एक युगद्रष्टा का अंत – श्रद्धांजलि स्व. श्री राजपाल त्यागी



✍️ मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”

“कुछ लोग चलते हैं पदचिह्नों पर,
कुछ पदचिह्न बना जाते हैं…
जो इतिहास रच जाए,
वो कालजयी कहलाते हैं।”

स्वर्गीय राजपाल त्यागी ऐसे ही एक युगद्रष्टा, जननायक और मूल्यनिष्ठ राजनीतिज्ञ थे, जिनका जीवन राजनीति नहीं, जनसेवा का आंदोलन था।

बागपत के छोटे से गांव मुकारी में जन्मा एक साधारण बालक, संघर्षों की आँच में तपकर जब राजनीति के आकाश पर उभरा, तो वह सिर्फ एक नाम नहीं रहा – वह एक पहचान, एक प्रेरणा और एक परंपरा बन गया।

राजनीति उनके लिए सत्ता का माध्यम नहीं, सेवा का संकल्प थी।
गाज़ियाबाद बार एसोसिएशन के इतिहास में सबसे कम उम्र के सचिव और अध्यक्ष बनना किसी भी युवा अधिवक्ता के लिए स्वप्न हो सकता है। लेकिन राजपाल त्यागी का सपना अलग था – वकालत की राह छोड़ वे जनसरोकार की राह पर चल पड़े।

कांग्रेस के जिला अध्यक्ष के रूप में उनका एक दशक कार्यकुशलता और ईमानदारी का प्रतीक बन गया। छह बार विधायक बने, दो बार स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री और दो बार कैबिनेट मंत्री रहे। लेकिन सत्ता का गुरूर कभी उनके सरल व्यवहार को छू तक न सका।

चुनाव चिह्न चाहे कोई भी रहा हो — कांग्रेस, सपा, बसपा या निर्दलीयजनता ने हर बार उन्हें सिर आंखों पर बैठाया। कारण स्पष्ट था: वे नेता नहीं, जनता के अपने थे

हर गली, हर गांव, हर व्यक्ति से उनका रिश्ता सिर्फ राजनीतिक नहीं, पारिवारिक था। राजनीति में जब नज़दीकियाँ अक्सर स्वार्थ से जुड़ती हैं, राजपाल त्यागी अपने स्वाभिमान और आत्मसम्मान से पहचाने जाते थे।

ईमानदारी का ऐसा उदाहरण विरल है:

  • कभी विधायक निधि का निजी उपयोग नहीं किया,
  • कभी सिफारिश नहीं, कभी दिखावा नहीं,
  • ना लालच, ना विश्राम – सिर्फ सेवा।
  • दिल्ली नजदीक थी, लेकिन बड़े नेताओं की परिक्रमा उन्होंने कभी नहीं की।
  • मुरादनगर के लोगों को ही अपना दिल्ली माना।

21वीं सदी की राजनीति में जब चमक-दमक, प्रचार और प्रदर्शन चरम पर हैं,
राजपाल त्यागी जैसे माटी से जुड़े नेता अब इतिहास में ढूंढ़ने पड़ते हैं

उनकी अंतिम यात्रा स्वयं गवाही थी कि उन्होंने क्या स्थान लोगों के दिलों में बना रखा था। भारी बारिश, सावन की कांवड़ यात्रा और तमाम व्यवधानों के बावजूद, हजारों लोगों का उमड़ना यह सिद्ध करता है कि राजनीतिक युग भले समाप्त हुआ हो, किंतु उनकी स्मृति, विचार और प्रेरणा अमर हैं।

उनकी विरासत आज उनके सुपुत्र अजीतपाल त्यागी में जीवित है, जो दो बार विधायक बनकर उसी निष्ठा से जनसेवा कर रहे हैं।

स्व. राजपाल त्यागी न केवल एक नाम थे, वे एक युग थे।
आज वह युग शांत हुआ है, लेकिन उसकी प्रेरणा की लौ बुझी नहीं है।

हम सबकी ओर से उस युगद्रष्टा को कोटिशः नमन।
ईश्वर पुण्यात्मा को परम शांति प्रदान करें।

🌼🙏


यह लेख एक विनम्र श्रद्धांजलि है उस महान आत्मा को, जिसने सादगी को जीवन और सेवा को धर्म बनाया।

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