वैदिक रूप में कैसे मनाएँ दीपावली का शुभ पर्व ? जिससे आप की समस्त शुभ मनोकामनाएँ होंगी पूर्ण, बता रहे है महामंडलेश्वर आचार्य अशोकानंद जी महाराज बिसरख धाम।
दीपावली पर कुछ खास प्रयोग, जो बदल देंगे आपके भाग्य की रेखायें-–
दीपावली की रात्रि का जप हजार गुणा फलदायी होता है।
4 महारात्रियाँ हैं – 1- दीपावली , 2– शिवरात्रि, 3–होली और 4–जन्माष्टमी। ये सिद्ध रात्रियाँ कहलाती हैं । यह साधक के भाग्य की रेखा बदलने वाली रात्रियाँ हैं। अधिक से अधिक जप करके इन रात्रियों का लाभ उठाना चाहिए।
दीपावली की रात्रि जप करने योग्य लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र ।
दीपावली की रात कुबेर भगवान ने लक्ष्मी जी की आराधना की थी जिससे वे धनाढ्यपतियों के भी धनाढ्य कुबेर भंडारी के नाम से प्रसिद्ध हुए, ऐसा इस काल का महत्व है।
रात्रि को दीया जलाकर इस सरल मन्त्र का यथा शक्ति जप करें :-
*ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमल वासिन्यै स्वाहा।
लक्ष्मी प्राप्ति हेतु अपने गुरुदेव के श्रीचित्र पर विशेष तिलक
दीपावली के दिन लौंग और इलायची को जलाकर राख कर दें और उससे गुरुदेव (श्रीचित्र) को तिलक करें। ऐसा करने से लक्ष्मी प्राप्ति में मदद मिलती है, और कार्यों में उन्नति आती है।
सुख-सम्पत्ति की वृद्धि के लिए दो विशेष दीपक
दीपावली के दिन घर के मुख्य दरवाजे के दायीं और बायीं ओर गेहूँ की छोटी-छोटी ढेरी लगा कर उस पर दो दीपक जला दें। हो सके तो वह रात भर जलते रहें, इससे आपके घर में सुख – सम्पत्ति की वृद्धि होगी।
दीपावली की रात्रि को थोड़ी खीर कटोरी में डाल कर और नारियल लेकर घूमना और मन में ‘लक्ष्मी-नारायण’ जप करना ; खीर ऐसी जगह रखना जहां किसी का पैर ना पड़े और गाय, कौए आदि खा जाएँ। नारियल अपने घर के मुख्य दरवाजे पर फोड़ देना और उसकी प्रसादी बाँटना। इससे घर में आनन्द और सुख-शान्ति रहेगी।
परिवार की तीनों तापों से रक्षा के लिए – कपूर ।
दीपावली के दिन चाँदी की कटोरी में अगर कपूर को जलाएँ, तो परिवार में तीनों तापों से रक्षा होती है।
प्रसन्नता एवं रोगप्रतिकारक शक्ति-वर्धक – तोरण ।
पहले के समय में गाँवों में दीपावली के दिनों में नीम और अशोक वृक्ष के पत्तों के तोरण (बन्दनवार) बंधते थे। अशोक और नीम के पत्तों में रोग प्रति कारक शक्ति होती है।
उस तोरण के नीचे से गुजर कर जाने से वर्षभर रोग प्रति कारक शक्ति बनी रहती है।
वर्ष के प्रथम दिन आप भी अपने घरों में तोरण बाँधकर इसका लाभ उठाएं।
लक्ष्मी प्राप्ति हेतु तुलसी के निकट जलाएँ दीपक ।
दीपावली की सन्ध्या को तुलसी जी के निकट दीया जलाएँ, इससे लक्ष्मी जी अति प्रसन्न होती है।
कुछ विशेष सावधानियां, बाजारू मिठाईयों, कुरकुरे आदि से सावधान
मिठाईयों में शुद्ध बेसन व शुद्ध चीजों की बनी मिठाई शगुन समझ कर थोड़ी बहुत खा लें लेकिन रसगुल्ले, मावा, पनीर से बनी मिठाईयाँ दूर से ही त्याग दें।
