“4% अतिरिक्त विकसित भूखंड किसानों का वैधानिक अधिकार—अब और प्रतीक्षा नहीं”: एडवोकेट विनोद कुमार वर्मा का तीखा सवाल

 

“4% अतिरिक्त विकसित भूखंड किसानों का वैधानिक अधिकार—अब और प्रतीक्षा नहीं”: एडवोकेट विनोद कुमार वर्मा का तीखा सवाल
किसान नेताओं की भूमिका पर उठे सवाल, प्राधिकरण से 29 मई की वार्ता में प्राथमिकता देने की मांग

मौहम्मद इल्यास-” दनकौरी”/ग्रेटर नोएडा
पूर्व सचिव, बार एसोसिएशन गाजियाबाद एडवोकेट विनोद कुमार वर्मा ने आज एक तीखा वक्तव्य जारी करते हुए कहा है कि ग्रेटर नोएडा में वर्षों से लंबित किसानों के 4% अतिरिक्त विकसित आबादी भूखंड उनके न्यायिक अधिकार हैं, जिन्हें लेकर अब और समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विषय पर माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद का स्पष्ट आदेश मौजूद है। इसके बावजूद किसानों को उनका हक़ न मिलना न केवल न्याय का अपमान है, बल्कि गरीब किसानों के साथ खुला अन्याय है।

एडवोकेट वर्मा ने कहा:

“मैं जनपद गौतमबुद्धनगर के किसान संगठनों से पूछना चाहता हूँ—जब अदालत का आदेश है, तो यह भूखंड क्यों नहीं दिए जा रहे? दूसरी ओर कुछ किसान नेताओं की भूमिका संदिग्ध और स्वार्थ आधारित दिखती है। मेरे पास उनके गैरकानूनी कार्यों के दस्तावेजी प्रमाण हैं। यदि कोई भी किसान नेता मेरे लगाए आरोपों को गलत साबित कर दे, तो मैं चौराहे पर फांसी पर लटकने को तैयार हूँ।”

उन्होंने किसान संगठनों को खुली चुनौती देते हुए कहा कि 29 मई 2025 को प्राधिकरण से होने वाली वार्ता में सबसे पहले 4% अतिरिक्त विकसित भूखंड दिए जाने की मांग को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। यदि ऐसा नहीं होता, तो किसान संगठनों को चाहिए कि वे अपने बैनर और मंच से इस मांग को हटा दें और यह स्पष्ट कर दें कि वे अब किसानों के साथ नहीं हैं।

एडवोकेट वर्मा ने आग्रह किया कि पहले भूखंड दिए जाएं, बाद में आबादी निस्तारण और लीजबैक की प्रक्रिया पर विचार हो। किसानों को अब और प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए।

यह वक्तव्य न केवल किसान हित में एक निर्णायक चेतावनी है, बल्कि यह आने वाली वार्ता में किसान संगठनों और प्राधिकरण दोनों के लिए एक जवाबदेही की कसौटी भी है। अब देखना होगा कि 29 मई की बैठक में किसान संगठनों का रुख कितना स्पष्ट, निष्पक्ष और निष्ठावान होता है।

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