ऐतिहासिक बाराही मेला.2024–सीमा हैदर न मानी डर, जब प्यार चढा परवान, जब छोड के आ गई पाकिस्तान…… रागनी खूब वाहवाही लूटी

बाराही मेला
बाराही मेला

सूरजपुर में प्राचीनकालीन ऐतिहासिक बाराही मेला.2024, रविवार, सातवां दिन

रागनियां
रागनियां

पल्ला गांव से रेलवे में चयनित हुए आईएएस दीपक भाटी को माल्यापर्ण और स्मृति चिन्ह भेंट कर शिव मंदिर सेवा समिति ने स्वागत किया

दीपक भाटी
दीपक भाटी

तरूण बलियान और कोमल चौधरी ने हीर रांझा के किस्से पर आधारित 6 रागनियां प्रस्तुत करते हुए  ज्ञानेंद्र सरदाना के रिकार्ड को तोड डाला

तरूण बलियान
तरूण बलियान

तरूण बलियान ने सीमा हैदर पर अधारित रागनी– सीमा हैदर न मानी डर, जब प्यार चढा परवान, जब छोड के आ गई पाकिस्तान…… रागनी की प्रस्तुति देते हुए खूब वाहवाही लूटी

 

मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/गौतमबुद्धनगर

सूरजपुर में चल रहे प्राचीनकालीन ऐतिहासिक बाराही मेला-2024 के सातवें दिन रागनी सम्राट स्व0 महाश्य कौसिंदर खदाना और ऋषिपाल की शिष्य मंडली से तरूण बलियान और कोमल चौधरी ने हीर रांझा के किस्से पर आधारित 6 रागनियां प्रस्तुत करते हुए रागनी कलाकार ज्ञानेंद्र सरदाना के रिकार्ड को तोड डाला। रागनी सम्राट स्व महाशय कौसिंदर खदाना के शिष्य तरूण बलियान ने उनके अंदाज में ही एक से बढ कर एक रागनियों की प्रस्तुति देते हुए खूब वाहवाही लूटी। प्राचीनकालीन बाराही मेले में इस बार एक की किस्से की 5 रागनियों का रिकार्ड ज्ञानेंद्र सरदाना एंड पार्टी के नाम रहा है किंतू तरूण बालियान ने हीर रांझे के किस्से से 6 रागनियों की प्रस्तुति देते हुए तोड दिया। तरूण बलियान ने सीमा हैदर पर अधारित रागनी– सीमा हैदर न मानी डर, जब प्यार चढा परवान, जब छोड के आ गई पाकिस्तान…… रागनी की प्रस्तुति देते हुए खूब वाहवाही लूटी। तरूण बालियान और कोमल चौधरी की जोडी ने हीर रांझे के किस्से से 6 रागनियांं के अलावा फौजी  फौजन की चिट्ठी, इंसान की तुलना पेड से आदि प्रसंगों पर कई रागनियांं की प्रस्तुति दी। चमन कपासिया ने नरसी के भात के किस्से से रागनी प्रस्तुत की। तरूण बलियान के बोल— हीर जाने वाले रूक जईयो जरा, खता क्या है मेरी बतईयो जरा…….. सुन कर श्रोता मंत्रमुग्ध होते हुए नजर आए। वहीं सगुन चौधरी ने मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति देते हुए खूब धमाल मचाया।

तरूण बलियान के बोल
तरूण बलियान के बोल

वहीं सूरजपुर से आए कवि अजीमुद्दीन सैफी नारी शक्ति पर आधारित काविता प्रस्तुत करते हुए खूब वाहवाही लूटी। नन्ही बच्ची रिया ने– मेरा बालम छेल छबीला मै तो नाचूंगी… पर नृत्य प्रस्तुत करते हुए लोगो का दिल जीत लिया। हरियाणा और राजस्थान के कलाकारों तथा उमा पब्लिक स्कूल सूरजपुर के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।

