वर्ल्ड स्ट्रोक डे पर विशेष:– स्वस्थ जीवनशैली और नियमित जांच से रोकथाम

गेम चेंजर है गोल्डेन ऑवर, 80 प्रतिशत केस में बचाव संभव

स्ट्रोक भारत में मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण:– डॉक्टर चिराग गुप्ता

मौहम्मद इल्यास-“दनकौरी” / ग्रेटर नोएडा

दुनिया के साथ ही भारत में भी स्ट्रोक एक बड़े स्वास्थ्य संकट का रूप लेता जा रहा है। जानकारों के मुताबिक स्ट्रोक की वजह से देश में हर चार मिनट में एक इंसान अपनी जान गंवा रहा है, वहीं हर 20 सेकंड में एक नया शख्स स्ट्रोक से पीड़ित होता है। देश में स्ट्रोक डिसेबिलिटी का बड़ा कारण है और भारत में मौत की तीसरी सबसे बड़ी वजह भी है। आंकड़ों के मुताबिक हर साल 2 मिलियन से ज्यादा लोग स्ट्रोक का सामना करते हैं और पांच में से एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में स्ट्रोक हो जाता है।

लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध में बताया गया है कि दुनियाभर में स्ट्रोक से मरने वालों की संख्या अगले तीन दशक में प्रतिवर्ष एक करोड़ होने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक, स्ट्रोक से होने वाली मौतें 2020 में 6.6 मिलियन से बढ़कर 2050 तक 9.7 मिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।

फोर्टिस अस्पताल, ग्रेटर नोएडा में न्यूरोलॉजी विभाग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. चिराग गुप्ता ने बताया कि स्ट्रोक पड़ने के साथ ही ब्रेन की प्रति मिनट 20 लाख कोशिकाएं मरने लगती हैं, ऐसी विषम स्थिति में गोल्डन ऑवर का महत्व बढ़ जाता है। वो कहते हैं कि स्ट्रोक पड़ने के बाद शुरुआती साढ़े चार घंटे सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। अगर इतने समय के अंदर मरीज को सही इलाज मिल गया तो अस्सी फीसदी मामलों में बचाव संभव है।

डॉ. चिराग आगे कहते हैं कि स्ट्रोक का एक बड़ा कारण हमारी लाइफ स्टाइल भी है। हमारी खान-पान की आदतों में बदलाव, व्यायाम न करना, नींद पूरी ना होने के साथ ही बढ़ता प्रदूषण भी एक कारक के रूप में उभर रहा है। स्ट्रोक खून के बहाव के रुक जाने की वजह से होता है। युवा या वयस्क किसी को भी स्ट्रोक हो सकता है। उच्च रक्तचाप, अधिक कोलेस्ट्रॉल (हाइपरलिपिडेमिया), और टाइप-2 डायबिटीज जैसी समस्याओं से ग्रस्त लोगों में स्ट्रोक के खतरे की आशंका ज्यादा होती है। शराब पीने और धूम्रपान करने वालों में भी स्ट्रोक का ख़तरा अधिक होता है। स्ट्रोक के अन्य कारणों में आर्टरीज का भरा होना, दिल की धड़कनों का अनियमित होना और स्ट्रोक का पारिवारिक इतिहास भी एक महत्वपूर्ण कारण है।

उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर स्ट्रोक के खतरे को कम किया जा सकता है। स्वास्थ्य की नियमित जाँच, ख़ासतौर पर रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल से जुड़ी हुई जाँचें करवाकर स्ट्रोक का ख़तरा पैदा करने वाले कारणों को आसानी से पहचान सकते हैं। संतुलित आहार, नियमित कसरत को दिनचर्या का हिस्सा बनाकर, शराब और सिगरेट से परहेज़ रखकर स्ट्रोक के ख़तरे को काफ़ी हद नियंत्रित किया जा सकता है।

ऐसे पहचानें लक्षण

हमेशा याद रखें- BEFAST- B= Balance, E= EYE DEVIATION, F= FACIAL DROOP, A= ARM AND LEG WEAKNESS, S = SPEECH change, T= Time to reach stroke Ready hospital शरीर का संतुलन बिगड़ना, नजरें धुँधली होना, चेहरे में टेढ़ापन, हाथ-पाँव ढीले पड़ना, बोलने में परेशानी

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