
मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/गौतमबुद्धनगर
गौतमबुद्ध नगर जनपद के ग्राम हल्दौनी निवासी सरफराज अली पुत्र सरदार अली, ने एक गंभीर शिकायत पुलिस आयुक्त को भेजी है, जिसमें गांव के एक डॉक्टर दंपत्ति और उनके परिजनों पर किडनी रैकेट से संबंध, हवाला कारोबार और 80 करोड़ रुपये से अधिक की बैनामी संपत्ति के अवैध क्रय-विक्रय का आरोप लगाया गया है।
शिकायतकर्ता का विवरण
शिकायतकर्ता सरफराज अली, ग्राम हल्दौनी, तहसील दादरी, जिला गौतमबुद्ध नगर के निवासी हैं। उन्होंने यह शिकायत पुलिस आयुक्त के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सरकार की जनसुनवाई पोर्टल (संदर्भ संख्या: 40014125022489) पर भी दर्ज कराई है। शिकायत 20 जून 2025 को दी गई थी।
डॉक्टर दंपत्ति और परिजनों पर गंभीर आरोप
शिकायत में कहा गया है कि ग्राम हल्दौनी के एक परिवार, जिसमें एक डॉक्टर दंपत्ति, उनके माता-पिता और अन्य सदस्य शामिल हैं, की आमदनी बहुत सीमित है। इसके बावजूद उन्होंने बीते कुछ वर्षों में कई करोड़ रुपये की संपत्तियाँ खरीदी हैं। डॉक्टर दंपत्ति अभी पढ़ाई कर रहे हैं, फिर भी उन्होंने महंगे मेडिकल कॉलेजों में डोनेशन देकर एमडी की पढ़ाई की है, जो कि आर्थिक असमानता और काले धन के उपयोग की ओर इशारा करता है।

किडनी रैकेट और हवाला से संबंध
स्थानीय स्तर पर यह चर्चा है कि उक्त डॉक्टर दंपत्ति कथित तौर पर एक किडनी रैकेट से जुड़े हुए हैं। उनके माध्यम से कई संदिग्ध किडनी ट्रांसप्लांट कराए गए हैं, जिनसे करोड़ों रुपये की अवैध आय अर्जित की गई। साथ ही, हवाला के जरिए लेनदेन किए जाने की भी आशंका जताई गई है।
राजनीतिक संरक्षण का आरोप
शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया है कि डॉक्टर दंपत्ति में से एक का संबंध एक वरिष्ठ राजनीतिक परिवार से है, जिससे उन्हें संरक्षण प्राप्त है। इसके कारण इनके विरुद्ध कोई सख्त कानूनी कार्रवाई नहीं हो पा रही है और अधिकतर शिकायतों का स्थानीय स्तर पर ही निस्तारण कर दिया जाता है।
बेशुमार बैनामी संपत्तियां
शिकायत में वर्ष 2022 में दर्ज की गईं लगभग 8 संपत्तियों का विवरण है, जिनमें 149 से 277 वर्ग मीटर तक के प्लॉट शामिल हैं। इनकी रजिस्ट्री हल्दौनी गांव में की गई है। बाजार भाव के अनुसार इनकी कीमत करीब 40 करोड़ रुपये आँकी गई है, जबकि रजिस्ट्री में बहुत कम राशि दर्शाई गई है। आरोप है कि असली लेनदेन नकद और काले धन में हुआ है।
शिकायत में प्रत्येक संपत्ति का रजिस्ट्री नंबर, खसरा नंबर, विक्रेता का नाम व पंजीकरण कार्यालय के विवरण तक दिए गए हैं। साथ ही आरोप है कि रजिस्ट्री में प्लॉट पर कोई निर्माण न दिखाकर स्टांप शुल्क की चोरी की गई है, जबकि मौके पर निर्माण स्पष्ट रूप से मौजूद है।
CBCID/SIT जांच की मांग
शिकायतकर्ता सरफराज अली ने मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच CBCID या SIT जैसी उच्चस्तरीय स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराई जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके। उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2017 तक यह परिवार निम्न आर्थिक वर्ग में था, लेकिन आज यह 80 करोड़ से अधिक की संपत्ति का स्वामी कैसे बन गया—यह जांच का विषय है।

निष्पक्ष और प्रभावी जांच
यदि शिकायत में लगाए गए आरोपों में सच्चाई है तो यह मामला केवल आर्थिक अपराध ही नहीं बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार और राजनीतिक संरक्षण के दुरुपयोग का एक गम्भीर उदाहरण बन सकता है। अब पुलिस और प्रशासन की जवाबदेही बनती है कि निष्पक्ष और प्रभावी जांच हो।