
सह-आरोपी शैलेन्द्र कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजकुमार नागर( पूर्व अध्यक्ष- जनपद दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन गौतमबुद्धनगर ) ने जोरदार पैरवी करते हुए अदालत को कई महत्वपूर्ण तथ्य बताए

मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ गौतमबुद्धनगर
जिला एवं सत्र न्यायालय, गौतमबुद्ध नगर की विशेष पॉक्सो अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आरोपी आकाश कश्यप को 20-20 साल की कैद की सजा सुनाई है। वहीं सह-आरोपी शैलेन्द्र कुमार को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला वर्ष 2015 का है। थाना ईकोटेक-III में दर्ज एफआईआर संख्या 336/2015 के अनुसार शिकायतकर्ता की 16 वर्षीय नाबालिग बहन को बहला-फुसलाकर आरोपी आकाश कश्यप और शैलेन्द्र ले गए थे। आरोप था कि दोनों ने पीड़िता के साथ जबरन दुष्कर्म किया। इसके बाद पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर दोनों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
अदालत में पैरवी
विशेष लोक अभियोजक (SPP) ने अदालत से अधिकतम सजा देने की मांग की। दूसरी ओर, दोषी आकाश की ओर से बचाव पक्ष ने दलील दी कि वह विवाहित है और उसके छोटे-छोटे बच्चे हैं, इसलिए न्यूनतम सजा दी जाए।

वरिष्ठ अधिवक्ता राजकुमार नागर ( पूर्व अध्यक्ष- जनपद दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन गौतमबुद्धनगर )
वहीं सह-आरोपी शैलेन्द्र कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजकुमार नागर ( पूर्व अध्यक्ष- जनपद दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन गौतमबुद्धनगर ) ने जोरदार पैरवी करते हुए अदालत को कई महत्वपूर्ण तथ्य बताए। उन्होंने तर्क दिया कि शैलेन्द्र पर लगाए गए आरोपों के समर्थन में पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं और गवाहों की गवाही में गंभीर विरोधाभास हैं। यही वजह रही कि अदालत ने शैलेन्द्र को संदेह का लाभ देते हुए सभी आरोपों से बरी कर दिया।

क्या कहा अदालत ने
विशेष न्यायाधीश विजय कुमार हिमांशु (पॉक्सो एक्ट कोर्ट-II) ने फैसला सुनाते हुए कहा कि—
अभियुक्त आकाश कश्यप दोषी पाया गया है। उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) और पॉक्सो एक्ट की धारा 4 (नाबालिग से यौन शोषण) के तहत 20-20 साल की कैद और कुल 22,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।
यदि वह जुर्माना अदा नहीं करता है तो उसे अतिरिक्त 6 माह कैद भुगतनी होगी।
हालांकि अदालत ने आकाश को अपहरण (धारा 363 IPC) और जबरन विवाह हेतु अपहरण (धारा 366 IPC) से बरी कर दिया।
सह-आरोपी शैलेन्द्र कुमार को अदालत ने गैंगरेप (376D IPC), अपहरण (363, 366 IPC) और पॉक्सो एक्ट (5/6) की धाराओं से बरी कर दिया।

फैसले की मुख्य बातें
दोषी आकाश को दो अलग-अलग अपराधों में 20-20 साल की कैद, लेकिन सजाएं समानांतर (Concurrent) चलेंगी।
सह-आरोपी शैलेन्द्र को पूरी तरह बरी कर दिया गया।
अदालत ने आदेश दिया कि दोषसिद्धि वारंट जारी कर आकाश को जेल भेजा जाए।
पॉक्सो एक्ट की धारा 42 के अनुसार, यदि सजा में विकल्प है तो सबसे कठोर सजा लागू होगी।

समाज के लिए संदेश
यह फैसला एक बार फिर दर्शाता है कि नाबालिग से जुड़ा कोई भी यौन अपराध कानून की नजर में अत्यंत गंभीर है। अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि चाहे सहमति का दावा हो या नहीं, 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की की सहमति कानूनी रूप से मान्य नहीं है।