मावा, रसगुल्ला व बर्फी किडनी, हृदय, नाड़ीतंत्र एवं पाचनतंत्र को नुकसान पहुँचाते-पहुँचाते असमय बुढ़ापा और बुढ़ापे में ऑपरेशनों का शिकार बना देते हैं।
कुरकुरे आदि नमकीन में कुरकुरापन बढ़ाने के लिए बेसन के बदले चावल का आटा अथवा कुछ कैमिकल मिलाया जाता है, जो आँतों के लिए बहुत हानि कारक है।
दीपावली के दिन अवश्य करें – सत्संग श्रवण ।
दीपावली, जन्म-दिवस और नूतन-वर्ष के दिन प्रयत्न-पूर्वक सत्संग सुनना चाहिए, विशेष लाभ होता है।
अशोक एवं पीपल वृक्ष के नीचे जलाएँ दीपक ।
दीपावली की शाम को अशोक वृक्ष के नीचे देशी घी का दीया जलाएँ, तो बहुत शुभ माना जाता है।
हर अमावस्या को (और दीपावली को भी) पीपल के पेड़ के नीचे दीया जलाने से पितृ और देवता प्रसन्न होते हैं और अच्छी आत्माएँ घर में जन्म लेती हैं।
बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती का पूजन ।
दीपावली की रात्रि को लक्ष्मी-गणेश पूजन के साथ बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती जी का भी पूजन किया जाता है, जिससे लक्ष्मी के साथ-साथ आप को विद्या भी मिले। विद्या भी केवल पेट भरने की विद्या नहीं, वरन वह विद्या जिससे आपके जीवन में सदकर्मों के पुष्प महकें।और आप समस्त संसार को सुगंधित करें । निरन्तर आने वाले कष्टों के निवारण के लिए हवन ।
घर में कोई न कोई कष्ट हमेशा रहता हो तो डरें नहीं, हर अमावस्या को ( दीपावली को भी) घर के लोग घी, चावल, काले तिल, जौ, गुड़, कपूर, गूगल, चन्दन-चूर – इन आठ चीजों का मिश्रण बनाकर गाय के गोबर के कण्डे पर —
स्थान देवताभ्यो नमः
ग्राम देवताभ्यो नमः
कुल देवताभ्यो नम
मन्त्रों की 5-5 आहुतियाँ दें।
इससे स्वास्थ्य ठीक होगा और पीपल काटने का दोष हो या किसी देवता का दोष हो, दुःस्वप्न, पितृदोष आदि कुछ हो गया हो तो रक्षा होती है।
गरीबों की दुआएँ…दुर्भाग्य को बदलें सौभाग्य में ।
दीपावली के दिन गरीब बच्चों को एक-एक टुकड़ा मिठाई का बाँटकर आएँगे तो बच्चों की शुभकामनाएँ मिलेगी, वह शुभकामनाएँ अपके दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल देंगी।
कच्चे आलू से करें पटाखों से जलने पर ईलाज ।
दीपावली के दिनों में पटाखे, दीये आदि से या अन्य दिनों में अग्नि से शरीर का कोई अंग जल जाए तो जले हुए स्थान पर तुरन्त कच्चे आलू का रस लगाना व उसके चिप्स पीड़ित स्थान पर रखना पर्याप्त है। उससे न फोड़ा होगा, न घाव बनेगा, न ही अन्य औषधि की आवश्यकता होगी।
आचार्य अशोकानन्द जी महाराज
योगीराज (सूर्यवंशी)
श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर
आचार्य अशोकानन्द जी महाराज
योगीराज (सूर्यवंशी)
अंतर्राष्ट्रीय सूर्यवंशी अखाड़ा पुर्तगाल (यूरोपियन कंट्री)
एवम्
संस्थापक/राष्ट्रीय अध्यक्ष
पीठाधीश्वर
श्री मोहन दिव्य योग मन्दिर ट्रस्ट
बिसरख धाम-रावण जन्म स्थली
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
हिन्दू रक्षा सेना (भारत)
आजीवन संरक्षक
दिव्य प्रेम सेवा मिशन हरिद्वार