
59वां आईएचजीएफ दिल्ली मेला – स्प्रिंग 2025, तीसरा दिन, इंडिया एक्सपो सेंटर, ग्रेटर नोएडा

मौहम्मद इल्यास – “दनकौरी” / ग्रेटर नोएडा
59वें आईएचजीएफ दिल्ली मेला – स्प्रिंग 2025 के तीसरे दिन इंडिया एक्सपो सेंटर, ग्रेटर नोएडा में व्यापारिक हलचल चरम पर रही। सस्टेनेबिलिटी को केंद्र में रखते हुए देशभर के 3000 से अधिक प्रदर्शकों ने अपने इनोवेटिव और पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों की व्यापक रेंज पेश की, जिसने न सिर्फ विदेशी बल्कि घरेलू खरीदारों को भी गहरी रुचि और भरोसे के साथ जोड़ा।
प्रदर्शनी में विविधता और सृजनात्मकता का संगम
प्रदर्शनी हॉल्स में प्राकृतिक कच्चे माल, हस्तनिर्मित तकनीकों और क्षेत्रीय कलाओं से सजे उत्पादों की भरमार रही। 900 स्थायी शोरूम्स में प्रदर्शकों ने लाइव डेमो और थीम आधारित प्रस्तुतियों के माध्यम से शिल्प की आत्मा को जीवंत किया। विशेष रूप से पुनर्चक्रण योग्य और जैविक सामग्री से बने होम डेकोर, फैशन एक्सेसरीज और फर्नीचर संग्रह ने खरीदारों को आकर्षित किया।
प्रशासनिक स्तरीय सहभागिता और सराहना
वस्त्र मंत्रालय की सचिव नीलम शमी राव और विकास आयुक्त (हस्तकरघा) एम. बीना ने मेले का दौरा कर प्रदर्शकों के साथ संवाद किया और इस आयोजन की भूरी-भूरी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह आयोजन न केवल भारत की पारंपरिक हस्तकला को प्रदर्शित करता है, बल्कि वैश्विक बाजार में इसकी उपयुक्तता और प्रतिस्पर्धात्मकता को भी स्थापित करता है।

तेज़ रफ्तार बिजनेस और सकारात्मक माहौल
ईपीसीएच चेयरमैन दिलीप बैद ने कहा कि मेला इस समय अपनी पूरी गति पर है और बड़ी संख्या में ऑर्डर पहले ही फ़ाइनल हो चुके हैं। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय खरीदार अपने भरोसेमंद प्रदर्शकों से नए कलेक्शन की तलाश में हैं और कई नए कारोबारी रिश्ते भी बनते दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा, “सस्टेनेबिलिटी अब नारा नहीं, व्यापार की ज़रूरत बन चुकी है।”
ईपीसीएच के मुख्य सलाहकार और आईईएमएल अध्यक्ष राकेश कुमार ने बताया कि पारंपरिक खरीदारों के साथ-साथ युवा और नई पीढ़ी के कारोबारी भी मेले में सक्रिय हैं। “यह आयोजन निर्यातकों के लिए नए अवसर और नेटवर्किंग का एक जीवंत मंच बन चुका है,” उन्होंने कहा।
सस्टेनेबिलिटी बूथ बना चर्चा का केंद्र
ईपीसीएच उपाध्यक्ष नीरज खन्ना के अनुसार, “सस्टेनेबिलिटी बूथ में रीसाइकल और प्राकृतिक सामग्रियों पर आधारित डिजाइनों ने जिम्मेदार मैन्युफैक्चरिंग के नए मानक तय किए हैं।” मिट्टी, जूट, बांस, पुन: उपयोग की गई धातु और अन्य प्राकृतिक स्रोतों से बने उत्पादों ने खरीदारों के बीच गहरी रुचि पैदा की।
वर्कशॉप और फैशन शो ने बढ़ाया आकर्षण
ईपीसीएच उपाध्यक्ष (II) सागर मेहता ने जानकारी दी कि विज़ुअल मर्चेंडाइजिंग पर आधारित अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ की वर्कशॉप “द आर्ट ऑफ अट्रैक्शन” ने प्रदर्शकों को आकर्षक स्टॉल डिज़ाइन और खरीदार मनोविज्ञान को समझने में मदद की। एआई आधारित उत्पाद डिज़ाइन, साइबर सुरक्षा और निर्यात प्रक्रियाओं में डिजिटल एकीकरण पर आधारित सेमिनारों को भी खूब सराहना मिली। फैशन शो में कारीगरों द्वारा तैयार किए गए परिधानों और गहनों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
लाइव क्राफ्ट प्रदर्शन बने वैश्विक आकर्षण
मेले की स्वागत समिति के अध्यक्ष निर्मल भंडारी ने बताया कि मधुबनी पेंटिंग, सिक्की घास कला, लाह की चूड़ियाँ, पश्मीना कढ़ाई और धातु शिल्प जैसे लाइव शिल्प प्रदर्शन विदेशी आगंतुकों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं।

खरीदारों की राय
जर्मनी के नियमित खरीदार एक्सेल ने कहा, “मैं पिछले 9 वर्षों से यहां आ रहा हूं और इस बार एक ही दिन में मुझे अपनी ज़रूरत की कई चीजें मिल गईं। यहां की विविधता अद्भुत है।”
यूके से आए क्रिस मोरलैंड ने बताया, “लाइटिंग उत्पादों में इस बार जो नवाचार देखने को मिले हैं, उन्होंने मेरी सोच ही बदल दी। यहां की ऊर्जा और रचनात्मकता हर बार मुझे चौंकाती है।”
ईपीसीएच की भूमिका और उपलब्धियाँ
ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया कि 2024-25 में देश से हस्तशिल्प का अस्थायी निर्यात 33,490.79 करोड़ रुपये (3959.86 मिलियन डॉलर) रहा है। उन्होंने कहा, “तीन दशकों से हम न केवल देश की पारंपरिक कलाओं को वैश्विक मंच दे रहे हैं, बल्कि भारतीय कारीगरों के जीवन में वास्तविक बदलाव भी ला रहे हैं।”