कानून रिव्यूः-करीब 8 वर्ष की कानूनी लडाई के बाद इंसाफ मिल पाया
अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश, पॉक्सो अधिनियम ( प्रथम ) गौतमबुद्धनगर विकास नागर ने संदेह का लाभ देते हुए भरी अदालत में यह फैसला सुनायाः संजीव वर्मा एडवोकेट
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/ग्रेटर नोएडा
युवती की जान पहचान कॉल सेंटर में हुई और फिर प्यार परवान चढा। शादी तक बात आते आते बिगड गई। प्रेमी और परिवार वालों की इन बातों से खफा युवती फरियाद लेकर पुलिस के पास पहुंची, मगर वहां से भी उसे निराश लौटना पडा। गौतमबुद्धनगर में उस समय के एसएसपी से पीडिता ने र्दद बयान करते हुए शिकायत की। एसएसपी के आदेश पर युवक के खिलाफ शादी का झांसा और बलात्कार किए जाने का मामला दर्ज कर लिया गया। इस मामले में गौतमबुद्धनगर की जिला अदालत ने प्रेमी युवक को बाईज्जत बरी कर दिया गया है। अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश, पॉक्सो अधिनियम ( प्रथम ) गौतमबुद्धनगर विकास नागर ने संदेह का लाभ देते हुए भरी अदालत में यह फैसला सुनाया है।
शादी का झांसा देकर बलात्कार किये जाने और पैसे ठग लिये जाने का यह मामला नोएडा क्षेत्र में प्रकाश आया। करीब 17 वर्षीय युवती काल सेंटर में कार्य करती थी और जिसकी मुलाकात आयुष गुप्ता निवासी शाहदरा दिल्ली से हुई। युवक आयुष गुप्ता को जब यह पता चला कि युवती अपने माता पिता की लाडली संतान और सारी संपत्ति की उत्तराधिकारी है, तो मीठी मीठी बातों में फंसा लिया। प्यार परवान चढने के बाद बात शादी तक आ पहुंची। किंतु 10 लाख रूपये पर बात अटक गई। प्रेमी युवक के परिजनों की ओर से शर्त रख गई कि 10 लाख रूपये लाकर दें तभी शादी हो सकती है। जब ऐसा नही हुआ तो युवती को कलकत्ता में छोड कर प्रेमी खिसक लिया। पीडित युवती पहले नोएडा की पुलिस के पास पहुंची और आपबीती कह सुनाई। आखिर पुलिस के स्तर से कोई कार्यवाही नही की गई। तब पीडित युवती ने उस समय के एसएसपी गौतमबुद्धनगर से अपना दर्द बयान करते हुए आरोपी के खिलाफ कार्यवाही किए जाने की फरियाद लगाई। पुलिस हरकत में आई और एसएसपी के आदेश पर प्रेमी युवक के खिलाफ गत दिनांक 14-05-2015 को शादी का झांसा देकर बलात्कार किये जाने और पैसे ठग लिये जाने का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता व दीवानी एंव फौजदारी बार एसोसिएशन गौतमबुद्धनगर के पूर्व अध्यक्ष संजीव वर्मा एडवोकेट ने अदालत के सामने सुबूत और दलीलें पेश की। बचाव पक्ष के अधिवक्ता संजीव वर्मा एडवोकेट ने बताया कि बचाव पक्ष आयुष गुप्ता पर आरोप साबित नही हो पाए और उन्हें संदेह का लाभ मिला। करीब 8 वर्ष की कानूनी लडाई के बाद इंसाफ मिल पाया। अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश, पॉक्सो अधिनियम ( प्रथम ) गौतमबुद्धनगर विकास नागर ने संदेह का लाभ देते हुए आरोपी आयुष गुप्ता को बाईज्जत बरी करते भरी अदालत में यह फैसला सुनाया है।