
नोएडा साइबर क्राइम पुलिस ने 2.39 करोड़ की ठगी करने वाले गिरोह के दो शातिर अभियुक्त मुरादाबाद से किए गिरफ्तार
— डिजिटल अरेस्ट कर खुद को पुलिस अधिकारी बताकर की गई करोड़ों की ठगी, 30 से अधिक राज्यों में दर्ज हैं मामले
ठगी का तरीका: ‘डिजिटल अरेस्ट’ और पुलिस अधिकारी बनकर डराने की साजिश

मौहम्मद इल्यास- दनकौरी” / गौतमबुद्धनगर
नोएडा साइबर क्राइम थाना पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए डिजिटल अरेस्ट के माध्यम से एक व्यक्ति से ₹2,39,16,700 की ठगी करने वाले दो साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अभियुक्तों के नाम मुकेश सक्सेना और अनीस अहमद हैं, जिन्हें मुरादाबाद से दबोचा गया। यह कार्यवाही 15 मई 2025 को गुप्त सूचना और लोकल इंटेलिजेंस के आधार पर की गई।
डीसीपी साइबर क्राइम, श्रीमती प्रीति यादव ने बताया कि वादी द्वारा 18 मार्च 2025 को थाना साइबर क्राइम नोएडा में एफआईआर दर्ज कराई गई थी (मु.अ.सं. 0019/2025, धारा 308(2), 319(2), 318(4) बीएनएस व आईटी एक्ट की धारा 66डी के अंतर्गत)। आरोपी खुद को पुलिस अधिकारी बताकर और मानव तस्करी जैसे गंभीर आरोपों में फँसाने की धमकी देकर वादी से डर के माहौल में मोटी रकम वसूलते थे।
गिरफ्तार अभियुक्तों की पहचान
- मुकेश सक्सेना पुत्र शिवराज सक्सेना
निवासी: श्री कृष्णा कॉलोनी, चंद्रनगर, थाना सिविल लाइन, जनपद मुरादाबाद
उम्र: 50 वर्ष - अनीस अहमद पुत्र नसीर अहमद
निवासी: धीमरी रोड, करुला, थाना कटघर, जनपद मुरादाबाद
उम्र: 39 वर्ष
पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे
अभियुक्त मुकेश ने बताया कि वह मुरादाबाद में अकाउंट्स का कार्य करता है और आर्थिक तंगी के चलते वह अनीस अहमद के संपर्क में आया। अनीस ने उसे फर्जी करंट अकाउंट खुलवाकर अन्य साइबर अपराधियों तक पहुँचाने का माध्यम बनाया। मुकेश के खाते में ठगी के ₹18 लाख ट्रांसफर हुए जिन्हें बाद में आपस में बांट लिया गया।
कई राज्यों में फैला है नेटवर्क
अनीस अहमद:
- बैंक खाते से ₹12 करोड़ की ठगी का पता चला है।
- 15 शिकायतें NCRP पोर्टल पर दर्ज हैं।
- दिल्ली – 1, झारखंड – 1, महाराष्ट्र – 1, पंजाब – 1, राजस्थान – 2, तमिलनाडु – 6, तेलंगाना – 3
मुकेश सक्सेना:
- बैंक खाते से ₹2 करोड़ की साइबर ठगी के सबूत मिले।
- 18 शिकायतें NCRP पर दर्ज हैं।
- दिल्ली – 1, महाराष्ट्र – 4, राजस्थान – 2, तमिलनाडु – 2, तेलंगाना – 1, आंध्र प्रदेश – 1, कर्नाटक – 2, उत्तर प्रदेश – 3, पश्चिम बंगाल – 3
अब तक की रिकवरी:
वादी के खाते से ठगी गई रकम में से ₹6,72,237 की राशि फ्रीज़ कर दी गई है, जिसकी रिफंड प्रक्रिया प्रचलन में है।
साइबर जागरूकता के सुझाव (सावधानी ही सुरक्षा है)
- अज्ञात WhatsApp/वीडियो कॉल पर विश्वास न करें, विशेषकर जब कॉल करने वाला खुद को पुलिस या किसी एजेंसी का अधिकारी बताए।
- Google या सरकारी वेबसाइट पर जांचें कि कॉलर वाकई किसी सरकारी विभाग से है या नहीं।
- किसी अनजान पार्सल या आधार/फोन नंबर मिलने की बात पर विश्वास न करें – यह साइबर ठगी का तरीका हो सकता है।
- अगर बैंक खाता खोलने, हवाला, मनी लॉन्ड्रिंग आदि का जिक्र हो, तो तुरंत सतर्क हों और बैंक से संपर्क करें।
- कोई Clearance Certificate माँगे तो सावधान हो जाएं – यह साइबर अपराधियों की स्क्रिप्ट होती है।
- कॉल के माध्यम से डराने या धमकाने पर घबराएं नहीं, तुरंत अपने परिजनों और नजदीकी थाने को सूचित करें।
- अपने आधार, बैंक खाते और ओटीपी जैसी जानकारी किसी से भी साझा न करें।

सचेत रहें- सुरक्षित रहें
नोएडा साइबर क्राइम पुलिस की यह कार्रवाई डिजिटल ठगी के एक संगठित नेटवर्क का पर्दाफाश है। आम नागरिकों को सचेत रहने और ऐसे कॉल या संदेशों की सत्यता की जांच करने की सख्त आवश्यकता है। पुलिस विभाग आमजन से आग्रह करता है कि यदि इस तरह की कोई भी कॉल आए तो इसकी सूचना तत्काल साइबर अपराध पुलिस की शाखा को दें।