साजिश के शिकंजे में मुस्लिम सियासतदां!


इनके नेता भी इनकी हिमायत में खड़े नही होते

असलम परवेज
ओमप्रकाश राजभर तो NDA का हिस्सा है तो फिर अब्बास अंसारी के मामले में ऐसा क्यों ? रविवार के दिन कार्यालय खोलकर सदस्यता रद्द की गई । मउ सदर विधानसभा सीट रिक्त घोषित कर दी गई ।
इस मामले में न तो ओमप्रकाश राजभर बोलेगे ,न अखिलेश यादव ,न मायावती और कांग्रेस तो बिल्कुल नही बोलेगी अगर वही राहुल गांधी के खिलाफ होतो सभी दल सरकार के विरोध में बोलना शुरू कर देंगे । आज़म खान के परिवार का राजनीतिक कैरियर समाप्त करने बाद अफ़ज़ाल अंसारी और उसके बाद अब अब्बास अंसारी की बारी है ।
2022 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सपा में गठबंधन था इस वजह से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी विधानसभा की 6 सीटें जितने में कामयाब हो गई लेकिन फिर दुबारा NDA में ओमप्रकाश राजभर के शामिल होने से गठबंधन टूट गया । पूर्व सांसद अतीक अहमद , पूर्व विधायक अशरफ अहमद की पुलिस कस्टडी में हत्या भी सवालों के घेरे में है । मुख्तार अंसारी की मौत पर भी परिवार वालो ने सरकार पर साजिश रचने के आरोप लगाए थे ।
विधानसभा चुनाव में सपा को मुसलमानो का 98 % वोट मिला था । इतना ही लोकसभा के चुनाव में भी सपा को मिला था । 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा ने 37 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल कर लोकसभा में तीसरे नम्बर की पार्टी बनी इसके बावजूद सपा सुप्रीमो मुसलमानो पर हुए जुल्म के खिलाफ बोलते नही ।


सदन में गाली देने वाले मंत्रियों सांसदों के खिलाफ कोई करवाई क्यो नही करती सरकार ? इन पे करवाई इसलिए नही होती कि ये सत्ताधारी दल के नेता है । फर्जी सेक्युलर नेताओं को उनकी ये खामोशी उन्हीं पर भारी पड़ने वाली है , बसपा अंजाम देख चुके है । मुसलमानो ने जिससे अपनी वैशाखी छीन ली वह अब तक खड़े नही हो पाए 1989 में मुसलमानो ने कांग्रेस का साथ छोड़ तो वो आज तक लंगड़ा कर चल रही है ।
वह चाहे महाराष्ट्र के बाबा सिद्दीकी हो या बिहार के राजद के मरहूम मोहम्मद सहाबूद्दीन हो सबको एक साजिश के तहत निपटाया गया । भाजपा में सैकड़ो नेता है जिनके पर गम्भीर धाराओं में मुकदमे चल रहे है लेकिन उन्हें आज तक सजा नही हुई । भारत का मुसलमान न्याय पालिका की दिल से कद्र करता और उसे पक्का यकीन है कि देश की अदालत उन्हें एक दिन जरूर इंसाफ देगी । आज भारत के मुसलमानो के साथ जो कुछ भी हो रहा है वह सिर्फ एक सियासी साजिश के सिवा कुछ भी नहीं है । देश के मुस्लिम सियासतदां बहुत बुरी तरह सियासत के शिकंजे में फंसे हुए है ।

लेखक:- असलम परवेज सामाजिक चिंतक, विचारक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate

can't copy

×