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डंपिंग ग्राउंड को लेकर एक बार फिर प्राधिकरण और किसानों के बीच रार बढ़ाने के आसार
अस्तौली कूड़ा निस्तारण केंद्र का कार्य बंद कर धरने पर बैठेंगे किसान
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मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ग्रेटर नोएडा
ग्रेटर नोएडा में डंपिंग ग्राउंड को लेकर एक बार फिर प्राधिकरण और किसानों के बीच रार बढ़ाने के आसार बढ़ गए हैं। डंपिंग ग्राउंड पहले खोदना श्योराजपुर फिर लखनावली और अब अस्तौली से भी फिसलने वाला है। एक बार फिर अस्तौली गांव के किसान और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बीच रार बढ़ने के आसार बढ़ गए हैं। गांव के कई किसान पिछले एक महीने से अतिरिक्त मुआवजा को लेकर प्राधिकरण अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन अधिकारी केवल कोरे आश्वासन दे रहे हैं। फिर से भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के बैनर तले किसान सोमवार से सेनेटरी लैंडफिल साइट( कूड़ा निस्तारण केंद्र) का कार्य रोक कर धरने पर बैठेंगे। धरने को लेकर किसानों ने प्राधिकरण के अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंप दिया है। किसानों का आरोप है कि पिछले महीने ग्रेटर नोएडा आथरटी ने 10 करोड़ के चेक अतिरिक्त प्रतिकर के रूप में कुछ किसानों को दिए, जब कई किसानों के साथ सौतेला व्यवहार करते हुए उन्हें कोई अतिरिक्त प्रतिकर नहीं दिया। हालांकि इन किसानों की भी जमीन प्रस्तावित डंपिंग के लिए ली गई थी।
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दूसरी तरफ कई किसानों का यह भी आरोप है कि निर्माणाधीन कूड़ा निस्तारण केंद्र की ओर जाने वाली सड़क का निर्माण तो प्राधिकरण ने कर दिया है लेकिन किसानों को जमीन के बदले अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया है। भारतीय किसान यूनियन के ग्राम अध्यक्ष मनवीर भाटी का कहना है कि 3 मार्च से शुरू होने वाले धरने को लेकर गांव के लोगों को लेकर एक बैठक का आयोजन शनिवार को किया गया। जिसमें निर्णय लिया गया कि जब तक किसानों की सभी मांग का निस्तारण मौके पर नहीं किया जाता तब तक किसान धरने पर शांतिपूर्वक बैठेंगे और डंपिंग साइट पर किसी भी प्रकार का कार्य करने नहीं किया जाएगा। इस मौके पर जिला अध्यक्ष मनोज मावी, मेरठ मंडल सचिव अरुण भाटी, जिला उपाध्यक्ष प्रमोद भाटी, मीडिया प्रभारी पंकज शर्मा, वीर सिंह, सचिव सुखबीर ठेकेदार, तहसील अध्यक्ष श्री पहलवान, देवी राम सिंह, मनोज कुमार, छोटूराम, सहित अनेक लोग मौजूद रहे। बता दें कि इससे पहले भी गांव के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर 65 दिन तक धरना दिया था। जिसे बाद में जिलाधिकारी मनीष वर्मा की मौजूदगी में सभी मांगों को मानने का आश्वासन मिलने के बाद किसानों ने धरना समाप्त किया था।