अभियुक्तों की जमानत अर्जी खारिज, थार से टक्कर मारने और मारपीट के वायरल वीडियो को अदालत ने माना गंभीर साक्ष्य


मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/गौतमबुद्धनगर

गौतमबुद्धनगर की प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश सोमप्रभा मिश्रा की अदालत ने सोमवार को चर्चित मारपीट व हत्या के प्रयास के एक मामले में दो अभियुक्तों—अमन अवाना पुत्र सुधीर अवाना एवं आकाश अवाना पुत्र सुधीर अवाना—की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। अदालत ने माना कि अभियुक्तों के खिलाफ प्रथम दृष्टया गंभीर आरोप हैं और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो व मेडिकल रिपोर्ट से अभियोजन पक्ष की बात पुष्ट होती है।

घटना का विवरण

प्रकरण के अनुसार, घटना के दिन वादी अपने भाई के साथ कहीं जा रहा था। उसी दौरान लगभग 5-6 फॉर्च्यूनर गाड़ियों में सवार होकर कई अज्ञात हथियारबंद लोग घटनास्थल पर पहुंचे। वादी पक्ष का आरोप है कि अभियुक्तों ने पूर्व नियोजित साजिश के तहत उनके साथ मारपीट की। जब वादी जान बचाकर भागने लगा, तो अभियुक्त अमन अवाना ने थार कार से उसे टक्कर मारने की कोशिश की, जिससे वह नाली में गिर गया और बाल-बाल बचा। घटनास्थल पर भारी भीड़ एकत्र हो गई, जिसके बाद हमलावर मौके से फरार हो गए।

अभियुक्तों का पक्ष

अभियुक्तगण की ओर से दाखिल जमानत याचिका में यह कहा गया कि वादी से उनका पुराना व्यक्तिगत विवाद है और उसी रंजिश के चलते फर्जी मुकदमा दर्ज कराया गया है। यह भी कहा गया कि वादी और उसके भाई के विरुद्ध पूर्व में थाना सूरजपुर में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था (मु०अ०सं० 237/2020), जिसे वापस लेने के लिए उन पर दबाव बनाया जा रहा है। आरोपों को आत्मरक्षा में हुई घटना बताया गया और कहा गया कि चोटें गंभीर नहीं हैं।

अभियोजन का पक्ष

वहीं अभियोजन पक्ष के सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (फौजदारी) ने याचिका का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि अभियुक्तों ने संगठित रूप से हमला किया और हत्या का प्रयास किया। यह भी कहा गया कि सोशल मीडिया पर घटना का वीडियो वायरल हुआ है जिसमें अभियुक्तों द्वारा वादी पर हमला करते हुए स्पष्ट देखा जा सकता है। वादी की ओर से घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग, पैन ड्राइव और रंगीन फोटो भी शपथ-पत्र के साथ अदालत में प्रस्तुत किए गए हैं।

न्यायालय का निष्कर्ष

न्यायालय ने आदेश में कहा कि—

“प्रकरण में अभियुक्तगण द्वारा पूर्व नियोजित ढंग से मारपीट एवं जान से मारने का प्रयास किया गया है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो, चिकित्सा रिपोर्ट और प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर प्रथम दृष्टया अभियुक्तगण के विरुद्ध गंभीर आरोप स्थापित होते हैं। ऐसे में उन्हें जमानत प्रदान किया जाना न्यायहित में नहीं है।”

आदेश

इस आधार पर प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश सोमप्रभा मिश्रा ने अभियुक्तगण अमन अवाना एवं आकाश अवाना की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। आदेश की प्रति अभियुक्तों को निःशुल्क प्रदान करने के निर्देश भी दिए गए।

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