महिलाओं में अधिक संवेदनशील थायराइड: लक्षणों की अनदेखी न करें

विश्व थायराइड दिवस पर विशेष रिपोर्ट



हाइपरथायरायडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म के फर्क को समझना, बचाव और जांच जरूरी

मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ ग्रेटर नोएडा
थायराइड एक छोटी-सी ग्रंथि है, लेकिन इसका असंतुलन पूरे शरीर को प्रभावित कर सकता है। गर्दन के सामने स्थित यह तितली के आकार की ग्रंथि हमारे मेटाबॉलिज्म, ऊर्जा स्तर, तापमान और यहां तक कि मानसिक स्वास्थ्य तक को नियंत्रित करती है। विश्व थायराइड दिवस पर यह समझना जरूरी है कि महिलाओं में यह रोग क्यों अधिक होता है और इसके लक्षणों की समय रहते पहचान क्यों जरूरी है।

डॉ. प्रमिला रामनिस बैथा, डायरेक्टर, इंटरनल मेडिसिन, फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा, बताती हैं कि थायराइड संबंधी रोगों में मुख्यतः दो प्रकार होते हैं—

हाइपरथायरायडिज्म: जब थायराइड ग्रंथि अत्यधिक हार्मोन बनाती है।

हाइपोथायरायडिज्म: जब हार्मोन निर्माण बेहद कम हो जाता है।

इन दोनों अवस्थाओं के लक्षण अलग-अलग होते हैं, लेकिन दोनों ही शरीर की कार्यप्रणाली को गहराई से प्रभावित कर सकते हैं।

महिलाएं क्यों अधिक प्रभावित?

डॉ. प्रमिला के अनुसार, महिलाओं में हार्मोनल बदलाव (जैसे गर्भावस्था, प्रसव, रजोनिवृत्ति) और ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (जैसे हाशिमोटो या ग्रेव्स डिजीज) का खतरा अधिक होता है। यही कारण है कि महिलाएं थायराइड रोग की सबसे संवेदनशील श्रेणी में आती हैं।
आनुवांशिक इतिहास, आयोडीन की कमी, रेडिएशन एक्सपोजर और कुछ दवाएं भी जोखिम बढ़ाते हैं।

सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण लक्षण

वजन का तेजी से घटना या बढ़ना

लगातार थकान, कमज़ोरी

हाथ-पैरों में कंपन या अकड़न

बालों का झड़ना, त्वचा का रूखापन

मासिक धर्म में अनियमितता

गले में सूजन या गांठ (गॉइटर)

कब्ज या दस्त

अवसाद या चिड़चिड़ापन

हाइपर बनाम हाइपो: पहचानें फर्क

हाइपरथायरायडिज्म में लक्षण अधिक तीव्र होते हैं। यदि समय पर इलाज न हो तो थायराइड स्टॉर्म जैसी घातक स्थिति हो सकती है। जबकि हाइपोथायरायडिज्म में लक्षण धीमे-धीमे उभरते हैं, लेकिन यह भी गंभीर रूप ले सकता है—जैसे माइक्सिडीमा कोमा।

क्या हैं बचाव के उपाय?

आयोडीन युक्त नमक और संतुलित आहार का सेवन करें

पत्तागोभी, सोया, सरसों जैसे गॉइट्रोजनिक खाद्य पदार्थों से परहेज करें

थकान या वजन जैसे लक्षणों को हल्के में न लें

जिनके परिवार में थायराइड रोग रहा हो, वे नियमित जांच कराएं

गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से जांच करवानी चाहिए

सिर्फ दवा नहीं, जागरूकता भी जरूरी

थायराइड का उपचार संभव है, बशर्ते समय पर पहचान हो। सरकार और चिकित्सा संस्थानों को जन-जागरूकता अभियानों, आयोडीन युक्त आहार के प्रचार और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच सुविधाएं उपलब्ध कराने की दिशा में लगातार प्रयास करने होंगे।

अंतिम संदेश

थायराइड कोई जानलेवा रोग नहीं, लेकिन अनदेखी इसकी जटिलताओं को बढ़ा सकती है। यदि आपके शरीर में लंबे समय से असामान्य लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो इसे बढ़ती उम्र या तनाव का नाम न दें। तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श लें और नियमित जांच कराएं।

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