मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी” / ग्रेटर नोएडा
नेशनल असेसमेंट एंड एक्रिडिटेशन काउंसिल (NAAC) की ग्रेडिंग प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के आरोप में सीबीआई ने कई शिक्षाविदों और अधिकारियों को गिरफ्तार किया है, जिसमें GL बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के निदेशक डॉ. मानस कुमार मिश्रा भी शामिल हैं। इधर इस मामले में GL बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट ने अपनी पारदर्शिता और नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता देते हुए डॉ. मिश्रा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। जीएल बजाज के वाइस प्रेसिडेंट पंकज अग्रवाल ने एक प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर कहा कि वह हमेशा उच्च नैतिक मानकों और पारदर्शिता के लिए प्रतिबद्ध रहा है और इसीलिए प्रशासनिक सुचारूता बनाए रखने के लिए प्रोफेसर आर.के. मिश्रा को कार्यवाहक निदेशक नियुक्त किया गया है।
अफवाहों से बचने की अपील
GL बजाज प्रबंधन ने छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से अपील की है कि संस्थान की छवि को प्रभावित करने वाली किसी भी अफवाह या भ्रामक जानकारी पर विश्वास न करें। संस्थान ने यह भी कहा कि वह नैतिक प्रशासन और शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और आगे भी इसी दिशा में कार्य करता रहेगा। इस घटनाक्रम ने शिक्षा जगत में पारदर्शिता और नैतिकता बनाए रखने की जरूरत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जांच एजेंसियां इस मामले की गहराई से जांच कर रही हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के डायरेक्टर मानस कुमार मिश्रा समेत कई धरे गए
सीबीआई ने बताया कि एनएएसी निरीक्षण समिति के सदस्यों को (ए++) एक्रेडिटेशन (मान्यता) के लिए रिश्वत देने में कथित संलिप्तता के लिए केएलईएफ के कुलपति जीपी सारधी वर्मा, केएलईएफ के उपाध्यक्ष कोनेरू राजा हरीन, केएल यूनिवर्सिटी, हैदराबाद परिसर के डायरेक्टर ए. रामकृष्ण को गिरफ्तार किया है. एजेंसी ने एनएएसी निरीक्षण समिति के अध्यक्ष समरेंद्र नाथ साहा को भी गिरफ्तार किया है, जो रामचन्द्र चंद्रवंशी यूनिवर्सिटी के कुलपति भी हैं।
समिति के सदस्य जेएनयू के प्रोफेसर राजीव सिजारिया, भारत इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ के डीन डी. गोपाल, जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी के डीन राजेश सिंह पवार, जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के डायरेक्टर मानस कुमार मिश्रा, दावणगेरे यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर गायत्री देवराज और संबलपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर बुलु महाराणा को भी गिरफ्तार किया गया है।
डायरेक्टर मानस कुमार मिश्रा:— गौतमबुद्धनगर समेत 20 स्थानों पर सीबीआई की तलाशी और छापेमारी
मामले के संबंध में चेन्नई, बेंगलुरु, विजयवाड़ा, पलामू, संबलपुर, भोपाल, बिलासपुर, गौतमबुद्धनगर और नई दिल्ली में 20 स्थानों पर तलाशी ली गई. सीबीआई के एक प्रवक्ता ने कहा, 37 लाख रुपए नकद, छह लैपटॉप, एक आईफोन 16 प्रो मोबाइल फोन और अन्य आपत्तिजनक सामान बरामद किए गए हैं.
