
मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ ग्रेटर नोएडा
स्मार्ट विलेज योजना में शामिल होने के चार साल बाद भी तिलपत्ता गांव के हालात जस के तस हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी अब तक गांव का दौरा करने तक नहीं आए हैं। सबसे बड़ी समस्या टूटी-फूटी सड़कों और जाम की है, जिस पर ग्रामीण कई बार धरना भी दे चुके हैं। सड़क निर्माण की स्वीकृति मिल चुकी है, लेकिन कार्य समय पर शुरू नहीं हुआ। बारिश के मौसम में नालियों की खुदाई से मिट्टी के ढेर जमा हैं, जिससे आवागमन और कठिन हो गया है।
गांव में लगी अधिकांश स्ट्रीट लाइटें खराब हैं। ठेका प्राप्त कंपनी की लापरवाही के कारण महीनों से लाइटें बंद हैं, जिससे अंधेरे में दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। गांव का एकमात्र तालाब भी बदहाल है—पानी निकासी के लिए लगाए गए छोटे पाइप और पंपिंग की व्यवस्था नाकाफी है।

ग्रामीणों का कहना है कि गांव के बीच से गुजरने वाला गंदा नाला खरपतवार से भर चुका है और बारिश के पानी से सड़क किनारे एक और अस्थायी नहर बन गई है, जिसमें कई बाइक सवार गिरकर घायल हो चुके हैं। सीवर के टूटे ढक्कन लंबे समय तक खुले पड़े रहते हैं, जिससे बच्चों और बुजुर्गों की जान को खतरा है।

इसके अलावा, गांव के पास स्थित कंटेनर डिपो से रोजाना हजारों भारी वाहन गुजरते हैं, जिससे सड़कें जर्जर और हादसों की आशंका बनी रहती है। कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्राओं और बुजुर्गों को आने-जाने में भारी दिक्कतें हो रही हैं।

अखिल भारतीय गुर्जर सभा के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं प्रमुख समाजसेवी सुखबीर सिंह आर्य ने इन सभी समस्याओं को लिखित रूप में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ को सौंपते हुए शीघ्र समाधान की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्यवाही नहीं हुई तो गांव में ऐतिहासिक धरना दिया जाएगा।