
मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ यीडा सिटी
यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के किसानों की वर्षों पुरानी समस्याएं आज भी जस की तस बनी हुई हैं।
64% और 7% पुनर्वास प्लॉट को लेकर लगातार आंदोलनरत किसानों की पीड़ा अब गहराती जा रही है, लेकिन जनप्रतिनिधियों, शासन और प्रशासन की चुप्पी तोड़ी नहीं जा सकी है।
किसानों का कहना है कि ये समस्याएं बिल्कुल जायज़ हैं, पर सुनवाई नहीं हो रही।
गांव-गांव में किसान असमंजस और असंतोष की स्थिति में हैं।
कई बुजुर्ग किसान न्याय की आस में दुनिया छोड़ चुके हैं, लेकिन अब भी समाधान दूर है।
किसान नेता अजीत चौहान ने Vision Live News से बात करते हुए कहा—
“प्राधिकरण का रवैया किसानों के साथ लगातार उपेक्षापूर्ण रहा है।
हर किसान एकजुट होकर अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है, कोई भी अपनी निजी समस्या के लिए नहीं लड़ रहा।”
उन्होंने आगे कहा—
“64% और 7% प्लॉट का मुद्दा कोई राजनीतिक नहीं बल्कि मानवीय है।
योगी सरकार को चाहिए कि तत्काल प्रभाव से संज्ञान लेकर किसानों को उनका हक दिया जाए।
यह सिर्फ मांग नहीं, जीवन और आत्मसम्मान की लड़ाई है।”
Vision Live News की टीम ने ज़मीनी हकीकत की पड़ताल की तो पता चला कि कई किसानों ने न तो कभी राहत पाई, और न ही कोई ठोस जवाब।
भविष्य की उम्मीदें धुंधली होती जा रही हैं, और प्रशासनिक उदासीनता हालात को और विकराल बना रही है।
“जय किसान, जय हिंदुस्तान” के नारों के साथ किसान आज भी संयमित व शांतिपूर्ण ढंग से न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
अब देखना यह है कि शासन कब जागता है, और न्याय कब होता है।