
फोर्टिस ग्रेटर नोएडा के डॉक्टर की चेतावनी—डायटरी सप्लीमेंट्स और ओवर-द-काउंटर दवाएं बन रही हैं साइलेंट लिवर इंजरी का कारण

मौहम्मद इल्यास– “दनकौरी” / ग्रेटर नोएडा
वर्ल्ड लिवर डे के अवसर पर फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा ने लिवर से जुड़ी बीमारियों को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है। विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि आज लिवर की बीमारियां केवल शराब सेवन करने वालों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि बिना डॉक्टर की सलाह पर ली जाने वाली दवाएं और सप्लीमेंट्स भी लिवर को नुकसान पहुँचा रहे हैं।
फोर्टिस ग्रेटर नोएडा के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड हेपाटोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ डॉ. अपूर्व पांडे ने बताया कि फैटी लिवर रोग अब उन लोगों को भी अपनी चपेट में ले रहा है, जो शराब नहीं पीते और सामान्य तौर पर फिट दिखाई देते हैं।

“यह एक साइलेंट डिजीज है। लोग जब तक जांच नहीं कराते, तब तक लिवर की खराबी का पता ही नहीं चलता,” उन्होंने कहा।
बिना प्रेस्क्रिप्शन की दवाएं दे रही हैं लिवर को नुकसान
डॉ. पांडे के अनुसार, ओवर-द-काउंटर मिलने वाली दवाएं जैसे दर्दनाशक, बुखार की गोलियां या बिना विशेषज्ञ सलाह के लिए गए आयुर्वेदिक सप्लीमेंट्स, लिवर को धीरे-धीरे क्षति पहुंचाते हैं।
“हम ‘ड्रग इंड्यूस्ड लिवर इंजरी’ (DILI) के केस बढ़ते हुए देख रहे हैं,” उन्होंने बताया।
गर्मी में रखें लिवर का ध्यान
तेज़ गर्मी के बीच डॉ. पांडे ने सुझाव दिया कि पर्याप्त पानी पीना, सत्तू, छाछ, दही, ढोकला जैसे फर्मेंटेड फूड का सेवन, और हल्का-फुल्का संतुलित भोजन लिवर को सुरक्षित रखने में सहायक होता है।
रोकथाम ही सबसे बड़ा इलाज
फोर्टिस हॉस्पिटल की ओर से नागरिकों से अपील की गई है कि वे—
1:’बिना चिकित्सकीय परामर्श के कोई भी दवा या सप्लीमेंट न लें
2:-हर साल लिवर फंक्शन टेस्ट कराएं
3:’संतुलित जीवनशैली अपनाएं
4:- वजन और ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें

नियमित जांच और संतुलित जीवनशैली
आज जब भारत में हर तीसरा शहरी व्यक्ति फैटी लिवर जैसी समस्या की ओर बढ़ रहा है, ऐसे में केवल शराब से दूरी बना लेना काफी नहीं है। दवाओं और आहार के प्रति जागरूकता, नियमित जांच और संतुलित जीवनशैली ही लिवर को बचा सकती है।