बडा खुलासाः–एक्सरे- अल्ट्रासाउंड और लैब्रोटेरी के बीच खेला

एक्स.रे, अल्ट्रासाउंड
एक्स.रे, अल्ट्रासाउंड

पीएनडीटी की मीटिंग मेंं करीब 25 फाईल विचाराधीन,जल्द होने जा रही है मीटिंग करीब 12 लाईसेंस दिए जाने तय

रेडियोलॉजिस्ट की रिपोर्ट
रेडियोलॉजिस्ट की रिपोर्ट

1ः- रेडियोलॉजिस्ट की रिपोर्ट ही मान्य होती है

3ः- रोडियो लॉजिस्ट न होने पर सोनीलॉजिस्ट की रिपोर्ट भी वैकल्पिक तौर पर मान ली जाती है

एक्स.रे, अल्ट्रासाउंड,
एक्स.रे, अल्ट्रासाउंड,

रेडियोलोजिस्ट नही है, जिले मेंं टैक्निशियन ही रिपोर्ट बनाने में लगे है और रेडियोलॉस्टि के फर्जी हस्ताक्षर कर आंखों में धूल झोंकने का काम किया जा रहा है

मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/गौतमबुद्धनगर

———————————————————बीमार होने के बाद हम डॉक्टर के पास जाते हैं। डॉक्टर मरीजों को विभिन्न रेडियोलॉजी जांच के लिए कह देते हैं। इसके बाद रेडियोलॉजी केंद्र जाकर एक्स.रे, अल्ट्रासाउंड, सीटी.स्कैन या फिर खून की जांच करने के बाद रिपोर्ट डॉक्टर को सौंपी जाती है। इसी जांच के आधार पर डॉक्टर मरीजों का इलाज करते हैं। गौतमबुद्धनगर की बात करें यहां ज्यातार सेंटर तो बगैर रेडियोलिस्ट और पैथोलोजिस्ट के ही चल रहे हैं। इन एक्स.रे, अल्ट्रासाउंड और पैथोलोजिकल लैब्स में टैक्नशियन ही रिपोर्ट बना रहे हैं। बताया यह भी गया है कि एक्स.रे, अल्ट्रासाउंड और पैथोलोजिकल लैब्स के लिए जिले के स्वास्थ्य विभाग से लाईसेंस लेते वक्त कागजों में रेडियालोजिस्ट और पैथोलोजिस्ट को नियम आडे आ जाने की वजह से दिखाया जाता है। जैसे ही यह एक्स.रे, अल्ट्रासाउंड और पैथोलोजिकल लैब्स चलने शुरू हो जाते हैं, रेडियालोजिस्ट और पैथोलोजिस्ट को किनारे कर दिया जाता है। टैक्नीशियन ही एक्सरे, अल्ट्रासाउंड कर रिपोर्ट बना कर मरीज को थमा देते हैं। रिपोर्ट पर अमुक रेडियालोजिस्ट और पैथोलोजिस्ट के फर्जी हस्ताक्षर किया जाना बाई हाथ का खेल होता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि एक्स.रे, अल्ट्रासाउंड और पैथोलोजिकल लैब्स में यदि रेडियालोजिस्ट और पैथोलोजिस्ट को परमानेंट रखा जाएगा तो बेहद खर्चीला होता है। रेडियोलोजिस्ट न होने पर सोनोलॉजिस्ट वैकल्पिक तौर पर कुछ हद तक काम चला देते हैं। टैक्निशियनों के सहारे चल रहे एक्सरे, अल्ट्रासाउंड केद्रों पर सोनोलॉजिस्ट भी नही है। जब कि कागजों में सब कुछ चंगा चंगा होता है। एक रेडियोलॉजिस्ट व सोनोलॉजिस्ट अधिक से अधिक दो जांच केंद्रों तक ही सेवा दे सकते हैं। बताया यह भी गया है कि रेडियोलोजिस्ट का हर महीने का खर्चा ही करीब 5 लाख रूपये तक पडता है। इसलिए जहां वाकई रेडियोलोजिस्ट हैं वहां पर एक्स.रे कराए जाने का खर्च करीब 500 रूपये और अल्ट्रासाउंड का खर्च 1000 रूपये तक भी आता है। यहां आने वाले मरीजों को इसका पता ही नहीं चल पा रहा है, जो व्यक्ति एक्स.रे कर रहा है, वह रेडियोलॉजिस्ट हैं की नहीं। जिले के स्वास्थ्य विभाग को भी इसकी भनक लगी है। दरअसलए मशीन व रेडियोलॉजिस्ट के नाम देने पर ही स्वास्थ्य विभाग लाइसेंस देता है। कई ऐसे रेडियोलॉजिस्ट दूसरे शहर में बस गये हैं, लेकिन उनके नाम पर केंद्र चलाये जा रहे हैं।

