आरोप लगाया गया है कि जिला समाज कल्याण अधिकारी शैलेंद्र बहादुर सिंह के द्वारा आरडब्ल्यूए चुनाव में सैक्टरवासियों के अनुमानतः 3.5 . 4 लाख रूपये डकार लिए गए हैं जिनमें से कुछ राशि की तो कोई रसीद नहीं दी गई और कुछ राशि की फर्जी रसीदें देकर ले ली गईं
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/गौतमबुद्धनगर
गौतमबुद्धनगर के जिला समाज कल्याण अधिकारी पर जांच की तलवार लटक चुकी है। वैसे यहां के जिला समाज कल्याण अधिकारी शैलेंद्र बहादुर सिंह गौतमबुद्धनगर से तबादला करवाने में भी कामयाब हो चुके हैं किंतु जांच के आदेश दिए जाने से अब उनकी मुश्किलें बढनी तय हैं। प्रशासनिक हलकों को गौतमबुद्धनगर के जिला समाज कल्याण अधिकारी शैलेंद्र बहादुर सिंह के तबादले के क्रम में नई पोस्टिंग को उनके अच्छे कामों का नतीजा समझा जा रहा है, जबकि उनकी मनमानी और भ्रष्टाचार ग्रेटर नोएडा के सैक्टर 37 के निवासियों के बीच खासा चर्चा का विषय बना हुआ है। आरोप लगाया गया है कि जिला समाज कल्याण अधिकारी शैलेंद्र बहादुर सिंह के द्वारा आरडब्ल्यूए चुनाव में सैक्टरवासियों के अनुमानतः 3.5 . 4 लाख रूपये डकार लिए गए हैं जिनमें से कुछ राशि की तो कोई रसीद नहीं दी गई और कुछ राशि की फर्जी रसीदें देकर ले ली गईं । बार बार मांगने पर भी इस अवैध उगाही का उनके द्वारा कोई विवरण भी नहीं दिया गया है। इनकी कई शिकायतें जिलाधिकारी गौतम बुद्धनगर, डिप्टी रजिस्ट्रार फर्म्सए सोसायटीज एवं चिट्स, गाजियाबाद के कार्यालय में लंबित हैं जिन पर डिप्टी रजिस्ट्रार के द्वारा नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। जब कि जिलाधिकारी गौतमबुद्धनगर की ओर से एडीएम (वित्त एंव राजस्व) को अलग से जांच सौंपी है ।
शिकायतकर्ता देवराज सिंह नागर ने पत्र में कहा है कि इस प्रकरण में जिला समाज कल्याण अधिकारी शैलेंद्र बहादुर सिंह ने अनुमानतः 3.5 . 4 लाख रूपये डकारने के लिए चुनावों में भी गड़बड़ी कर सैक्टर में वैमनस्य फैलाया है। यहां तक ये कहते नही थकते थे कि इन पर मुख्यमंत्री की विशेष कृपा है। जब कि ये माननीय मुख्यमंत्री जी और सरकार की भी छवि धूमिल करने से कुछ भी ज्यादा नही हैं। शिकायतकर्ता देवराज सिंह नागर ने विजन लाइव को बताया कि वे ग्रेटर नोएडा के सेक्टर-37 आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष थे और समय से पहले ही चुनाव कराते हुए हेरा फेरी कराते हुए दूसरे पक्ष के लोगों को विजयी घोषित करा दिया गया और लाखों का गोलमाल कर बैठे। इस मामले में शिकायत गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा से भी की गई है और जिन्होंनें मामले की जांच एडीएम (वित्त एवं राजस्व) को सौंपी हैं।