
बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता सुमित भड़ाना ने रखी मजबूत पैरवी

मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ ग्रेटर नोएडा
थाना फेस-1, गौतमबुद्धनगर के मुकदमा अपराध संख्या 178/2025 में दर्ज प्रकरण में अभियुक्त मो. अमीन कोलू को लेकर सोमवार को अहम सुनवाई हुई। विवेचक ने अभियुक्त को उ.प्र. विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन अधिनियम 2024 की धारा-3(1), 5(1) में गिरफ्तार कर 14 दिन की न्यायिक रिमाण्ड की मांग की थी।
अभियुक्त की ओर से बचाव पक्ष के अधिवक्ता सुमित भड़ाना ने आपत्ति प्रार्थना पत्र दाखिल कर अदालत को अवगत कराया कि –
अमीन कोलू इसी मुकदमे में 7 मई 2025 को सत्र न्यायालय से जमानत पर रिहा हो चुका है।
अभियुक्त जमानत की सभी शर्तों का पालन कर रहा था और विवेचना में सहयोग कर रहा था।
बिना जमानत निरस्त कराए एवं बिना अनुमति लिए की गई गिरफ्तारी न्यायालयीन आदेशों और कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है।
सुमित भड़ाना ने सर्वोच्च न्यायालय के प्रदीप राम बनाम स्टेट ऑफ झारखंड (2019) और अरनीश कुमार बनाम स्टेट ऑफ बिहार (2014) के निर्णयों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि ऐसे मामलों में पुलिस को गिरफ्तारी से पहले न्यायालय से अनुमति लेना आवश्यक है।
न्यायालय ने केस डायरी, वादी स्मृति गहलोत के बयान और अन्य दस्तावेजों का अवलोकन करने के बाद माना कि –
अभियुक्त पहले से जमानत पर है।
विवेचक ने न तो जमानत निरस्त कराई और न ही गिरफ्तारी की अनुमति ली।
वृद्धि धाराओं में पुनः गिरफ्तारी कानूनी दृष्टि से टिकाऊ नहीं है।

📌 न्यायालय का आदेश:
अभियुक्त मो. अमीन कोलू को तत्काल रिहा किया जाए। विवेचक की रिमाण्ड याचना निरस्त की जाती है।