‘‘मानवविज्ञान, स्वास्थय और रोग – असामानताओं को दूर करना’’ विषय पर एक दिवसीय प्री – वर्ल्ड एंथ्रोपोलॉजी कांग्रेस 2023 अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन
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एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के सेंटर फॉर एंथ्रोपोलॉजी द्वारा यूनाईटेड इंडिया एंथ्रोपोलॉजी फोरम के सहयोग से ‘‘मानवविज्ञान, स्वास्थय और रोग – असामानताओं को दूर करना’’ विषय पर एक दिवसीय प्री – वर्ल्ड एंथ्रोपोलॉजी कांग्रेस 2023 अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का शुभारंभ के दिल्ली विश्वविद्यालय के सोशियल एंथ्रोपोलॉजी के पूर्व प्रोफेसर पी सी जोशी, केईएम हॉस्पीटल रिसर्च सेंटर पुणे के हैल्थ सांइस के प्रोफेसर संजय जुवेकर, कलकत्ता विश्वविद्यालय के एंथ्रोपोलॉजी विभाग के प्रो शुभो रॉय, एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला, यूनाईटेड इंडिया एंथ्रोपोलॉजी फोरम के अध्यक्ष डा दीपक के बेहरा, एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती और सेंटर फॉर एंथ्रोपोलॉजी के प्रमुख डा रूमी देब द्वारा किया गया। इस अंर्तराष्ट्रीय संगोष्ठी का उददेश्य मानव विज्ञान, रोगों और असमानताओं के सभी पहुलओं पर अपने अनुभवों और अनुसंधान परिणामों का आदान प्रदान करने के लिए प्रमुख शिक्षाविद्ों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और अनुसंधान विद्ववानों को एक मंच पर लाना था।
दिल्ली विश्वविद्यालय के सोशियल एंथ्रोपोलॉजी के पूर्व प्रोफेसर पी सी जोशी ने कहा कि भारत एक विविधतापूर्ण देश है जिसमें मेट्रो शहर, छोटे शहर, छावनियां और कस्बे शामिल है। समय की मांग है कि दूरदराज के इलाकों में स्वास्थय सुविधाएं उपलब्ध कराई जाये ताकि उन क्षेत्रों के लोगों को स्वास्थय सुविधाओं की कमी के कारण पेरशानी ना हो। हमने प्राथमिक स्वास्थय देखभाल में जबरदस्त प्रगति की है हांलाकि हमें सामुदायिक स्वास्थय सेवकों की आवश्यकता है जो देश की स्वास्थय सुविधाओं और बुनियादी ढांचे में सुधार की दिशा में काम कर सकें। केईएम हॉस्पीटल रिसर्च सेंटर पुणे के हैल्थ सांइस के प्रोफेसर संजय जुवेकर ने संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया भर में मानवविज्ञान पर कार्य करने वाले साथियों नवविचार ‘‘वैश्विक सोच और वैश्विक कार्य’’ को अपनाकर और युवा पीढ़ी के मानवविज्ञानी को प्रोत्साहित करके भारतीय मानवविज्ञानी वैश्विक पहल में अपनी स्थिती को बढ़ा सकते है। इसके अलावा नेटवर्क पाटर्नर के रूप में एक साथ काम करने, अनुसंधान की अखंडता के साथ नैतिकता को आगे लाने और मानव विज्ञान में नए तरीकों को अपनाने से भी उनकी स्थिती को मजबूत करने में मदद मिलेगी। कलकत्ता विश्वविद्यालय के एंथ्रोपोलॉजी विभाग के प्रो शुभो रॉय ने कहा कि वर्ष 1998 में मातृ सुधार के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रम प्रारंभ किये गये थे। स्वास्थय देखभाल और बाल स्वास्थय मुद्दे जैसे सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम में मानवविज्ञान की भूमिका और स्वास्थय देखभाल मेें असामनता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे है।
मानवविज्ञान का उददेश्य सभी को उनकी समाजिक आर्थिक स्थिती के बावजूद बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है। एमिटी विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने कहा कि यह सम्मेलन ना केवल ज्ञान बढ़ाने में सहायक होगी बल्कि स्वास्थय देखभाल में असमानता की समस्या का समाधान खोजने और प्रोत्साहित करने के लिए बहु विषयक दृष्टिकोण को भी बढ़ावा देगी ।
सेंटर फॉर एंथ्रोपोलॉजी के प्रमुख डा रूमी देब द्वारा स्वागत करते हुए कहा कि प्री – वर्ल्ड एंथ्रोपोलॉजी कांग्रेस 2023 अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन शिक्षाविद्ों और अनुसंधान कर्ताओं के मध्य नेटवर्क स्थापित करने में सहायता करेगी। मानव विज्ञान और स्वास्थय एक दूसरे से जुड़े है इसके अतिरिक्त मानवविज्ञान ने फेफड़ों के कैसर और थैलेसीमिया जैसे रोगों से निपटने में सहायता की हैै। यह सम्मेलन स्वास्थय देखभाल में असमानता को समाप्त करके मानव विज्ञान में क्रातिंकारी बदलाव लाने के लिए प्रेरित करेगा। इस सम्मेलन के अंर्तगत ‘‘वैश्विक स्वास्थय मानवशास्त्रीय परिपेक्ष्य, मानव विज्ञान और सार्वजनिक स्वास्थय महामारी विज्ञान, मानवविज्ञान और स्वदेशी स्वास्थय, संस्कृति स्वास्थय और रोग पर महत्वपूर्ण परिपेक्ष्य आदि विषयो पर सत्रों का आयोजन किया गया।