
📰 “जब दलीलें जनहित में हों तो प्रशासन को भी झुकना पड़ता है” — कर्मवीर नागर
विशेष बातचीत | रिपोर्ट: मौहम्मद इल्यास “दनकौरी“
गौतमबुद्धनगर। न्यू नोएडा के पंचायत परिसीमन में आया यह बदलाव न सिर्फ ग्रामीण लोकतंत्र की रक्षा करता है, बल्कि यह भी सिद्ध करता है कि तर्क और सत्य के साथ की गई पैरवी कभी व्यर्थ नहीं जाती। कर्मवीर नागर जैसे सक्रिय नागरिकों की भूमिका आज की शासन व्यवस्था में प्रेरणास्रोत बनती जा रही है।
न्यू नोएडा के 20 गांवों में पंचायत पुनर्गठन को लेकर जिला प्रशासन द्वारा जो प्रस्ताव शासन को भेजा जा रहा था, उसे लेकर कर्मवीर नागर की ओर से सार्वजनिक मंचों और मीडिया के माध्यम से लगातार उठाई गईं कानूनी दलीलें और जनहितकारी सुझाव आखिरकार रंग लाए। जिला प्रशासन ने यू टर्न लेते हुए अब न्यू नोएडा के 20 गांवों को बाहर रखने की बजाय पूरे जनपद की 82 ग्राम पंचायतों पर चुनाव कराने हेतु परिसीमन कर शासन को भेज दिया है।
विजन लाइव:
आप लंबे समय से न्यू नोएडा के गांवों में पंचायत चुनाव के मुद्दे को उठा रहे थे, अब जिला प्रशासन के इस निर्णय को आप किस रूप में देखते हैं?
कर्मवीर नागर:
यह जनतंत्र की जीत है। जब दलीलें जनहित में हों और सुझाव संविधान व क़ानून की भावना के अनुरूप हों, तो प्रशासन को भी अपनी नीति में बदलाव करना पड़ता है। मुझे खुशी है कि प्रशासन ने समय रहते अपनी गलती को सुधारा और जनभागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाया।
विजन लाइव:
आपने जो कानूनी बिंदु रखे थे, वे क्या थे जिनका प्रशासन पर असर पड़ा?
कर्मवीर नागर:
मैंने यह साफ किया था कि ग्राम पंचायतों का चुनाव रोकने या सीमित करने का कोई वैधानिक आधार नहीं है, जब तक क्षेत्र औपचारिक रूप से अधिसूचित नगरीकरण में परिवर्तित न हो जाए। न्यू नोएडा के गांव अब भी राजस्व ग्राम हैं, और जनता को उनके लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित करना असंवैधानिक होता। मेरी इन्हीं बातों को जब मीडिया के माध्यम से प्रशासन तक पहुँचाया गया, तो उन्होंने इसे गंभीरता से लिया।
विजन लाइव:
क्या आपको लगता है कि प्रशासन पहले जल्दबाज़ी में था?
कर्मवीर नागर:
मैं इसे जल्दबाज़ी नहीं कहूंगा, बल्कि इसे जानकारी और परामर्श की कमी कहूंगा। मगर मैं ये ज़रूर कहूंगा कि इस बार प्रशासन ने “देर आए दुरुस्त आए” की जगह “देर होने से पहले दुरुस्त” की नीति अपनाई — जो स्वागतयोग्य है।
विजन लाइव:
आपके अनुसार इस निर्णय का गांवों पर क्या असर पड़ेगा?
कर्मवीर नागर:
सबसे बड़ा असर होगा जनविश्वास का। जब जनता देखती है कि उनकी आवाज़ सुनी जाती है और सुझावों को अमल में लाया जाता है, तो लोकतंत्र मजबूत होता है। इसके साथ ही ग्राम पंचायतों के ज़रिए विकास कार्यों को गति भी मिलेगी।
विजन लाइव:
क्या आप आगे भी जनहित के मुद्दों को इसी तरह उठाते रहेंगे?
कर्मवीर नागर:
बिलकुल। जनसेवा और जागरूकता ही मेरा उद्देश्य है। जब भी कोई जनविरोधी नीति या कानूनी अनदेखी होगी, मैं विनम्रता के साथ आवाज़ उठाता रहूंगा। यही मेरे सामाजिक जीवन का मूल मंत्र है।
विजन लाइव:
आप जिला प्रशासन को क्या संदेश देना चाहेंगे?
कर्मवीर नागर:
मैं जिला प्रशासन का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने समय रहते जनहित को प्राथमिकता दी। साथ ही, मैं सुझाव दूंगा कि भविष्य में भी कोई निर्णय लेने से पहले स्थानीय लोगों, विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से सलाह लेना लोकतंत्र को और सशक्त बनाएगा।