रागिनी सिंगर निशा जांगड़ा ने बाराही मेले में फिर छेड़े सुरों के सुरमयी झरने

लोकगायिका निशा जांगड़ा 
लोकगायिका निशा जांगड़ा

रागिनी सिंगर निशा जांगड़ा ने बाराही मेले में फिर छेड़े सुरों के सुरमयी झरने
भावनाओं, लोककथाओं और हास्य व्यंग्य की त्रिवेणी बनी निशा की रचनाएँ

रागिनी के मंच पर उनकी उपस्थिति
रागिनी के मंच पर उनकी उपस्थिति

मौहम्मद इल्यास-दनकौरी/सूरजपुर
—————————————–ऐतिहासिक बाराही मेला – 2025 के नौवें दिन रागिनी मंच पर जब हरियाणवी लोकगायिका निशा जांगड़ा ने माइक संभाला, तो पंडाल में उपस्थित श्रोताओं की साँसें थम-सी गईं। रागिनी के मंच पर उनकी उपस्थिति मात्र ही दर्शकों में उत्साह भर देती है, और इस बार भी कुछ अलग नहीं था—बल्कि अधिक परिपक्व, अधिक भावपूर्ण और अत्यधिक प्रभावशाली।

कृष्णसुदामा प्रसंग से खुला भावनाओं का द्वार
कार्यक्रम की शुरुआत में निशा जांगड़ा ने भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता पर आधारित रागिनी से माहौल को भावुक कर दिया। जब उन्होंने स्वर में डूबकर कहा—
कृष्ण ने देखा सखा सुदामा, दौड़ पड़े चरणों में लग गए गले,”
तो श्रोताओं की आँखें नम और हृदय पुलकित हो उठे।

योगेश डागर के साथ उनकी हास्य रागिनी
योगेश डागर के साथ उनकी हास्य रागिनी

हास्य व्यंग्य में दिखा निशा का अनोखा रंग
इसके बाद योगेश डागर के साथ उनकी हास्य रागिनी पत्रा दिखाए पंडित जी ने मंच पर हास्य की फुहारें बिखेर दीं। इस प्रश्नोत्तर शैली की चटपटी रचना में निशा ने अपने संवादों और भाव-भंगिमा से ऐसा हास्य रच दिया कि दर्शक लगातार हँसी में झूमते रहे।
अभी एक साल तक योग नहीं, पीहर में मौज उड़ाइयो…” जैसी पंक्तियों पर तालियों की गूंज देर तक थमती नहीं थी।

सत्यवानसावित्री की रचना ने दिखाई संवेदनशीलता
मंच पर रोहताश दायमा के साथ निशा ने सत्यवानसावित्री प्रसंग पर एक मार्मिक रचना प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने लोकनारी की शक्ति, समर्पण और धैर्य का वर्णन बड़े ही सजीव तरीके से किया। इस रचना ने विशेषकर महिला दर्शकों के हृदय को छू लिया।

निशा जांगड़ा की खास बात
निशा जांगड़ा की खास बात

हर बार से बेहतर, हर बार नई ऊँचाई
निशा जांगड़ा की खास बात यह रही कि उन्होंने हर प्रस्तुति में केवल मनोरंजन नहीं किया, बल्कि हर रचना में सामाजिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक पहलुओं को गहराई से प्रस्तुत किया। चाहे वह रिश्तों की मिठास हो, नारी सशक्तिकरण का संदेश हो या हास्य के माध्यम से जीवन की विडंबनाओं पर चोट—हर विषय उनके सुरों में सहजता से ढलता गया।

स्थानीयों की जुबानी
श्रोताओं में मौजूद एक बुज़ुर्ग दर्शक ने कहा, “निशा बिटिया जब गाती है, तो लगता है जैसे हमारी संस्कृति की आत्मा बोल रही है।”
एक स्कूली छात्रा ने बताया, “मैंने आज पहली बार किसी महिला कलाकार को रागिनी में इतने जोश और भाव के साथ गाते देखा, अब मैं भी रागिनी सीखना चाहती हूँ।

शिव मंदिर सेवा समिति
शिव मंदिर सेवा समिति

हरियाणवी लोकशैली को नई पीढ़ी के करीब पहुँचाया, बल्कि परंपरा और प्रगति का सुन्दर संगम भी रच दिया

शिव मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष धर्मपाल भाटी, महामंत्री ओमवीर बैसला, कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल, मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विजेंद्र ठेकेदार  ने बताया कि बाराही मेला – 2025 के इस मंच पर निशा जांगड़ा ने यह सिद्ध कर दिया कि रागिनी केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं, बल्कि जनमानस को जोड़ने वाली एक सांस्कृतिक डोर है। उन्होंने न केवल हरियाणवी लोकशैली को नई पीढ़ी के करीब पहुँचाया, बल्कि परंपरा और प्रगति का सुन्दर संगम भी रच दिया।

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