महापर्व गुरुपूर्णिमा – ॐ श्री गुरुदेवाय नमः

श्री श्री 1008 महामंडलेश्वरआचार्य अशोकानंद जी महाराज                 योगीराज ( सूर्यवंशी )
श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर
आचार्य अशोकानंद जी महाराज
                योगीराज ( सूर्यवंशी )

 

गुरु पूजन

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः | गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ||

ध्यानमूलं गुरुर्मूर्ति पूजामूलं गुरोः पदम् | मंत्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरोः कृपा ||

अखंडमंडलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् | तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ||

त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव | त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव ||

ब्रह्मानंदं परम सुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं | द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्षयम् ||

एकं नित्यं विमलं अचलं सर्वधीसाक्षीभूतम् | भावातीतं त्रिगुणरहितं सदगुरुं तं नमामि ||

ऐसे महिमावान श्री सदगुरुदेव के पावन चरणकमलों का षोड़शोपचार से पूजन करने से साधक-शिष्य का हृदय शीघ्र शुद्ध और उन्नत बन जाता है | मानसपूजा इस प्रकार कर सकते हैं | मन ही मन भावना करो कि हम गुरुदेव के श्री चरण धो रहे हैं … सर्वतीर्थों के जल से उनके पादारविन्द को स्नान करा रहे हैं | खूब आदर एवं कृतज्ञतापूर्वक उनके श्रीचरणों में दृष्टि रखकर … श्रीचरणों को प्यार करते हुए उनको नहला रहे हैं … उनके तेजोमय ललाट में शुद्ध चन्दन से तिलक कर रहे हैं … अक्षत चढ़ा रहे हैं … अपने हाथों से बनाई हुई गुलाब के सुन्दर फूलों की सुहावनी माला अर्पित करके अपने हाथ पवित्र कर रहे हैं … पाँच कर्मेन्द्रियों की, पाँच ज्ञानेन्द्रियों की एवं ग्यारहवें मन की चेष्टाएँ गुरुदेव के श्री चरणों में अर्पित कर रहे हैं …

श्री श्री 1008 महामंडलेश्वरआचार्य अशोकानंद जी महाराज                 योगीराज ( सूर्यवंशी )
श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर
आचार्य अशोकानंद जी महाराज
                योगीराज ( सूर्यवंशी )

 कायेन वाचा मनसेन्द्रियैवा बुध्यात्मना वा प्रकृतेः स्वभावात् |

करोमि यद् यद् सकलं परस्मै नारायणायेति समर्पयामि ||

शरीर से, वाणी से, मन से, इन्द्रियों से, बुद्धि से अथवा प्रकृति के स्वभाव से जो जो करते  हैं वह सब समर्पित करते हैं | हमारे जो कुछ कर्म हैं, हे गुरुदेव, वे सब आपके श्री चरणों में समर्पित हैं … हमारा कर्त्तापन का भाव, हमारा भोक्तापन का भाव आपके श्रीचरणों में समर्पित है |

इस प्रकार ब्रह्मवेत्ता सदगुरु की कृपा को, ज्ञान को, आत्मशान्ति को, हृदय में भरते हुए, उनके अमृत वचनों पर अडिग बनते हुए अन्तर्मुख हो जाओ … आनन्दमय बनते जाओ …

महापर्व गुरू पूर्णिमा
महापर्व गुरू पूर्णिमा के मौके पर शुक्रताल मुजफ्फरनगर में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेते हुए….
महापर्व गुरू पूर्णिमा
महापर्व गुरू पूर्णिमा के मौके पर शुक्रताल मुजफ्फरनगर में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेते हुए….

ॐ श्री गुरुदेवाय नमः

ॐ बाबा मोहन राम देवाय नमः

प्रेषक/लेखक

श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर

आचार्य अशोकानंद जी महाराज

                योगीराज ( सूर्यवंशी )

पीठाधीश्वर

संस्थापक/राष्ट्रीय अध्यक्ष

श्री मोहन दिव्य योग मन्दिर ट्रस्ट

तीर्थ क्षेत्र (बिसरख धाम)

रावण जन्म स्थली

वरिष्ठ उपाध्यक्ष:-

अंतर्राष्ट्रीय सूर्यवंशी अखाड़ा

       युरोपियन कंट्री पुर्तगाल

वरिष्ठ उपाध्यक्ष / संयोजक

हिन्दू रक्षा सेना ( अंतर्राष्ट्रीय )

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