मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब में विस्थापन को लेकर बोडाकी में संघर्ष समिति सक्रिय, ग्रामीणों ने उठाई पुनर्वास व मुआवजे की मांग

मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ गौतमबुद्धनगर

गौतमबुद्धनगर के ग्राम बोडाकी में प्रस्तावित मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब (MMTH) परियोजना को लेकर ग्रामीणों में गहरी चिंता और असंतोष का माहौल है। इस महत्त्वाकांक्षी रेलवे परियोजना के लिए चल रही भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में बोडाकी के कई घर और पुश्तैनी आबादी प्रभावित हो रही है, जिसे लेकर स्थानीय ग्रामीणों ने “एमएमटीएच विस्थापन पुनर्वास संघर्ष समिति” का गठन कर अपनी मांगों को लेकर संघर्ष तेज कर दिया है।

संघर्ष समिति के अध्यक्ष एवं अधिवक्ता राजीव भाटी ने जिला अधिकारी गौतमबुद्धनगर को प्रेषित ज्ञापन के माध्यम से विस्थापित ग्रामीणों के लिए ठोस पुनर्वास नीति की मांग की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक ग्रामीणों को वैकल्पिक भूखंड और वाजिब मुआवजा सुनिश्चित नहीं किया जाता, तब तक वे किसी भी सर्वेक्षण कार्य की अनुमति नहीं देंगे।

ग्रामीणों की प्रमुख मांगें:

  1. पुनर्वास हेतु वैकल्पिक भूखंड: अधिग्रहण की जा रही आबादी की जगह ग्रामवासियों को नियोजित सेक्टर में समुचित भूखंड आवंटित किए जाएं।
  2. धरौनी सर्वे की मांग: चूंकि गांव ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण क्षेत्र में आता है, इसलिए अधिग्रहण से पूर्व हर मकान का मौके पर धरौनी सर्वे कराकर उसे वैधानिक रूप से मान्यता दी जाए।
  3. परियोजना का नाम स्थानीय पहचान से जुड़ा रहे: प्रस्तावित टर्मिनल का नाम “ग्रेटर नोएडा बोडाकी टर्मिनल” रखा जाए, क्योंकि स्टेशन का पुराना नाम पहले से बोडाकी है।
  4. प्रत्येक बालिग को रोजगार: प्रभावित हर बालिग ग्रामीण को परियोजना में योग्यता के अनुसार रोजगार दिया जाए।
  5. बिचौलियों से बचाव: किसी भी दलाल या अपंजीकृत प्रतिनिधि से वार्ता न की जाए, प्रशासन सीधे गांव आकर ग्रामीणों से संवाद करे।
  6. मौजूदा बाजार दर पर मुआवजा: प्रभावित भूमि एवं मकानों का मुआवजा वर्तमान बाजार दर पर सुनिश्चित किया जाए।
  7. प्राचीन मंदिर का संरक्षण: गांव के ऐतिहासिक मंदिर को अन्यत्र स्थानांतरित करते समय उसे उचित भूमि आवंटित कर सौंदर्यीकरण कराया जाए।

इस ज्ञापन में एडवोकेट मनोज भाटी (पूर्व अध्यक्ष, बार एसोसिएशन), मोहित भाटी (लुहारली), विनीत यादव (जिलाध्यक्ष, अधिवक्ता सभा), नीरज दुजाना, श्यामवीर नागर, बलराज भाटी, विपिन भाटी सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण अधिवक्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के हस्ताक्षर मौजूद थे।

राजीव भाटी, एडवोकेट एवं अध्यक्ष, एमएमटीएच संघर्ष समिति ने दो टूक कहा, “यह हमारी पुश्तैनी जमीन है, जिसे बिना पुनर्वास की स्पष्ट व्यवस्था के हम नहीं छोड़ सकते। हमारी लड़ाई न्याय और अधिकार के लिए है, किसी विकास परियोजना के विरोध के लिए नहीं।”

वहीं संघर्ष समिति के महासचिव एडवोकेट अरुण भाटी ने भी प्रशासन को चेतावनी दी कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जातीं, तब तक गांव में कोई सरकारी कार्य नहीं होने दिया जाएगा।

इस पूरे घटनाक्रम में ग्रामीणों की एकता और संगठित आवाज यह दर्शाती है कि विकास परियोजनाओं को जनहित में लागू करने के लिए पारदर्शिता, संवाद और संवेदनशीलता बेहद आवश्यक है। अब देखना होगा कि प्रशासन ग्रामीणों की मांगों पर कितनी गंभीरता से विचार करता है।

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