
मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ गौतमबुद्धनगर
चिश्तिया लुत्फिया दरगाह शरीफ, ऊँची दनकौर पर सूफी संत हज़रत बाबा शाह फिरोज चिश्ती रहमतुल्लाह अलैहि के 448वें कुल शरीफ एवं हजरत क़ुतुबुल मशाइख, आशिके-ख्वाजगान, अल्हाज मौलाना मोहम्मद लुत्फुल्लाह शाह चिश्ती निज़ामी रहमतुल्लाह अलैहि के 81वें कुल शरीफ के अवसर पर तीन दिवसीय सालाना उर्स मुबारक पूरे अकीदत और एहतराम के साथ मनाया गया।

उर्स का कार्यक्रम और सूफियाना रंग
उर्स की शुरुआत 11 जून 2025, बुधवार को सराय वाली मस्जिद, लम्बा बाज़ार, दनकौर से चादर शरीफ के जुलूस के साथ हुई, जो दरगाह शरीफ तक पहुँची। मज़ारे पाक पर चादरपोशी और गुलपोशी के बाद मिलाद शरीफ एवं रात 10 बजे से महफिल-ए-कव्वाली का आयोजन हुआ, जो सुबह तक जारी रही।
12 जून, गुरुवार की रात तक़रीर, मिलाद और शमा महफिल का आयोजन हुआ जिसमें देश के नामी कव्वालों ने अपनी पेशकश से श्रद्धालुओं को सूफियाना रंग में डुबो दिया।
13 जून, शुक्रवार को फज्र की नमाज के बाद कुरआन ख्वानी हुई और फिर सुबह 11 बजे कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। इसके बाद रात 10 बजे मिलाद शरीफ एवं कव्वाली की रूहानी महफिल हुई।

मशहूर कव्वालों ने बिखेरा सूफियाना रंग
महफिल-ए-कव्वाली में देशभर से आए मशहूर कव्वालों ने भाग लिया, जिनमें शामिल थे:
शमीम अनवर कव्वाल
वारिस साबरी ‘घुंघरू वाले’
इरफान कव्वाल
इकरामुद्दीन कव्वाल
मंज़ूर कव्वाल
इन सभी कलाकारों की पेशकशों ने उपस्थित अकीदतमंदों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

खुशनसीब मेहमानों की शिरकत
इस मौके पर सूफी परंपरा से जुड़े देशभर के गणमान्य अतिथि शामिल हुए। प्रमुख नामों में शामिल रहे:
बाबुद्दीन (सिकंदराबाद)
शाह हुसैन (सिकंदराबाद)
सैयद ताजुद्दीन मिस्कीनी (मुतवल्ली दरगाह, सिकंदराबाद)
खलीफा सूफी रियाज़ुद्दीन (जहांगीरपुर)
सूफी रहीसुद्दीन (धनपुरा)
डॉ. जहीर साहब (सिकंदराबाद)
हाजी इस्लामुद्दीन अब्बासी (गाज़ियाबाद)
राजू मुतवल्ली, मंजू ड्राइवर, सहीद्दीन लुत्फी, समीर लुत्फी व अन्य गणमान्य व्यक्ति

सज्जादा नशीन की ओर से संदेश
दरगाह के सज्जादा नशीन पीर फज़लु रहमान लुत्फी हमीदी चिश्ती निजामी ने सभी अकीदतमंदों को शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि—
“इलाही लुत्फ ही अंजाम हो, शाह लुत्फुल्लाह मुर्शीद रहनुमा के वास्ते। निगाहे वली में वो तासीर देखी, बदलती हज़ारों की तक़दीर देखी।”

सूफियाना एकता और अमन की दुआ
तीनों दिन चले इस पाक मौके पर मुल्क में अमन, भाईचारे और इंसानियत की सलामती के लिए विशेष दुआएं मांगी गईं। दरगाह शरीफ पर बड़ी संख्या में जायरीन की आमद रही और लंगर-ए-आम का भी आयोजन किया गया।