देशभर में उच्च शिक्षा का हब बन गए ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क स्थित शिक्षण संस्थानों में हड़कंप मच गया है दरअसल राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद -एनएएसी (NAAK) की रेटिंग के आधार पर बच्चों को आकर्षित करने के लिए इन दिनों सभी शिक्षण संस्थान लगे हुए हैं । इसी में ग्रेटर नोएडा के जीएल बजाज कॉलेज (GL Bajaj Institute of Technology & Management) के डायरेक्टर मानस कुमार मिश्रा को नेक की रेटिंग के लिए पैसों के खेल में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया । उनके साथ जेएनयू के एक प्रोफेसर और एनएएसी से जुड़े 6 सदस्यों को भी गिरफ्तार किया गया । आपको बता दें कि मानस कुमार मिश्रा एनएएसी निरीक्षण समिति के सदस्य भी है ।
सीबीआई के प्रवक्ता के अनुसार अच्छी रेटिंग लेने के लिए पैसों का खेल चल रहा था। आंध्र प्रदेश में गुन्टूर के कोनेरू लक्ष्मैया एजुकेशन फाउंडेशन के पदाधिकारियों व एनएमसी टीम के सदस्यों सहित 10 को गिरफ्तार किया गया है। सीबीआई के अनुसार यह शिक्षण संस्थान रिश्वत देकर ए प्लस प्लस रेटिंग हासिल करने की कोशिश कर रहा था। गिरफ्तार आरोपितों में कोनेरू लक्ष्मैया एजुकेशन फाउंडेशन के कुलपति जीपी सारधी, उपाध्यक्ष कोनेरू राजा हसीन, केएल यूनिवर्सिटी हैदराबाद के ए राम कृष्ट, एनएमसी टीम के अध्यक्ष समरेंद्र नाथ साहा, जेएनयू दिल्ली के प्रोफेसर व एनएमसी के समन्वयक राजीव सिजारिया, जीएल बजाज कॉलेज ग्रेटर नोएडा के डायरेक्टर मानस कुमार मिश्रा, दावणगेरे यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर गायत्री देवराजा सहित अन्य लोग शामिल हैं। सीबीआई ने कहा है कि जांच अभी भी जारी है और निष्कर्षों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जा सकती है। इस मामले ने एनएएसी मान्यता प्रक्रिया की विश्वसनीयता और शैक्षणिक संस्थानों और उनके मूल्यांकन निकायों की अखंडता के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा कर दी है।
नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (NAAC) रेटिंग से जुड़े बड़े घोटाले का ऐसे किया गया पर्दाफाश
शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (NAAC) रेटिंग से जुड़े एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया है। CBI ने 10 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें शैक्षणिक संस्थानों के शीर्ष अधिकारी और NAAC निरीक्षण टीम के सदस्य शामिल हैं। इन पर A++ रेटिंग देने के बदले रिश्वत लेने का आरोप है।
शामिल संस्थान: यह घोटाला आंध्र प्रदेश के गुन्टूर स्थित कोनेरु लक्ष्मैया एजुकेशन फाउंडेशन (KLEF) और JNU, बैंगलोर यूनिवर्सिटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से जुड़ा है।
तरीका: आरोप है कि आरोपी NAAC निरीक्षण टीम के सदस्यों को रिश्वत देकर A++ रेटिंग हासिल कर रहे थे, जो शैक्षणिक संस्थानों की प्रतिष्ठा और फंडिंग के लिए महत्वपूर्ण है।
देशव्यापी छापे: CBI ने चेन्नई, बैंगलोर, विजयवाड़ा, पलामू, संबलपुर, भोपाल, बिलासपुर, गौतम बुद्ध नगर और नई दिल्ली सहित देशभर में 20 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की। जब्त सामग्री: छापे के दौरान CBI को 37 लाख रुपये नकद, 6 लैपटॉप, एक iPhone 16 Pro, सोने के सिक्के और कई अहम दस्तावेज बरामद हुए।
1. शैक्षणिक संस्थानों के अधिकारी: जी.पी. सारधी वर्मा, कुलपति, KLEF, गुन्टूर कोनेरु राजा हरी, उपाध्यक्ष, KLEF ए. रामकृष्ण*, निदेशक, KL यूनिवर्सिटी, हैदराबाद. 2. NAAC निरीक्षण टीम के सदस्य: समरेंद्र नाथ साहा, कुलपति, रामचंद्र चंद्रवंशी यूनिवर्सिटी (NAAC चेयरमैन) राजीव सिजारिया, प्रोफेसर, JNU, दिल्ली (NAAC कोऑर्डिनेटर) डी. गोपाल, डीन, भारत इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ राजेश सिंह पवार, डीन, जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी, भोपाल मानस कुमार मिश्रा, निदेशक, जीएल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी गायत्री देवराजा, प्रोफेसर, दावणगेरे यूनिवर्सिटी बुलु महाराणा, प्रोफेसर, संबलपुर यूनिवर्सिटी।
कानूनी कार्रवाई:CBI ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। जांच जारी है, और इस मामले में और गिरफ्तारियां होने की संभावना है।
प्रभाव: इस घोटाले ने NAAC रेटिंग प्रणाली की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जो उच्च शिक्षा में गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। प्रतिष्ठित संस्थानों के शीर्ष अधिकारियों की शामिलता ने शैक्षणिक समुदाय में हड़कंप मचा दिया है।
आगे क्या होगा: CBI संभवतः इस घोटाले से जुड़े अन्य संस्थानों और व्यक्तियों की जांच को विस्तार देगी। शिक्षा मंत्रालय NAAC प्रत्यायन प्रक्रिया की समीक्षा कर सकता है ताकि भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं को रोका जा सके।