पल्ला गांव से रेलवे में चयनित हुए आईएएस दीपक भाटी को माल्यापर्ण और स्मृति चिन्ह भेंट कर शिव मंदिर सेवा समिति ने स्वागत किया। ऐतिहासिक बाराही मेला-2024 की समापन समारोह की श्रंखला में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और सूर्या कंपनी की ओर से पथ प्रकाश की बेहतर व्यवस्था किए जाने पर माल्यापर्ण और स्मृति चिन्ह देते हुए मनोज दूबे, कैलाश, उमाकांत प्रबंधकगण और सुपरवाईजर नागेश शर्मा को सम्मानित किया। रात्रिकालीन इस कार्यक्रम का समापन प्रति दिन भांति हुनमान चलीसा के पाठ के साथ हुआ।

स्मृति चिन्ह भेंट
स्मृति चिन्ह भेंट

मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा ने बताया कि कल दिनांक 30 अप्रैल-2024, मंगलवार की सांय हरियाणा और राजस्थान के कलाकारों तथा  भारती पब्लिक स्कूल के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। जब कि रात्रिकालीन रागनियों के रंगारंग कार्यक्रमों में उपेंद्र राणा, सरिता कश्यप एंड पार्टी के कलाकारों शीशपाल भाटी, तेजवीर विधूडी, अजंलि चौधरी, काजल तौमर, प्रिया, देवेंद्र शर्मा, मोनू खटौला आदि कलाकार खास प्रस्तुतियां देंगे।

हुनमान चलीसा के पाठ
हुनमान चलीसा के पाठ

इस मौके पर शिव मंदिर मेला समिति के अध्यक्ष धर्मपाल भाटी, महासचिव ओमवीर बैंसला, कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल, मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा और योगेश अग्रवाल, दीपक भाटी एडवोकेट, सतपाल शर्मा एडवोकेट, सुभाष शर्मा जिंस वाले, धर्मवीर तंवर, महाराज सिंह उर्फ पप्पू, हरिकिशन आदि मेला समिति के पदाधिकारी और गणमान्यजन उपस्थित रहे।

 

विशेष :….

चमत्कारिक सरोवर में स्नान करने से दूर हो जाते हैं, चर्म रोग

प्राचीन बाराही मेला प्रांगण में एक सरोवर बना हुआ है। माना जाता है कि इस सरोवर में स्नान कर लेने भर से ही चर्म रोग छू मंतर हो जाते है। बाराही मेले के मौके पर यह सरोवर विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सरोवर की गहराई 10 फीट तक है, इसका निमार्ण मंदिर स्थापित होने समय से ही माना जाता है। शिव मंदिर मेला समिति के प्रयासों से अब सरोवर का सौंदर्यकरण भी कराया जा चुका है।

सरोवर
सरोवर

कहा जाता है कि यहां पर 12 कोस की दल दल हुआ करती थी, यहां पानी जमीन से उबाला लिया करता था। कासना से लेकर सूरजपुर तक नौलखा बाग हुआ करता था। इस बाग में घूमने के लिए कासना की राजकुमारी निहालदे आया करती थीं। इस सरोवर में राजकुमारी निहालदे अपनी सखियों के साथ स्नान आदि भी किया करती थी। शिव मंदिर मेला समिति के अध्यक्ष धर्मपाल भाटी और महासचिव ओमवीर बैंसला बताते हैं कि इस क्षेत्र को आल्हा उदल का रण क्षेत्र भी माना जाता है। यहां आल्हा उदल के कई युद्ध हुए और इतना लहू बहा कि यहां से बहते हुए नाले का नाम ही लहुया खार और अब लोहिया खार कहा जाने लगा है। उन्होंने बताया कि सरोवर में स्नान करने से चर्म रोग दूर हो जाते हैं।

सरोवर में स्नान
सरोवर में स्नान

दाद खाज या खुजली हो जाती है, तो आज भी यह प्रथा प्रचलित है कि कपडे लत्ते आदि सामग्री उठावनी के तौर पर रख लिया करते हैं और जब माता बाराही देवी का यह मेला आता है, उसे सरोवर में आर्पित कर दिया जाता है। दूसरे कसबो में बूढे बाबू के मेले पर उठावनी आदि दी जाती है मगर यहां पर बारही मेले पर ऐसा होता है। सरोवर में स्नान के लिए बच्चे खूब अठखेलियां करते नजर आते हैं।

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