दिल्ली मेरी जान, इंसानियत की पहचान” — एक अनजाना हादसा और तीन फ़रिश्तों की छाया में बचा एक जीवन

मौहम्मद इल्यास-“दनकौरी”/नई दिल्ली
कभी-कभी ज़िंदगी हमें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है, जहाँ एक पल की चूक सब कुछ बदल सकती है। लेकिन जब उस क्षण कोई अनजाना चेहरा आपकी ढाल बन जाए, तो वह इंसान नहीं, ईश्वर का ही रूप लगता है।
25 अप्रैल 2025 की दोपहर, भगवत प्रसाद शर्मा — भाजपा ग्रेटर नोएडा के पूर्व मीडिया एग्जीक्यूटिव — दिल्ली मेट्रो से नोएडा बॉटनिकल गार्डन जा रहे थे। मेट्रो की तेज़ रफ्तार और भीड़भाड़ के बीच उन्होंने गलती से वैशाली जाने वाली ट्रेन पकड़ ली। जैसे ही उन्हें यह अहसास हुआ, वे यमुना बैंक स्टेशन पर उतरने लगे।

लेकिन वह एक पल… जिसने सब कुछ बदल दिया।
उतरते हुए जैसे ही भगवत प्रसाद मेट्रो के गेट से बाहर निकलने लगे, उसी समय गेट तेज़ी से बंद हो गया। वो किसी तरह बाहर तो निकल गए, लेकिन उनका एक पैर दरवाज़े में फँस गया। और अगले ही पल, वो ज़ोर से प्लेटफ़ॉर्म पर गिर पड़े — घुटना, कोहनी और कूल्हा बुरी तरह ज़ख्मी हो गए। दर्द असहनीय था। डर और बेबसी ने उन्हें जकड़ लिया था।

लेकिन तभी तीन फ़रिश्ते आ पहुँचे — एक दीदी और उनकी दो बेटियाँ।
उन्होंने बिना एक पल गंवाए मेट्रो स्टाफ की मदद से दरवाज़ा खुलवाया, भगवत प्रसाद का पैर बाहर निकलवाया और उन्हें उठा कर एक सुरक्षित स्थान पर बैठाया। उनके जख्मों को सहलाया, उन्हें पानी पिलाया और दर्द कम करने के लिए उनके शरीर को धीरे-धीरे दबाते रहे। यह सब तब तक चलता रहा, जब तक मेट्रो की मेडिकल टीम वहाँ नहीं पहुँची।

भगवत प्रसाद की आँखों में आँसू थे — दर्द के नहीं, कृतज्ञता के।
“मैं उनका नाम नहीं जानता, लेकिन उनका चेहरा आज भी मेरे दिल में रोशनी की तरह चमक रहा है। वे कोई साधारण महिलाएँ नहीं थीं, ईश्वर ने उन्हें मेरी रक्षा के लिए भेजा था। मैं उनका नाम जानना चाहता हूँ, उन्हें धन्यवाद नहीं, प्रणाम करना चाहता हूँ… उनके चरण स्पर्श करना चाहता हूँ,” — यह कहते हुए उनकी आवाज़ भर आती है।

एक सज्जन पुरुष और मेट्रो मेडिकल टीम ने भी तत्परता से सहायता की, जिनका भी उन्होंने हार्दिक आभार व्यक्त किया।

यह घटना केवल एक हादसा नहीं, इंसानियत की एक अमिट मिसाल है — जहाँ भीड़ में भी कोई आपकी सुध लेता है, जहाँ दिल्ली जैसे महानगर में भी दिल धड़कते हैं मदद के लिए।

आज भगवत प्रसाद सोशल मीडिया के माध्यम से उन अनजाने फ़रिश्तों को ढूँढ रहे हैं, ताकि उनके आशीर्वाद और करुणा के प्रति जीवनभर का धन्यवाद व्यक्त कर सकें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate

can't copy

×