आम बजट-2024-25ः- मोदी जी को मां गंगा ने नहीं बुलाया, ’यूपी को क्या मिला’?

आम बजट पेश किया
आम बजट पेश किया

चौधरी शौकत अली चेची

केंद्र सरकार ने आम बजट पेश किया। बजट हर वर्ष आता है, आके चला जाता है। उद्योगपतियों को मालामाल एवं आम जनता को कंगाल ही करके जाता है। मोदी वाराणसी से सांसद है, क्या यूपी के लिए बजट में कुछ खास मिला। आखिर मोदी जी को मां गंगा ने नहीं बुलाया, ’यूपी को क्या मिला’? यूपी सरकार एवं केंद्र सरकार में नूरा कुश्ती चल रही है। योगी जी ने दबी जुबान से अपने बयानों में केंद्र सरकार के बजट की सराहना की है। 140 करोड़ देशवासियों का जिक्र करते हुए विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत का निर्माण, आर्थिक दस्तावेज है। बजट पर गरीब किसान, महिला, नौजवान समेत समाज के सभी तत्वों के संग्रह विकास का संकल्प, हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर  बनने की दृष्टि और वंचित को वासना से मुक्त करने का रोड मैप है। भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और विश्व का ग्रोथ इंजन बनाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इस लोक कल्याणकारी बजट के लिए  प्रधानमंत्री जी का हृदय से आभार एवं केंद्रीय वित्त मंत्री जी का हार्दिक अभिनंदन, योगी जी के इन बयानों से क्या लगता है, कि खतरा टल गया है? आंध्र और बिहार को विशेष योजनाएं देकर साबित कर दिया कि अंधा बांटे रेवड़ी अपने-अपने को दे। यह डर होना चाहिए, मगर बहुत से राज्यों के लिए सौतेला व्यवहार भी हुआ है, लेकिन 5 किलो राशन वालों को क्या मिला? आंध्र प्रदेश को 15 हजार करोड़ की विशेष योजनाएं दी,   बिहार को मेडिकल और एयरपोर्ट के लिए 26 हजार करोड़ के बजट का ऐलान किया।

पेश केन्द्रीय बजट अपने पुराने ढर्रे पर कुछ मुट्ठी भर अमीर व धन्नासेठों को छोड़कर देश के गरीबों, बेरोजगारों, किसानों, महिलाओं, मेहनतकशों, वंचितों के त्रस्त जीवन से मुक्ति के लिए ’अच्छे दिन’ की उम्मीदों वाला नहीं, बल्कि उन्हें मायूस करने वाला बजट है। देश में छाई जबरदस्त गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, पिछड़ापन तथा  80 प्रतिशत से अधिक कमजोर तबकों के उत्थान व उनके लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं के प्रति तीसरी बार की नई सरकार में भी अपेक्षित सुधारवादी नीति व नीयत का अभाव है। बजट में ऐसे प्रावधानों से  लोगों का जीवन  खुशहाल नहीं हो पाएगा। देश का विकास व लोगों का उत्थान आंकड़ों के भूल भुलैया वाला नहीं होता, बल्कि लोगों को त्राहिमाम जीवन से मुक्ति रोजगार के अवसर, जेब में खर्च के लिए पैसे, आमदनी जैसी बुनियादी सुविधा सभी को मिलाकर होनी चाहिए थी।

किसानों का कर्ज,  मौसम के कारण फसलों का नुकसान, फसलों पर बोनस, ट्यूबवेलो पर बिजली फ्री, आवारा पशुओं से फसलों का नुकसान, अकस्मात जान माल की क्षति पर किसानों के लिए कोई विशेष राहत का प्रावधान नहीं है, किसानों को टैक्स में कोई विशेष छूट नहीं, खाद, यूरिया, बीज, खरपतवार एवं कीटनाशक दवाइयां पर कोई राहत नहीं, जीएसटी टैक्स वेट देने में अन्नदाता पीछे नहीं है, देश की लगभग 70 प्रतिशत आर्थिक व्यवस्था एवं सीमाओं की रक्षा करने में अन्नदाता की मुख्य भूमिका है, इन सभी बिंदुओं को  मद्देनजर रखते हुए ऊंट के मुंह में जीरा है। किसान को लोन से ज्यादा अधिकार की आवश्यकता है। बजट में ढोल बजाया की  किसानों की समृद्धि, कृषि व सहायक सेक्टरों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये 3 लाख तक के इनकम टैक्स में कोई टैक्स नहीं लगेगा लेकिन डीजल, पेट्रोल, रसोई, गैस, बिजली बिल, आदि आवश्यक वस्तुओं पर जो रोजमर्रा में काम आती हैं उन पर से चार्ज कम कर दिया जाता तो आम इंसान को काफी राहत मिलती और सरकार की सराहना भी की जाती।

