शिकायतकर्ता केसर सिंह ने आख्या से असंतुष्टि व्यक्त करते हुए पोर्टल पर फीडबैक दिया
Mohammad Ilyas-Dankauri/Greater Noida
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में नियुक्तियों में हो रही भारी अनियमिताओं के संदर्भ में मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर डॉ. केसर सिंह की शिकायत के बाद शिकायत के निस्तारण में गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ने आख्या दी । शिकायतकर्ता केसर सिंह ने आख्या से असंतुष्टि व्यक्त करते हुए पोर्टल पर फीडबैक दिया। फीडबैक के आधार पर श्रेणीकरण अधिकारी ने आख्या का रिव्यू करने के बाद गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय द्वारा दी गई आख्या को C श्रेणी (खराब) मानते हुए अपर मुख्य सचिव/ प्रमुख सचिव अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास ने फीडबैक अनुसार गुणवत्तापरक आख्या देने के लिए गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को आदेश दिया।
फीडबैक
इस प्रकरण में मेरे शिकायत पत्र में विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारियों (कुलपति व रजिस्ट्रार) की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाए गए है। रजिस्ट्रार की खुद की नियुक्ति सहित कई अन्य मामलों में पीड़ितों द्वारा प्रश्न चिन्ह लगाए गए है, इनके कई मामले न्यायालय में चल रहे है।यदि नोडल अधिकारी डॉ. विवेक मिश्रा जी है जिनके सिग्नेचर आख्या लेटर पर है तो इसी प्रकार नोडल अधिकारी की नियुक्ति पर भी प्रश्न चिन्ह है तथा ये विश्वविद्यालय के रेगुलर (परमानेंट) कर्मचारी नही है। फिर विश्वविद्यालय के अधिकारियों रजिस्ट्रार या अन्य अधिकारियों द्वारा निष्पक्ष रूप से कैसे जांच हो सकती है? मेरे शिकायत पत्र में डीन प्रो. वंदना पांडेय जो की ह्यूमैनिटी की डीन है तथा जो इंटरव्यू बोर्ड में डीन होने के कारण बैठी थी पर प्रश्न चिन्ह लगाए गए? प्रो. वंदना पाण्डेय रिटायर प्रो. है। जबकि यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी रिटायर्ड प्रोफेसर को कोई भी एडमिनिस्ट्रेटिव पोजीशन जैसे डीन आदि नहीं दी जा सकती है। जब डीन की नियुक्ति ही यूजीसी के अनुसार नहीं है तो ये इंटरव्यू बोर्ड में कैसे बैठ सकती है? इसके बारे में विश्वविद्यालय द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया है? इस प्रकार प्रोफेसर एन. के. मलकानियां जी (जो की रिटायर्ड है) को विश्वविद्यालय का एकेडमी डीन बनाया हुआ है । ये भी इंटरव्यू के दौरान डिपार्टमेंटल पीपीटी में बैठे हुए थे। इनकी भी नियुक्ति यूजीसी गाइड लाइन के अनुसार नहीं है क्योंकि ये भी रिटायर्ड है। फिर ये एकेडमिक डीन कैसे हो सकते है? विश्वविद्यालय द्वारा डिपार्टमेंटल पीपीटी के मार्क्स थे या ग्रेड थे और ये क्या फाइनल इंटरव्यू में जोड़े जाएगे? इसके बारे में भी यूनिवर्सिटी ने अभ्यर्थियों को क्लियर नहीं किया? कौन- कौन अभ्यर्थी एलिजिबल थे ? कौन नही और कितने अभ्यर्थियों द्वारा एप्लीकेशन भेजी गई? अभ्यर्थियों का एपीआई स्कोर कितना था? एजुकेशन में एक पोस्ट थी तो सभी अभ्यर्थियों को क्यों बुलाया गया? एक पोस्ट के सापेक्ष कितने अभ्यर्थियों को बुलाया जा सकता है? यूनिवर्सिटी की साइट पर विज्ञापन की सूचना के अलावा नियुक्ति संबंधित कोई भी सूचना साइट पर क्यों नही डाली गई? HOD डॉ. राकेश श्रीवास्तव जी विषय से संबंधित नही थे तो क्या फिर भी वे इंटरव्यू बोर्ड का हिस्सा हो सके है? जबकि डिपार्टमेंट में विषय के ही असिस्टेंट प्रोफेसर वर्तमान में कार्यरत है तो इन्हे HOD क्यों बनाया हुआ है? इंटरव्यू के दौरान OBC/SC रिप्रेजेंटेटिव क्यों नहीं थे? विश्वविद्यालय के अधिनियम/अध्यादेश के अनुसार बोर्ड ऑफ मेंबर्स में सीनियर प्रोफेसर होने चाहिए फिर GBU BOM में असिस्टेंट प्रोफेसर मेंबर्स क्यों? आदि किसी भी प्रश्न का जवाब आख्या में नही दिया गया केवल शिकायत को निराधार बताया गया है। इससे प्रतीत होता है कि बिना जांच के ही आख्या दे दी गई है।
अतः मेरा मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि आप GBU के कुलाधिपति है इसलिए इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच निष्पक्ष रूप से हो और जब तक जांच चले तब तक रिजल्ट घोषित न किया जाए। इसके अलावा विश्वविद्यालय में जो नियुक्तियां पहले भी हुई है उन पर भी विभिन्न लोगों द्वारा भारी अनियमित के आरोप लगाए गए है। अतः आप से यह भी निवेदन है कि विश्वविद्यालय में अब तक हुई सभी नियुक्तियों की भी उच्च स्तरीय जांच की जाएं। जिससे विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को बनाए रखा जा सकें।
धन्यवाद
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KESAR SINGH