ग्रेटर नोएडा में अवैध ठेली-पटरी का साम्राज्य — प्राधिकरण, ठेकेदार और आरडब्ल्यूए की मिलीभगत से फल-फूल रहा कारोबार

     मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी“/ ग्रेटर नोएडा
ग्रेटर नोएडा की सड़कों पर अवैध ठेली-पटरी का कारोबार खुलेआम फल-फूल रहा है। शहर के हर वर्क सर्कल में यह धंधा प्राधिकरण के सुपरवाइजरों, तयबजारी ठेकेदारों और सेक्टर आरडब्ल्यूए की मिलीभगत से पनप रहा है। जहां सड़कों पर अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है, वहीं करोड़ों रुपये खर्च करके बनाए गए वेंडिंग जोन खाली पड़े हैं।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्राधिकरण ने शहर को अतिक्रमण-मुक्त बनाने के लिए वेंडिंग जोन तो बना दिए, लेकिन न तो वेंडर्स को नियमानुसार स्थान आवंटित किया गया और न ही निगरानी तंत्र को मजबूत किया गया। परिणामस्वरूप, सड़कों पर ठेलियां और दुकानें फिर से फैल गईं, जिससे यातायात व्यवस्था चरमरा गई है।


सरकार ने निरस्त किए तयबजारी के ठेके, फिर भी जारी है वसूली का खेल

प्रदेश सरकार द्वारा तयबजारी ठेके निरस्त किए जाने के बाद भी ग्रेटर नोएडा में पर्ची वसूली और ठेली हटाने का सिलसिला जारी है। सूत्रों के अनुसार, प्राधिकरण के कुछ अधिकारी और ठेकेदार स्वच्छता अभियान के नाम पर ठेलियों को जब्त करते हैं और फिर कथित रूप से रिश्वत लेकर उन्हें दोबारा लगाने की अनुमति देते हैं।

वहीं कई सेक्टरों में आरडब्ल्यूए स्तर पर भी “सुरक्षा शुल्क” या “प्रवेश शुल्क” के नाम पर अवैध वसूली का खेल चल रहा है। यह समानांतर व्यवस्था न केवल कानून-व्यवस्था को चुनौती दे रही है बल्कि प्राधिकरण की छवि पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रही है।


निर्धनों की मजबूरी, धनवानों का खेल

इस पूरी व्यवस्था का सबसे शोषित पक्ष वे ठेला लगाने वाले लोग हैं जो रोज़ी-रोटी की तलाश में दूर-दराज़ के गांवों से शहर आते हैं। उनके लिए यह ठेला ही परिवार का पेट पालने का जरिया है। लेकिन उनके इस संघर्ष के पीछे छिपा है एक बड़ा खेल — ऐसा खेल जिसमें गरीबों की मेहनत, अफसरों की उदासीनता और ठेकेदारों की लालच ने मिलकर एक “अवैध अर्थव्यवस्था” खड़ी कर दी है।


चैनपाल प्रधान ने उठाई ठेली-पटरी वालों की आवाज़

हिंदू युवा वाहिनी के पूर्व जिला अध्यक्ष चैनपाल प्रधान ने ठेली-पटरी वालों के पक्ष में बयान देते हुए कहा —

“ये लोग कोई अपराधी नहीं, बल्कि मेहनतकश हैं जो अपने परिवार का पेट भरने के लिए पसीना बहा रहे हैं। प्राधिकरण को इन पर कार्रवाई करने से पहले इनके लिए स्थायी वेंडिंग जोन उपलब्ध कराने चाहिए। शहर की व्यवस्था ठीक रखना जरूरी है, लेकिन गरीबों की रोज़ी-रोटी छीनना समाधान नहीं हो सकता।”

चैनपाल प्रधान ने यह भी कहा कि वह जल्द ही इस मुद्दे को उच्च अधिकारियों के सामने उठाएंगे ताकि ठेला-पटरी वालों को स्थायी समाधान मिल सके और प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पारदर्शी बन सके।


सवाल बाकी है…

शहर की सुंदरता, यातायात व्यवस्था और सार्वजनिक सुरक्षा इस अराजक तंत्र के नीचे दबती जा रही हैं। सवाल यह है कि —
क्या प्राधिकरण और आरडब्ल्यूए सिर्फ एक समस्या का हिस्सा हैं, या फिर यह गरीबों के संघर्ष के नाम पर धनवानों को और धनवान बनाने वाली एक घृणित साजिश बन चुकी है?


विजन लाइव न्यूज़ का विश्लेषण:
🟠 “ग्रेटर नोएडा में ठेली-पटरी विवाद: चैनपाल प्रधान ने उठाई गरीबों की आवाज़, कहा—रोज़गार छीनना नहीं समाधान”


 

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