फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेटः- सरकारी डॉक्टर पर कार्यवाही की तलवार लटकी

बादलपुर सीएचसी
बादलपुर सीएचसी पर तैनात आरोपी डॉक्टर अशोक कुमार के दबाब में फर्जी मेडिकल बनाया गया

री मेडिकल में बच्ची की पसली टूटी दिखाया गया मामला फर्जी साबित

मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/ग्रेटर नोएडा

बादलपुर सीएचसी
बादलपुर सीएचसी

फर्जी मेडिकल बनाए जाने के मामले में सरकारी डॉक्टर पर कार्यवाही की तलवार लटक चुकी है। फर्जी मेडिकल बनाने वाले डॉक्टर पर एक ओर विभागीय कार्यवाही की गाज गिरेगी और वहीं दूसरी ओर एफआईआर भी दर्ज कराए जाने का रास्ता साफ हो गया है। री मेडिकल में बच्ची की पसली टूटी दिखाया गया मामला अब पूरी तरह से फर्जी साबित हो गया है। फर्जी मेडिकल का मामला जब डीएम के सामने आया तो डॉक्टरों की एक कमेटी गठित किए जाने के आदेश दिए गए थे। सीएमओ ने डीएम के आदेश पर तीन सदस्य कमेटी गठित की थी।

लखनावली गांव मे एक नाबालिग बच्चे के साथ, रोहित नामक युवक व उसके परिवार द्वारा एक पुरानी रंजिश के चलते मारपीट की गई। पीड़ित पक्ष ने पुलिस मे शिकायत की, किंतु पुलिस द्वारा कोई कानूनी कार्रवाई न करते हुए टरका दिया गया। आखिर पीड़ित परिवार ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

फर्जी मेडिकल का मामला
फर्जी मेडिकल का मामला

जिला कोर्ट की ओर से पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए गए। पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर आरोपियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर लिया। विपक्षियों को पुलिस की खुली शह मिली और विपक्षियांं ने साजिश रचते हुए फर्जी मेडिकल बनवा डाला। इस मेडिकल को लेकर जिसमें एक एक छोटी बच्ची की पसली टूटी हुई दिखाई गई कोर्ट पहुंच गए। कोर्ट ने मामले को सही मानते हुए मुकदमा दर्ज किए जाने के आदेश दिए। पीडित पक्ष ने इस पूरे मामले की शिकायत डीएम गौतमबुद्धनगर के सामने की और साफ किया कि जिस समय मेडिकल में बच्ची पर हमले किए जाने का जिक्र किया गया है, उस समय पूरा पीडित परिवार सीसीटीवी की निगरानी मेंं है। डीएम ने सरकारी डॉक्टरों के द्वारा फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बनाए जाने के मामले को गंभीरता से लिया गया और सीएमओ गौतमबुद्धनगर को आदेश दिया कि तत्काल इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित कर कार्यवाही करें। सीएमओ ने डीएम के आदेश पर तीन डॉक्टरों की एक जांच कमेटी गठित की है। डीएम को लिखे गए पत्र में पीड़ित पक्ष ने अवगत कराया था कि दबाव बनाने के लिए एक षड्यंत्र रचा और सरकारी अस्पताल से सांठगांठ कर एक फर्जी मेडिकल सीएचसी बादलपुर से कराया गया, जिसमें एक छोटी बच्ची की पसली टूटी हुई दिखाई गई है जिसके आधार पर उन्होंने कोर्ट द्वारा पीड़ित परिवार के खिलाफ फर्जी मुकदमा करवा दिया गया। यह सब पुलिस के इशारे पर हुआ। ’’विजन लाइव’’ डिजिटल मीडिया ने इस मामले को प्रमुखता से उठाते हुए ’’फर्जी मेडिकल का मामला सरकारी डॉक्टरों की गले की हड्डी बना’’ शीर्षक से प्रकाशित, प्रसारित किया था। इसका असर यह हुआ कि बच्ची की पसली टूटे जाने के मामले का री मेडिकल किया गया।

डीएम के सामने आया तो डॉक्टरों की एक कमेटी गठित किए जाने के आदेश दिए गए थे
डीएम के सामने आया तो डॉक्टरों की एक कमेटी गठित किए जाने के आदेश दिए गए थे

इस री मेडिकल जांच कमेटी की टीम में डा0 निरूपमा आत्रेय रेडियोलॉजिस्ट, डा0 बृजेश अस्थि रोग विशेषज्ञ और डा0 टीकम सिंह उपमुख्य चिकित्साधिकारी गौतमबुद्धनगर शामिल किए गए। जांच कमेटी ने पूरे मामले की रिपोर्ट सीएम गौतमबुद्धनगर को सौंपते हुए साफ किया है कि कुमारी मिस्टी पुत्री रोहित निवासी का पुनः मेडिकल परीक्षण कर लिया गया है। मरीज ने बताया कि छाती के बाई तरफ दर्द है। इसी क्रम में मरीज की छाती का एक्स-रे कराया गया। वाहय परीक्षण करने पर मरीज की छाती पर कोई वाहय चोट नजर नही आई। वहीं एक्स-रे की रिपोर्ट आने पर कोई फ्रेक्चर या चोट नही पाई गई। सीएम गौतमबुद्धनगर की ओर से इस मामले की रिपोर्ट डीएम को भेज दी गई है। पीडित पक्ष से सुनील चपराना ने ’’विजन लाइव’’ को बताया कि बादलपुर सीएचसी पर तैनात आरोपी डॉक्टर अशोक कुमार के दबाब में फर्जी मेडिकल बनाया गया था।

इतनी शिकायतों के बावजूद डॉ अशोक इतने लम्बे समय से आज तक दादरी ओर बादलपुर पर ही तैनात है पर आज तक कोई कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं हुई
इतनी शिकायतों के बावजूद डॉ अशोक इतने लम्बे समय से आज तक दादरी ओर बादलपुर पर ही तैनात है पर आज तक कोई कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं हुई

उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर टीकम सिंह, अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉक्टर बृजेश सिंह व रेडियोलॉजिस्ट डॉ निरुपमा आत्रेय द्वारा जांच रिपोर्ट में कोई चोट अथवा पसली टूटी नहीं पाई गई है। मेडिकल पूर्ण रूप से फर्जी साबित हुआ है। सीएमओ द्वारा रिमेडिकल की रिपोर्ट डीएम और संबंधित थाना सूरजपुर को भेज दी गई है। इस तरह के फर्जी मेडिकल बनाने के आरोपित डॉ अशोक कुमार के खिलाफ मुख्य चिकित्सा अधिकारी व जिलाधिकारी को सख्त कार्यवाही करते हुए तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर देना चाहिए, साथ ही फर्जी मेडिकल बनाने के दोषी के खिलाप मुकदमा पंजीकृत कराया जाना  न्याय हित में जरूरी है, क्योंकि यह पहला मामला नहीं है जिसमें डॉक्टर अशोक कुमार ने इस तरह की फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाई है, कई वर्षों से इस तरह के फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाने के मामलों में डॉक्टर अशोक शामिल रहे हैं। पूर्व मे भी पीड़ित लोगों द्वारा डॉ अशोक कुमार की शिकायत भी की गई है। उन शिकायत पर भी डॉक्टर अशोक ने अपनी ऊंची पकड़ के चलते कोई कार्यवाही नहीं होने दी। इतनी शिकायतों के बावजूद डॉ अशोक इतने लम्बे समय से आज तक दादरी ओर बादलपुर पर ही तैनात है पर आज तक कोई कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

 

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