इस बजट में किचन का भी ध्यान नहीं रखा है। केवल भाषण व घोषणाएं पर निर्भर रहा और सरकार ने मंहगाई के बारे में कोई कदम नहीं उठाया है। निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि वर्कफोर्स में महिलाओं का हिस्सा बढ़ाने के लिए सरकार की तरफ से कई योजनाएं चलाई जाएंगी। इसके अलावा सरकार कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास भी शुरू करेगी। छात्रावासों और शिशुगृहों के  बजट में महिलाओं और बालिकाओं को लाभान्वित करने वाली योजनाओं के लिए 3 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान की घोषणा की गई है। इस साल एजुकेशन और रोजगार सेक्टर में 1.48 लाख करोड़ रुपये खर्च करना का प्रस्ताव पेश किया है। झूठी घोषणाओं की भी कोई सीमा नहीं, पिछले 10 सालों से महिलाओं को राहत में क्या मिला? जो अब मिल जाएगा।

बजट में किए गए प्रावधानों पर प्रधानमंत्री मोदी ने हर बार की तरह खूब भाषण दिए और कहा कि यह बजट देश को समृद्धि की ओर लेकर जाएगा और इस बजट में समाज के सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है। यह शक्ति देने वाला बजट है, ये किसानों-युवाओं को प्रगति की राह पर ले जाना वाला बजट है। पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं, ये उनकी आर्थिक प्रगति में निरंतरता का बजट है, ये युवाओं को अनगिनत मौके देने वाला बजट है। इस बजट से मिडिल क्लास को नई ताकत मिलेगी, ये जनजातीय समाज, दलित, पिछड़ों को सशक्त करने की मजबूत योजनाओं के साथ आया है। इस बजट से महिलाओं की आर्थिक भागीदारी सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। ’इस बजट से व्यापारियों, लघु उद्योगों को प्रगति का नया रास्ता मिलेगा। बजट में उत्पादन पर भी बल है, इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी बल है। इससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी और गति को भी निरंतरता मिलेगी। रोजगार और स्वरोजगारों को पैदा करना हमारी सरकार की पहचान रही है।  बजट में सरकार ने एमप्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेटिव का एलान किया है। इस योजना के तहत जीवन में पहली नौकरी पाने वाले युवा की पहली तनख्वाह हमारी सरकार देगी। कौशल विकास और उच्च शिक्षा के लिए मदद हो या फिर एक करोड़ नौजवानों को इंटर्नशिप की योजना, इसे युवाओं के, गरीब के, मेरे बेटे-बेटी, देश की टॉप कंपनियों में काम करेंगे उनके लिए संभावनाओं के नए द्वार खुलेंगे।

पेश केन्द्रीय बजट
पेश केन्द्रीय बजट

ये चीजें होंगी सस्ती, कैंसर से जुड़ी तीन दवाओं पर कस्टम ड्यूटी हटाई गई। एक्सरे ट्यूब और फ्लैट पैनल डिटेक्टर पर भी आयात शुल्क हटाया गया। मोबाइल फोन और पार्ट्स- पीसीबी और मोबाइल फोन चार्जर पर कस्टम ड्यूटी 15 फीसदी घटी। 25 आवश्यक खनिजों पर सीमा शुल्क नहीं। सोलर सेल और सोलर पैनल के निर्माण की वस्तु पर टैक्स में छूट। सोने और चांदी पर सीमा शुल्क घटाकर छह फीसदी किया गया। ज्वैलरी सस्ती होंगी। प्लैटिनम पर सीमा शुल्क घटकर अब 6.4 फीसदी हुआ। मछलियों और अन्य जलजीवों के भोजन पदार्थों पर आयात शुल्क पांच फीसदी करने का निर्णय। इन चीजों के लिए चुकानी होगी ज्यादा कीमत पीवीसी फ्लेक्स बैनर का आयात करना महंगा होगा। कुछ दूरसंचार उपकरणों का आयात महंगा होगा। आधारभूत कस्टम ड्यूटी 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत की गई। मेक इन इंडिया के तहत देश में बने सस्ते घरेलू उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा। एक साल से ज्यादा तक रखे गए इक्विटी निवेश महंगे होंगे। टैक्स 15 प्रतिशत से 20 प्रतिशत किया गया। एक साल से ज्यादा रखे गए शेयर महंगे होंगे। टैक्स 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत किया गया। अमोनियम नाइट्रेट पर आयात शुल्क 10 फीसदी बढ़ाया गया। खुद से नष्ट न होने वाले प्लास्टिक महंगे होंगे। आयात शुल्क 25 फीसदी बढ़ाया गया।

लेखकः-चौधरी शौकत अली चेची, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भाकियू (अंबावता) एवं पिछड़ा वर्ग उ. प्र. सचिव (सपा) हैं।

 

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