कागजों में सब कुछ चंगा चंगा
कागजों में सब कुछ चंगा चंगा

सेटिंग.गेटिंग का खेल

नियमों की अवहेलना करने वाले कई जांच केंद्र स्वास्थ्य विभाग के कुछ कर्मियों से सेटिंग.गेटिंग से चल रहा है। जब भी कोई कार्रवाई जिला स्तर से होती हैए पहले ही इन जांच घरों को पता चल जाता है। वह फाइलों को दुरूस्त कर लेते हैं या एक.दो दिनों के लिए केंद्र बंद कर देते हैं।

रेडियोलॉजिस्ट व सोनोलॉजिस्ट में जानें अंतर

एक्सपर्ट बातते हैं कि रेडियोलॉजिस्ट एमबीबीएस करके एमडी की पढाई रेडियोलॉजी से करते हैं। यह सभी प्रकार के रेडियोलॉजी जांच कर सकते हैं, लेकिन सोनोलॉजिस्ट केवल अल्ट्रासोनोग्राफी कर सकते हैं। यह एमबीबीएस के साथ सोनोलॉजी में डिप्लोमा होते हैं।

रेडियोलॉजिस्ट
रेडियोलॉजिस्ट

पैथोलोजिकल लैब्स में भी खेला

यही हाल पैथोलोजिकल लैब्स का भी होता है। पैथोलोजिस्ट डा0 भावना पांडेय बताती हैं कि कोई भी पैथोलोजिकल लैब्स हो एक एमबीबीएस डाक्टर यानी पैथालोजिस्ट के सहारे ही चलना चाहिए यानी कि मानक तय किए गए हैं कि नमूनों यानी सैंपल बेशक टैक्नीशियन लें, मगर जांच एक पैथालोजिस्ट की सुपरविजन में ही होनी चाहिए और रिपोर्ट भी। गौतमबुद्धनगर के दादरी, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, दनकौर, बिलासपुर, रबूपुरा, जेवर, जहांगीरपुर में पैथोलोजिकल लैब्स बगैर पैथालोजिस्ट के सहारे ही चल रहे हैं।

गौतमबुद्धनगर स्वास्थ्य विभाग जल्द जारी करेगा लाईसेंस

गौतमबुद्धनगर स्वास्थ्य विभाग

एक्स.रे, अल्ट्रासाउंड सेंटरों के लिए हर बार वर्ष में एक बार लाईसेंस जारी किए जाते हैं। पीएनडीटी की मीटिंग होती है और तय किए मानकों पर खरे पाए जाने वाले एक्स.रे, अल्ट्रासाउंड सेंटरों को लाईसेंस जारी कर दिया जाता है। सूत्रों की मानें तो गौतमबुद्धनगर स्वास्थ्य विभाग में इस बार भी ेंं करीब 25 फाईल विचाराधीन हैं जिनमें से करीब 12 लोगों को हीएक्स.रे, अल्ट्रासाउंड सेंटरों का लाईसेंस दिया जा सकता है। पीएनडीटी की मीटिंग में जिले के डीएम और कई स्वास्थ्य विभाग और संबंधित विभागों के अधिकारी शामिल होते हैं।

 

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