एक विवाह ऐसा भी………..

आर्य सागर खारी
हम और हमारा संगठन दहेज एक अभिशाप निवारण समिति दहेज की कुप्रथा के विरुद्ध एक अभियान चलाए हुए हैं। आज इस अभियान के तहत संगठन की ओर से बागपत जनपद के ‘बली’ गांव में हुए दहेज व दिखावा मुक्त आदर्श विवाह संस्कार में पहुंच कर दहेज न लेने के दिव्य देव संकल्प को पूर्ण करने वाले दूल्हा चिरंजीवी आकाश निवासी खानपुर ग्राम दिल्ली व नववधू आयुष्मति शिल्पी को प्रशस्ति पत्र देकर उनके सुखमय आदर्श दांपत्य जीवन की शुभकामनाएं प्रेषित की गई। दोनों ही उच्च शिक्षित व योग्य है। इस आदर्श विवाह में दिल्ली की साकेत कोर्ट में कार्यरत अधिवक्ता बहन एडवोकेट सीमा चौधरी की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इन दोनों परिवारों को उन्होंने मिलाया। इस अवसर पर संगठन की ओर से संगठन के संस्थापक सदस्य आर्य सागर ,मास्टर मानवेंद्र भाटी, संगठन की विधिक सलाहकार एडवोकेट सीमा चौधरी व कार्यक्रम की कवरेज के लिए गौतमबुद्धनगर विश्वविद्यालय के जर्नलिज्म मास कम्युनिकेशन के दो होनहार छात्र युवा पत्रकार बॉबी भाटी, विक्की भाटी आदि उपस्थित रहे। जिन्होंने आज बहुत शानदार कंटेंट क्रिएट किया है जागरूकता के लिए इस विवाह को कवर किया है। उस कंटेंट को आपके साथ साझा किया जाएगा।

मैंने जब दुल्हे से पूछा कि आपको दहेज मुक्त विवाह करने की प्रेरणा किससे मिली? तो उसने तत्काल कहा कि-” मैंने अपने पिता को खो दिया ऐसे में मुझे प्रेरणा मेरी माता से मिली। मेरी माता की शुरु से ही यह इच्छा रही है कि मैं दहेज न लूं अपने परिश्रम पुरुषार्थ से संसाधन इकट्ठा करूं मैंने अपनी माता की दोनों ही इच्छाओं को पूरा किया है। मुझे अपने आप पर गर्व हो रहा है अपार हर्ष की अनुभूति हो रही है“। सचमुच आदर्श संतानों का निर्माण माता ही करती है तभी तो ऋषि यास्क ने माता को निर्माता कहा है । निरुक्त शास्त्र के रचयेता महर्षि यास्क से उनके एक शिष्य ने पूछा गुरुदेव अआपने माता शब्द की निरुक्ति (इंटरप्रिटेशन) नहीं की। माता किसे कहते तो ऋषि ने कहा माता निर्माता भवति अर्थात माता वह जो संतानों का निर्माण करें ।ऋषि यास्क के इस वचन को आज साक्षात् सार्थक फलीभूत होते देखा।

हमारा व हमारे संगठन का यह संकल्प है संगठन के पास उपलब्ध संसाधनों के आधार पर दिल्ली एनसीआर में ऐसे आदर्श विवाह जहां भी होते है तो हम वरमाला की स्टेज पर ही पहुंचकर ऐसे नव दंपति को शुभकामनाएं दें उन्हें वह उनके पारिवारिक जनों के आदर्श कार्य के लिए उनकी सार्वजनिक सरहाना करें।पटका उढ़ाकर प्रशस्ति पत्र साहित्य देकर उन्हें सम्मानित करें। नव दंपति को महर्षि दयानंद रचित अमूल्य ‘संस्कार विधि’ पुस्तक भी प्रदान की गई जिसमें हिंदुओं के 16 संस्कार व विशेष तौर पर विवाह संस्कार ग्रहस्थ आश्रम के आदर्श व्यवहार कर्तव्यों का बहुत सुंदर गहन वर्णन मिलता है।

लेखक:- आर्य सागर खारी, तिलपता, ग्रेटर नोएडा, आरटीआई कार्यकर्ता, सामाजिक चिंतक और विचारक हैं।

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