
मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी” / ग्रेटर नोएडा
भारत सरकार के वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने 59वें आईएचजीएफ दिल्ली मेला- स्प्रिंग 2025 का भव्य उद्घाटन किया। यह आयोजन हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) द्वारा 16 से 19 अप्रैल तक ग्रेटर नोएडा स्थित इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में आयोजित किया जा रहा है। उद्घाटन अवसर पर गिरिराज सिंह ने प्रदर्शनी हॉलों का भ्रमण करते हुए प्रतिभागियों से संवाद किया और भारतीय हस्तशिल्प की समृद्ध परंपरा को वैश्विक मंच देने के लिए ईपीसीएच के प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, “आज का दौर हस्तनिर्मित उत्पादों का है, जहां हर कारीगरी में श्रम, अनुभव और विरासत की छाप है। भारत के पास पारंपरिक शिल्प कला में अनूठी विशेषज्ञता है, जो हमें वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त देती है।”
वस्त्र मंत्री ने सस्टेनेबिलिटी और इको-फ्रेंडली निर्माण की दिशा में भारत की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि सरकार निर्यातकों को समर्थन देने के लिए बुनियादी ढांचा, वित्तीय सहायता और डिज़ाइन नवाचार जैसे क्षेत्रों में लगातार काम कर रही है। उन्होंने निर्यातकों से बाजारों में विविधता लाने और एफटीए की संभावनाओं का लाभ उठाने का आह्वान भी किया।

व्यापक भागीदारी और वैश्विक जुड़ाव
मेले के इस संस्करण में 3,000 से अधिक प्रदर्शकों ने भाग लिया है, जिन्होंने 16 हॉल में फैले विभिन्न स्टॉलों पर होम डेकोर, लाइफस्टाइल, फैशन, फर्निशिंग, फर्नीचर और इंटीरियर उत्पादों का प्रदर्शन किया। इंडिया एक्सपो सेंटर की विभिन्न मंजिलों पर स्थित 900 मार्ट/स्थायी शोरूम भी पूरी तरह तैयार हैं, जहां खरीदार पूरे साल व्यापारिक गतिविधियों के लिए संपर्क में रहते हैं।
ईपीसीएच और मेले के प्रतिनिधियों के विचार
ईपीसीएच अध्यक्ष दिलीप बैद ने कहा कि आईएचजीएफ दिल्ली मेला अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के लिए एक प्रमुख सोर्सिंग प्लेटफॉर्म बन चुका है, जो भारत की कारीगरी, गुणवत्ता और डिज़ाइन की श्रेष्ठता का प्रमाण देता है। उन्होंने कहा, “यह मेला हर संस्करण के साथ न सिर्फ अपने स्वरूप में विस्तार करता है, बल्कि निर्यातकों और खरीदारों के बीच नए संबंधों का निर्माण भी करता है।”
ईपीसीएच उपाध्यक्ष नीरज खन्ना ने बताया कि इस वर्ष प्रदर्शकों ने अपने डिज़ाइनों में नवाचार और वैश्विक ट्रेंड को ध्यान में रखते हुए तैयारी की है। वहीं उपाध्यक्ष सागर मेहता ने सेमिनार और वर्कशॉप की जानकारी देते हुए बताया कि ये सत्र प्रदर्शकों को तकनीकी और डिज़ाइन कौशल में उन्नत करने के लिए आयोजित किए जा रहे हैं।
लाइव शिल्प प्रदर्शन और सांस्कृतिक विरासत
आईएचजीएफ दिल्ली मेला 2025 की एक प्रमुख विशेषता शिल्पगुरुओं द्वारा दिए जा रहे लाइव प्रदर्शन हैं। इनमें धातु कला, लाह चूड़ी निर्माण, पश्मीना कढ़ाई, मधुबनी पेंटिंग, सिक्की घास कला और अन्य जीआई टैग प्राप्त शिल्प शामिल हैं, जो भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।

उद्घाटन समारोह में उपस्थित विशिष्ट जन
उद्घाटन समारोह में स्वागत समिति अध्यक्ष निर्मल भंडारी, उपाध्यक्ष नदीम अहमद खान और कमल कौशल वार्ष्णेय, कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा, सीओए सदस्य अवधेश अग्रवाल, रवि के पासी, ओ. पी. प्रह्लादका, राजेश जैन, के एन तुलसी राव, प्रिंस मलिक और देश-विदेश से आए हज़ारों खरीदार, एजेंट और निर्यातक मौजूद रहे।
निर्यात और भविष्य की दिशा
कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने बताया कि 2024-25 के दौरान भारत से हस्तशिल्प का अस्थायी निर्यात 33,490.79 करोड़ रुपये (3959.86 मिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा। उन्होंने कहा कि विदेशी खरीदारों का इस मेले में अटूट विश्वास, भारत के हस्तशिल्प क्षेत्र की वैश्विक क्षमता और उसके निरंतर विकास का प्रतीक है।

निष्कर्ष
आईएचजीएफ दिल्ली मेला- स्प्रिंग 2025 भारत के हस्तशिल्प क्षेत्र का न केवल जीवंत उत्सव है, बल्कि यह निर्यात, नवाचार और वैश्विक सहयोग की संभावनाओं को साकार करने का एक सशक्त मंच भी है। अपने पहले दिन से ही यह मेला भारत की संस्कृति, शिल्पकला और कारोबारी क्षमता का प्रभावशाली उदाहरण बन गया है।