय और अज्ञान का विनाश करता है। रुद्राभिषेक पूजा में भगवान शिव के 108 दिव्य नामों का जाप करते हुए शिवलिंग का अभिषेक विविध पवित्र द्रव्यों से किया जाता है – जैसे जल, दूध, शहद, दही, घी, पंचामृत, गंगाजल आदि।

शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान श्रीराम ने भी समुद्र पार करने से पूर्व रामेश्वरम में रुद्राभिषेक कर भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त किया था।


🌿 रुद्राभिषेक का विधि-विधान

रुद्राभिषेक की प्रक्रिया में विशेष मंत्रों, रुद्राष्टाध्यायी, शिव चालीसारुद्र चमक का जाप किया जाता है। पवित्र कलशों में जल भरकर उसमें गंगा, यमुना, नर्मदा, सरस्वती, कावेरी आदि नदियों का आवाहन किया जाता है।
पूजा में प्रयुक्त सामग्री में शामिल हैं –

  • दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल
  • चंदन, बेलपत्र, सफेद पुष्प, काले तिल
  • चावल, धतूरा, भांग, गन्ने का रस आदि

यह पूजा विशेष रूप से श्रावण मास, कार्तिक मास, महाशिवरात्रि, तथा सोमवार के दिन अत्यंत फलदायी मानी जाती है।


🕉️ रुद्राभिषेक के लाभ

महामंडलेश्वर अशोकानंद जी महाराज के अनुसार, रुद्राभिषेक निम्नलिखित दिव्य लाभ प्रदान करता है:

  • शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शांति
  • पापों से मुक्ति और जीवन की बाधाओं का नाश
  • रोग, शोक और दरिद्रता से मुक्ति
  • वैवाहिक व पारिवारिक जीवन में सुख-शांति
  • मनोकामनाओं की पूर्ति और मोक्ष की प्राप्ति

🔔 विशेष सावधानियाँ

  • शिवलिंग का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए
  • भक्त को पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करनी चाहिए
  • यह पूजा योग्य ब्राह्मण अथवा पुरोहित के सान्निध्य में करना श्रेयस्कर होता है

🪔 वेदों में मान्य परम आध्यात्मिक अनुष्ठान

रुद्राभिषेक को वेदों में सबसे शुद्ध और प्रभावशाली साधना माना गया है। यह न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि मानव जीवन के समस्त पक्षों को संतुलित करने का एक दैवीय उपाय है।


ॐ नमः शिवाय
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✍️ प्रेषक एवं मार्गदर्शक
महामंडलेश्वर आचार्य अशोकानंद जी महाराज
अध्यक्ष एवं पीठाधीश्वर
बिसरख धाम (रावण जन्म स्थली), गौतमबुद्ध नगर


⚖️ कानूनी अस्वीकरण (Legal Disclaimer):

यह लेख धार्मिक मान्यताओं, ग्रंथों एवं वैदिक परंपराओं पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी सामान्य जन जागरूकता हेतु प्रस्तुत की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी आध्यात्मिक अनुष्ठान को करने से पूर्व योग्य एवं प्रमाणित आचार्य या पुरोहित की सलाह अवश्य लें। लेख का उद्देश्य किसी भी धार्मिक या आध्यात्मिक मान्यता को बढ़ावा देना या बाधित करना नहीं है।


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