बादलपुर एसटीपी से हुई शुरुआत, अब इकोटेक-2, इकोटेक-3 और कासना एसटीपी की तैयारी

मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ग्रेटर नोएडा
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अब अपने सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) को तकनीकी रूप से और अधिक सक्षम बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है।
इस दिशा में पहला कदम बादलपुर स्थित 2 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी पर ऑनलाइन कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम (OCMS) लगाकर उठाया जा चुका है। अब इस सिस्टम की मदद से ऑफिस में बैठकर ही इस एसटीपी के संचालन की निगरानी की जा रही है।
यह परियोजना नमामि गंगे मिशन के अंतर्गत की जा रही है, जिसके तहत उत्तर प्रदेश के सभी एसटीपी को डिजिटल निगरानी तकनीक से जोड़ा जा रहा है।
🌐 ऑनलाइन मॉनिटरिंग से मिलेगा रियल टाइम डेटा
प्राधिकरण के सीईओ एन. जी. रवि कुमार के निर्देश पर सीवर विभाग ने सभी एसटीपी पर OCMS लगाने की कार्य योजना तैयार की है।
वरिष्ठ प्रबंधक विनोद शर्मा ने बताया कि OCMS लगने के बाद एसटीपी की बीओडी (Biochemical Oxygen Demand) और सीओडी (Chemical Oxygen Demand) जैसी अहम गुणवत्ता सूचनाएं ऑफिस में रियल टाइम में उपलब्ध रहेंगी।
सिस्टम से छह मोबाइल या लैपटॉप जोड़े जा सकते हैं, जिससे वरिष्ठ प्रबंधक, मैनेजर, कांट्रैक्टर, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, और नमामि गंगे परियोजना से जुड़ी अथॉरिटी भी लगातार निगरानी कर सकेंगे।
🔧 अगले चरण में इकोटेक और कासना एसटीपी
- इकोटेक-2 (15 एमएलडी) और इकोटेक-3 (20 एमएलडी) एसटीपी पर अगले दो सप्ताह में OCMS लग जाएगा।
- कासना एसटीपी (137 एमएलडी) पर भी अगले एक महीने में सिस्टम लगाने की तैयारी है। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया जारी कर दी गई है।
एक एसटीपी पर OCMS स्थापित करने में लगभग ₹30 लाख रुपये का खर्च आ रहा है, जिसे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण स्वयं वहन कर रहा है।
🗣️ एसीईओ प्रेरणा सिंह का बयान
“सभी एसटीपी को ऑनलाइन कंट्रोल मॉनिटरिंग सिस्टम से लैस करने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है। बादलपुर एसटीपी पर यह तकनीक लागू की जा चुकी है। इससे एसटीपी संचालन की गुणवत्ता और निगरानी में बेहद सहूलियत होगी।”
📊 एसटीपी क्षमता विवरण:
स्थान क्षमता (एमएलडी) बादलपुर 2 इकोटेक-2 15 इकोटेक-3 20 कासना 137

✅ परियोजना का उद्देश्य
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का यह कदम स्मार्ट सिटी अवधारणा, स्वच्छ भारत मिशन और नमामि गंगे अभियान के लक्ष्यों की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। यह न केवल एसटीपी संचालन को पारदर्शी और दक्ष बनाएगा, बल्कि पर्यावरणीय नियमों के अनुपालन में भी मददगार होगा।