वर्ल्ड नो टोबैको डे पर आइए, तंबाकू नहीं… ज़िंदगी चुनें। प्रण लें—प्राण बचाने का।


World No Tobacco Day Special: तंबाकू से दूरी… सेहत से जुड़ने का संकल्प

मौहम्मद इल्यास “दनकौरी” / ग्रेटर नोएडा

“तंबाकू—वो धीमा ज़हर जो सांसों को चुरा लेता है, पहचान को बदल देता है और ज़िंदगी को चुपचाप निगल जाता है।”
हर साल 31 मई को दुनिया भर में विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मकसद साफ है—लोगों को तंबाकू और निकोटीन से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करना और इस लत से दूर रहने के लिए प्रेरित करना।

इस वर्ष की थीम—“आकर्षण का पर्दाफाश: तंबाकू और निकोटीन उत्पादों पर उद्योग की रणनीतियों को उजागर करना”—अपने आप में एक गहरी सच्चाई उजागर करती है। कैसे यह उद्योग नई-नई पैकेजिंग, फ्लेवर और ‘स्टाइलिश’ मार्केटिंग के सहारे युवाओं को फंसाने की कोशिश कर रहा है। अब यह सिर्फ बीड़ी या सिगरेट नहीं रही, अब ये ‘वेपिंग’, ‘ई-सिगरेट’ और ‘फ्लेवर’ के नकाब में छुपे ज़हर हैं।

दिल्ली-एनसीआर के शहरी इलाक़ों में इस बार युवाओं को जागरूक करने के लिए विशेष गतिविधियाँ आयोजित की गईं। इन अभियानों का केंद्रबिंदु था—युवाओं की सोच पर हमला करने वाले ‘नए तंबाकू उत्पादों’ की सच्चाई से पर्दा उठाना।
जैसे ही कोई युवा सोचने लगता है कि एक छोटी सी डिवाइस या फ्लेवरयुक्त सिगरेट से वह ‘कूल’ या ‘स्मार्ट’ दिखेगा—वहीं से उसकी सेहत का पतन शुरू हो जाता है।

तंबाकू का भ्रम—निकोटीन का सच

आज के दौर में युवाओं में एक और खतरनाक धारणा तेज़ी से फैल रही है—कि निकोटीन तनाव कम करता है, फोकस बढ़ाता है और पढ़ाई या काम में मदद करता है। यह एक गहरी भ्रांति है।
हकीकत यह है कि निकोटीन सिर्फ एक लत है, जो धीरे-धीरे दिमाग और शरीर दोनों को खोखला कर देती है।
इस भ्रम को तोड़ना, और एक नई सोच को जन्म देना—आज की सबसे बड़ी सामाजिक ज़िम्मेदारी बन चुकी है।

डॉक्टरी चेतावनी: “तंबाकू का कोई विकल्प सुरक्षित नहीं”

फोर्टिस ग्रेटर नोएडा की एडिशनल डायरेक्टर – रेस्पिरेटरी मेडिसिन, डॉ. तनुश्री गहलोत ने साफ तौर पर चेताया—

“ई-सिगरेट हो या गुटखा, हुक्का हो या बीड़ी—हर रूप में तंबाकू नुकसान ही करता है। ई-सिगरेट को सुरक्षित मानना भी एक खतरनाक भ्रम है। निकोटीन की लत सिर्फ फेफड़ों ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। आजकल सेकेंड हैंड स्मोकिंग का खतरा भी बढ़ रहा है। जो खुद धूम्रपान नहीं करते, वे भी दूसरों के धुएं से बीमार हो रहे हैं।”

एनसीआर जैसे इलाकों में जहां वायु प्रदूषण पहले से ही एक गंभीर चुनौती है, वहां तंबाकू जनित धुआं हालात को और बिगाड़ देता है। ऐसे में यह नशा किसी व्यक्ति की नहीं, पूरी समाज की सांसों पर हमला है।

सांख्यिकी से सच्चाई: खतरे की गहराई

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2019-21 के आंकड़े भयावह तस्वीर पेश करते हैं—

  • भारत में हर 10 में से 4 पुरुष (38%) और 10 में से 1 महिला (9%) किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करती हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में यह संख्या और अधिक है—पुरुषों में 42.7% और महिलाओं में 10.5%

इन आंकड़ों से साफ है कि तंबाकू की लत शहर और गांव दोनों को अपनी चपेट में ले चुकी है।


अब वक्त है—बदलाव का, संकल्प का

विश्व तंबाकू निषेध दिवस सिर्फ एक दिन नहीं, एक मौका है सोच बदलने का, भ्रम तोड़ने का और सेहत से जुड़ने का।
अब वक्त है कहने का—

👉 “ना तंबाकू, ना भ्रम—स्वस्थ जीवन हमारा धर्म!”
👉 “स्टाइल वही जो जान बचाए, न कि जो ज़हर खिलाए!”


इस वर्ल्ड नो टोबैको डे पर आइए, तंबाकू नहीं… ज़िंदगी चुनें।
प्रण लें—प्राण बचाने का।

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