
🟢 वर्ल्ड किडनी कैंसर डे विशेष रिपोर्ट
धीरे-धीरे बढ़ता ख़ामोश ख़तरा: किडनी कैंसर के मामलों में इज़ाफ़ा, ज़िम्मेदार हैं धूम्रपान और मोटापा
मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ग्रेटर नोएडा
हर साल जून महीने के तीसरे गुरुवार को वर्ल्ड किडनी कैंसर डे मनाया जाता है, जिसका मकसद है इस जानलेवा लेकिन अक्सर ‘साइलेंट किलर’ की तरह सामने आने वाली बीमारी को लेकर जागरूकता फैलाना। इस अवसर पर फोर्टिस हॉस्पिटल ग्रेटर नोएडा के विशेषज्ञों ने चौंकाने वाले आंकड़े और सावधान करने वाली जानकारियाँ साझा कीं।

🩺 हर 100 में 3 से 4 कैंसर केस किडनी से जुड़े
फोर्टिस ग्रेटर नोएडा के नेफ्रोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉ. संकेत किशोर पाटिल के मुताबिक़, उनकी ओपीडी में हर महीने जो नए कैंसर मरीज आते हैं, उनमें 3 से 4 प्रतिशत मरीज किडनी कैंसर से पीड़ित होते हैं।
यह आंकड़ा अपने आप में इस बीमारी के बढ़ते खतरे की ओर इशारा करता है, खासकर तब जब यह रोग पहले सिर्फ बुज़ुर्गों में देखने को मिलता था, लेकिन अब 40 की उम्र पार करते ही जोखिम बढ़ने लगता है।
🚬 बड़ा कारण: तंबाकू, मोटापा और लापरवाही
डॉ. पाटिल बताते हैं कि अनियंत्रित वजन, धूम्रपान और हाई ब्लड प्रेशर इस बीमारी की मुख्य वजहें हैं। तंबाकू और सिगरेट से जुड़ी आदतें किडनी को धीमी गति से नुकसान पहुंचाती हैं, जो आगे चलकर कैंसर का कारण बन सकती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि किडनी कैंसर महिलाओं की तुलना में पुरुषों में लगभग दोगुना अधिक पाया जाता है।
🧪 शुरुआती लक्षणों को न करें नजरअंदाज
“अगर बिना वजह वजन घटने लगे, कमर या पेट के एक ओर लगातार दर्द बना रहे, पेशाब में खून आए या थकावट महसूस हो—तो ये लक्षण किडनी कैंसर के हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में देरी न करें, डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।”
– डॉ. संकेत किशोर पाटिल
🍎 बचाव है बेहतर इलाज से भी ज़रूरी
सही समय पर जांच और जीवनशैली में सुधार से किडनी कैंसर जैसे गंभीर रोग से काफी हद तक बचा जा सकता है।
डॉक्टरों की सलाह है:
- वजन नियंत्रित रखें
- स्मोकिंग और तंबाकू पूरी तरह बंद करें
- ब्लड प्रेशर नियमित जांचते रहें
- फल, सब्ज़ियाँ और फाइबर युक्त आहार लें
छोटी-छोटी सावधानियाँ समय रहते गंभीर बीमारी से बचा सकती हैं।

📣 जागरूकता है पहला इलाज
वर्ल्ड किडनी कैंसर डे का मकसद सिर्फ इलाज की बात करना नहीं, बल्कि लोगों को यह समझाना है कि सक्रिय निगरानी और सटीक जीवनशैली से इस कैंसर को रोका जा सकता है।
फोर्टिस ग्रेटर नोएडा जैसे संस्थान इस दिशा में सतत प्रयासरत हैं, ताकि किडनी कैंसर की पहचान समय पर हो और मौत नहीं, जीवन की राह दिखाई दे।