ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में फर्जीवाड़ा करते युवक को रंगे हाथ पकड़ा

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में फर्जीवाड़ा करते युवक को रंगे हाथ पकड़ा, सूरजपुर पुलिस ने की कार्यवाही शुरू

मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ ग्रेटर नोएडा
ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण में एक बड़ा फर्जीवाड़ा उस समय टल गया जब प्रॉपर्टी ट्रांसफर के लिए पहुंचे एक व्यक्ति को संपत्ति विभाग की मुस्तैदी के चलते रंगे हाथ पकड़ लिया गया। आरोपी, फर्जी दस्तावेजों के ज़रिये मूल आवंटी बनकर प्रॉपर्टी ट्रांसफर कराने आया था। प्राधिकरण ने तत्परता दिखाते हुए तुरंत सूरजपुर थाना पुलिस को सूचना दी, जिसने मौके पर पहुंचकर आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा

मामला सेक्टर पी-3 स्थित भूखंड संख्या D-138 से जुड़ा है, जो मूल रूप से पीपी सिंह के नाम आवंटित है। आरोपी ने इस भूखंड के ट्रांसफर के लिए प्राधिकरण में आवेदन किया और जरूरी दस्तावेज संलग्न किए। जब फिजिकल वेरीफिकेशन के लिए बुलाया गया, तो संपत्ति विभाग की प्रबंधक को उसके दस्तावेज और हावभाव संदिग्ध लगे।

आधार कार्ड में प्रेम प्रकाश सिंह नाम था, लेकिन फोटो किसी और का था। दस्तावेजों और रिकॉर्ड का मिलान करने पर फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई। तत्काल ग्रेटर नोएडा एम्प्लॉयीज एसोसिएशन के अध्यक्ष सोनू भड़ाना को बुलाया गया और फिर पुलिस को सूचित किया गया

पकड़ा गया आरोपी और बरामदगी

पुलिस ने मौके से महिपाल पुत्र चंद्रपाल सिंह, निवासी ग्राम जौली, थाना सिकंदराबाद, जिला बुलंदशहर को गिरफ्तार किया। उसके पास से एक फर्जी आधार कार्ड और एक कूटरचित पैन कार्ड, दोनों प्रेम प्रकाश सिंह के नाम से, बरामद किए गए।

पुलिस कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर के अनुसार, अभियुक्त ने यह धोखाधड़ी वीर सिंह पुत्र ब्रजलाल, निवासी सौरभ विहार, साउथ दिल्ली के नाम पर ट्रांसफर डीड करवाने के लिए की थी। इस संबंध में थाना सूरजपुर पर मु0अ0सं0- 306/2025, धारा 318(4)/338/336(3)/340(2)/61(2) बीएनएस के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

प्राधिकरण की सख्ती और संदेश

प्राधिकरण के एसीईओ सुनील कुमार सिंह ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि फर्जीवाड़ा करने वालों को किसी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति इस गिरोह में शामिल हैं, उनकी पड़ताल की जा रही है और सख्त कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

सीईओ एन.जी. रवि कुमार ने संपत्ति विभाग समेत सभी संबंधित इकाइयों को निर्देश दिए हैं कि फिजिकल वेरीफिकेशन की प्रक्रिया को और भी कड़ा बनाया जाए ताकि भविष्य में इस तरह के फर्जीवाड़े न हो सकें।

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