EXCLUSIVE: Vision Live News को रिपोर्ट प्रकाशित करने पर धमकियाँ, पत्रकारों पर दबाव डालने की कोशिशें उजागर

 

गौतमबुद्धनगर बार एसोसिएशन विवाद: खबर प्रकाशित होते ही Vision Live News को धमकियाँ, प्रमेन्द्र भाटी व श्याम सिंह भाटी का कॉल प्रकरण सामने आया

विजन लाइव/ ग्रेटर नोएडा, 10 जून 2025

गौतमबुद्धनगर बार एसोसिएशन से जुड़े विवाद में अब प्रेस की स्वतंत्रता पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। Vision Live News द्वारा एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमेन्द्र भाटी समेत कई लोगों पर दर्ज मुकदमे और अधिवक्ताओं के विरोध प्रदर्शन की खबर प्रकाशित किए जाने के बाद, मीडिया संस्थान को धमकी भरे कॉल और दबाव का सामना करना पड़ा है।

एडवोकेट श्याम सिंह भाटी ने WhatsApp कॉल से दी धमकी

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, advocate Sham Singh Bhati ने Vision Live News से जुड़े एक पत्रकार को WhatsApp कॉल पर धमकाते हुए कहा कि खबर को तुरंत हटाया जाए, अन्यथा परिणाम भुगतने होंगे। यह कॉल खबर के प्रकाशित होने के कुछ ही घंटों के भीतर आई थी।

प्रमेंदर भाटी ने भी कॉल करने का किया प्रयास

इतना ही नहीं, Vision Live News ने यह भी पुष्टि की है कि बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमेन्द्र भाटी ने भी पत्रकार को फोन कॉल करने का प्रयास किया। हालांकि कॉल पूरी तरह से जुड़ नहीं पाया, लेकिन पत्रकारों का मानना है कि यह भी दबाव बनाने की एक कोशिश थी।

पत्रकारों की सुरक्षा पर संकट

इन घटनाओं के बाद पत्रकारों और मीडिया संगठनों में रोष है। कई वरिष्ठ पत्रकारों और प्रेस यूनियनों ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा है कि यदि वकील वर्ग से ही धमकी और दबाव आएंगे, तो यह प्रेस की स्वतंत्रता और कानून व्यवस्था दोनों के लिए चिंताजनक है।

🛑 Vision Live News का स्टैंड:

“न झुकेंगे, न रुकेंगे।”
मीडिया संस्थान ने यह साफ किया है कि धमकी किसी भी रूप में स्वीकार नहीं की जाएगी। सभी सबूत — कॉल लॉग्स, स्क्रीनशॉट, रिकॉर्डिंग — संरक्षित कर लिए गए हैं और जल्द ही साइबर क्राइम सेल व वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपे जाएंगे।

पुलिस प्रशासन से मांग

पत्रकार संगठन और Vision Live News, दोनों ने उत्तर प्रदेश पुलिस से मांग की है कि इस प्रकरण की गहन जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही पत्रकारों को पूरी सुरक्षा दी जाए ताकि वे बिना दबाव के अपना कार्य कर सकें।

लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला

पत्रकारों को धमकाना सिर्फ एक मीडिया संस्थान पर नहीं, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला है। अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह एक खतरनाक परंपरा की शुरुआत हो सकती है।

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