कासना भूमि विवाद का पटाक्षेप: ओमवीर और सुरेंद्र चौहान के नाम से लगाए आरोप निराधार, हाई कोर्ट के आदेश से विवाद सुलझा


डीएम को सौंपा शपथ पत्र, झूठी शिकायत को बताया आपसी रंजिश का नतीजा; खसरा संख्या 639 की भूमि किसानों के पक्ष में हुई निष्पादित


मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ग्रेटर नोएडा
गौतमबुद्धनगर के कासना गांव में कथित सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर उभरे विवाद में नया मोड़ आ गया है। इस प्रकरण में जिन लोगों के नाम से शिकायत दर्ज कराई गई थी, उन्होंने स्वयं आगे आकर इसे झूठा और दुर्भावनापूर्ण करार दिया है।

ग्राम कासना के निवासी ओमवीर चौहान उर्फ ओमवीर सिंह पुत्र चंद्रपाल और सुरेंद्र चौहान पुत्र संतराम चौहान ने जिलाधिकारी गौतमबुद्धनगर के समक्ष प्रस्तुत होकर स्पष्ट किया कि उनके नाम से की गई शिकायत नितांत निराधार और झूठी है। उन्होंने डीएम कार्यालय में शपथ पत्र और आधार कार्ड सहित दस्तावेज पेश कर कहा कि इस शिकायत से उनका कोई लेना-देना नहीं है और यह किसी स्थानीय रंजिश के चलते उनके नाम पर झूठी शिकायत दर्ज कराई गई है।

प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि दिनांक 28 मार्च 2025 को खसरा संख्या 639, 660 और 1337 पर कब्जे को लेकर उनके नाम से शिकायत दाखिल की गई थी, जबकि वे शांतिपूर्ण और कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं। उनका इस विवाद से कोई संबंध नहीं है और शिकायत पर कार्रवाई तत्काल समाप्त की जाए

डीएम द्वारा उन्हें आश्वस्त किया गया है कि झूठी शिकायत को बंद कर दिया जाएगा। यह प्रकरण अब प्रशासनिक स्तर पर समाप्त माना जा रहा है।

हाई कोर्ट का आदेश भी आया सामने

खसरा संख्या 639 के संबंध में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज सामने आया है। दिनांक 29 मई 2025 को उच्च न्यायालय के आदेशानुसार, 5 बीघा भूमि का वैधानिक निस्तारण किसानों के पक्ष में कर दिया गया है। यह फैसला इस बात का प्रमाण है कि मामले को लेकर कोई अवैध गतिविधि नहीं हुई और न्यायालय ने वैधानिक रूप से फैसला सुनाया है।


कानूनी प्रक्रिया और न्यायालय दोनों ही अब सच्चाई के पक्ष में खड़े

कासना गांव में सरकारी भूमि कब्जे को लेकर उठा विवाद आपसी रंजिश और अफवाहों की देन था। ओमवीर चौहान और सुरेंद्र चौहान ने स्पष्ट कर दिया है कि उनका नाम इस विवाद में अनावश्यक रूप से घसीटा गया, जबकि कानूनी प्रक्रिया और न्यायालय दोनों ही अब सच्चाई के पक्ष में खड़े हैं।

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