
✍️ मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी”/ गौतमबुद्धनगर
सूरजपुर कस्बे का पावन बाबा गुरु गोरखनाथ बाबा जाहरवीर गोगाजी मंदिर परिसर इन दिनों अध्यात्म, भक्ति और साधना का केंद्र बना हुआ है। यहां गुरु गोरखनाथ और बाबा जाहरवीर गोगा जी के परम भक्त, लीलू भगत एक पैर पर खड़े होकर 11 दिवसीय कठिन तपस्या में लीन हैं।
यह तपस्या 16 जून 2025, सोमवार से आरंभ हुई है और 20 जून से मौन व्रत के साथ अगले पाँच दिन और चलेगी।

🕉️ तपस्या का स्वरूप: एक पैर पर अडिग आस्था
माथे पर तिलक, शरीर पर भगवा वस्त्र, मौन मुख पर संतुलित मुस्कान और आंखों में भक्ति का तेज लिए लीलू भगत पूरे ध्यान से तपस्या में तल्लीन हैं। धूप, धूणा और मंत्रोच्चार के बीच उनका एक पैर पर खड़े रहना केवल शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि मानसिक शक्ति, अध्यात्म और सच्चे समर्पण का प्रतीक है।
वह इससे पहले भी तीन बार इस कठिन साधना को पूर्ण कर चुके हैं —
🔸 21 दिन की एकांत तपस्या
🔸 11 दिन का संकल्प
🔸 5 दिन की तप साधना

👣 संत परंपरा की विरासत: पीतम भगत से लीलू भगत तक
लीलू भगत का तप, उनके परिवार की आध्यात्मिक परंपरा का विस्तार है। उनके बड़े भाई पीतम भगत, जिन्होंने 20 वर्षों तक साधना में जीवन बिताया, बाबा जाहरवीर गोगा जी के परम भक्त रहे। अब यह विरासत लीलू भगत ने अपनाई है — और अब करीब 25 वर्षों से वह गुरु गोरखनाथ और बाबा गोगा जी की आराधना में रमे हुए हैं।
पीतम भगत के पुत्र नरेंद्र कुमार ने बताया:
“हमारे धूणे की भभूत चमत्कारी मानी जाती है, और श्रद्धा से लगाने पर यह कई रोगों व मानसिक संकटों से मुक्ति दिलाती है। यह साधना समाज को आध्यात्मिक ऊर्जा देने का कार्य करती है।”

🛕 धार्मिक आयोजन और श्रद्धालुओं की भागीदारी
शिव मंदिर सेवा समिति सूरजपुर के व्यवस्थापक रवि भाटी ने बताया कि
तपस्या के समापन दिवस पर
🔸 विशेष हवन-पूजन
🔸 महाभंडारे
🔸 कई संत-महात्माओं का समागम का आयोजन किया जाएगा। राजस्थान, हरियाणा और यूपी के कई अखाड़ों और मंदिरों से संत-पुरुषों के आने की पुष्टि हो चुकी है।
🙏 समर्पण, सहयोग और श्रद्धा: संगठित समाज की तस्वीर
इस आयोजन में समाज के हर वर्ग की भागीदारी दिखी।
शिव मंदिर सेवा समिति के अध्यक्ष चौधरी धर्मपाल भाटी,
संरक्षक राजवीर भगत जी,धर्मवीर भाटी,,महामंत्री ओमवीर बैसला, सह मीडिया प्रभारी राजवीर शर्मा, तथा अन्य कार्यकर्ता – रवि भाटी, नरेंद्र कुमार, पप्पी ठेकेदार, रघुराज भाटी, सुरेंद्र भाटी, अशोक, सुनील, अजीत, सुधीश भाटी आदि पूरी निष्ठा से व्यवस्था और सेवा कार्य में लगे हैं।

इस मौके पर दर्जनों महिलाएं भी कीर्तन-भजन में तल्लीन रहीं। भक्ति भाव से ओतप्रोत वातावरण, मंदिर में गूंजते नाम, और मौन व्रत की तैयारी — सबकुछ जैसे भक्तिमय ऊर्जा से भर गया है।
🌺 यह तप नहीं, प्रेरणा है
लीलू भगत की यह तपस्या आज के समय में सांसारिक जीवन में डूबे लोगों को अध्यात्म की ओर लौटने का सजीव संदेश देती है।
यह दिखाता है कि आज भी संत परंपरा जीवित है, और ऐसे संत, समाज को न केवल जोड़ते हैं बल्कि उसे धैर्य, आस्था और शांति के पथ पर भी ले जाते हैं।

📌 “धूणे की राख, मौन का संकल्प और एक पैर पर संतुलित साधना — सूरजपुर की यह साधना कथा आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनेगी।”