मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी” / गौतमबुद्धनगर
गौतमबुद्बनगर में किसान आंदोलन नया मोड़ लेता जा रहा है। गत 25 नवंबर-2024 को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण कार्यालय के घेराव और फिर महापड़ाव के बाद यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण का घेराव किया गया। संयुक्त किसान मोर्चा जिसमें करीब 10 किसान संगठनों के लोग भूमि अधिग्रहण 2013 संशोधित कानून को लागू करवाने और 10 फ़ीसदी प्लॉट दिए जाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे। संयुक्त किसान संघर्ष समिति ने ऐलान किया था कि यदि मांगे नहीं मानी गई तो सीधे यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक प्राधिकरण कार्यालय से संसद के लिए कूच किया जाएगा। इसी बीच गौतमबुद्धनगर की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह, ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के सीईओ रवि कुमार एनजी, गौतमबुद्धनगर के डीएम मनीष कुमार वर्मा समेत सभी आला अधिकारियों ने किसानों के साथ एक बैठक कर भरोसा दिलाया कि एक सप्ताह के अंदर इन मांगों पर सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा। साथ ही उनकी वार्ता मुख्यमंत्री से भी कर दी जाएगी किंतु फिलहाल वह अपना संसद कूच का फैसला टाल दें। उस समय की वार्ता बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा के सुखबीर खलीफा, रुपेश वर्मा, सुनील फौजी, पवन खटाना ,हरवीर नागर, डॉ विकास प्रधान, सोरन प्रधान समेत सभी किसान नेता मौजूद थे। किसान नेताओं ने उसे समय वार्ता को ठुकरा कर संसद कूच का रास्ता चुना था। तब अगले ही दिन बड़ी संख्या में नोएडा के महामाया फ्लाईओवर को पार करते हुए किसान दिल्ली की ओर बढ़े, किंतु पुलिस पुलिस ने उन्हें राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल से आगे बढ़ने नहीं दिया और कंटेनर आढे तिरछे खड़े कर बैरिकेडिंग लगा दी। हालांकि किसानों ने कुछ बैरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ाने की कोशिश की और फिर राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर ही अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। दूसरे दिन पुलिस ने सभी किसान नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इससे किसान आंदोलन की गूंज चारों तरफ फैल गई और ग्रेटर नोएडा के जीरो पॉइंट पर बड़ी महापंचायत किए जाने का ऐलान किया।
मुजफ्फरनगर के सिसौली किसान भवन से भी भारतीय किसान यूनियन (टिकैत )के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने भी उत्तर प्रदेश सरकार को अलग चेताया था कि सभी गिरफ्तार किए गए किसानों को तत्काल बिना शर्त रिहा किया जाए। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत)के युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरव टिकैत भी ग्रेटर नोएडा में जीरो पॉइंट पर महापंचायत में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इसी बीच एक नाटकीय घटनाक्रम घटा कि भारतीय किसान यूनियन( टिकैत)के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत को भी इस महापंचायत पहुंचना था। खबर मिली कि राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत को टप्पल में ग्रेटर नोएडा आते हुए पुलिस ने रोक लिया है। कुछ ही देर बाद गिरफ्तार किए गए सभी किसान नेताओं को लाकर जीरो पॉइंट पर महापंचायत छोड़ दिया गया। रात्रि होते होते प्रशासन ने फिर सभी इन किसान नेताओं को गिरफ्तार कर लिया और उधर दूसरी ओर राकेश टिकैत के भी सुर बदलते हुए नजर आए। कल फिर मुजफ्फरनगर के सिसौली किसान भवन पर भारतीय किसान यूनियन (टिकैत)के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत की अध्यक्षता में एक बड़ी पंचायत हुई और जिसमे किसानो की मांगे ने पूरा करने पर फिर 23 दिसंबर-2024 को कोई बड़ा ऐलान किए जाने की बात कही गई । भारतीय किसान यूनियन( टिकैत) के मीडिया प्रभारी सुनील प्रधान ने बताया कि चौधरी राकेश टिकैत के द्वारा गौतमबुद्धनगर के किसान आंदोलन के मद्देनज़र 23 दिसंबर को सिसौली से कोई बड़ा ऐलान करने की घोषणा के तुरंत बाद प्रशासन हरकत में आ गया है । आज कलेक्ट्रेट सभागार में संयुक्त किसान मोर्चा की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ,जिलाधिकारी मनीष वर्मा से सौहार्दपूर्ण वार्ता हुई । लगभग तीन घंटे तक चली वार्ता में प्रशासन की ओर से एडीएम प्रशासन मंगलेश दुबे व ओएसडी यमुना प्राधिकरण शैलेंद्र सिंह भी उपस्थित रहे ।
पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने कहा कि जेल में बंद किसानो की रिहाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है ,एक से दो दिन में सभी किसान जेल से बाहर आ जाएँगे। आंदोलन के दौरान किसानों की ज़ब्त गाड़ियों व ट्रैक्टरों को भी तुरंत प्रभाव से छोड़ने का आदेश दिया । पुलिस कमिश्नर एवं डीएम ने भरोसा दिलाया कि बहुत जल्दी ही किसानों की मांगों दस प्रतिशत प्लॉट एवं 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून को लागू करने को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की शासन स्तर पर बातचीत आरंभ करायी जाएगी । बातचीत के द्वारा ही उक्त समस्याओं का हल निकाला जाएगा। वार्ता बहुत ही शांति एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई । मीटिंग से बाहर निकलकर संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि राकेश टिकैत के द्वारा 23 दिसंबर से पहले संयुक मोर्चा के द्वारा किसी भी तरह के धरना प्रदर्शन की कोई भी घोषणा नहीं की गई है और न ही ऐसी कोई योजना है।यदि कोई भी व्यक्ति या संगठन इस तरह का कोई आंदोलन या प्रदर्शन करता है तो यह उसका व्यक्तिगत निर्णय होगा तथा इसकी ज़िम्मेदारी स्वयं आंदोलन कर्ता की होगी । संयुक्त किसान मोर्चा इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं होगा ।