यीडा क्षेत्र में फिल्म सिटी:
नोएडा फिल्म सिटी की योजना पर सवाल
–राजेश बैरागी-
36 बरस पहले मुंबई (तब बम्बई) के बरअक्स नोएडा में फिल्म सिटी बनाने की योजना कहां तक पहुंची है? यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) क्षेत्र में एक हजार हेक्टेयर में विश्व की आधुनिकतम फिल्म सिटी बनाने की शुरुआत होने पर यह प्रश्न फिर से पूछा जाने लगा है।
1988 में उत्तर प्रदेश सरकार और नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन खैरख्वाहों ने नोएडा में मुंबई के मुकाबले जिस फिल्म सिटी को बनाने की योजना बनाई, वह आज भी अधूरी है। लगभग सौ एकड़ भूमि पर विकसित की गई यह फिल्म सिटी कहीं से भी फिल्मी दुनिया का अहसास नहीं कराती है। यहां इनडोर आउटडोर शूटिंग, फिल्म प्रशिक्षण, ऑडियो वीडियो रिकॉर्डिंग आदि फिल्मों के निर्माण से जुड़ी गतिविधियों के उत्पादन की योजना बनाई गई थी। परंतु एक वर्ष बाद ही उत्तर प्रदेश के तख्त से कांग्रेस पार्टी की विदाई हो गई। उसके बाद आईं मुलायम सिंह, कल्याण सिंह और मायावती की सरकारों ने इस फिल्म सिटी के निर्माण के विचार को हाशिए पर डाल दिया।इसका नुकसान यह हुआ कि यहां स्टूडियो के लिए भूखंड खरीदने वाले फिल्म निर्माताओं ने मूलभूत सुविधाओं के अभाव में यहां से दूरी बना ली। प्रसिद्ध फिल्म निर्माता स्व सुरेन्द्र कपूर अक्सर यहां अपने स्टूडियो तथा अपने दामाद संदीप मारवाह के एएएफटी में आया करते थे।वे हमेशा यहां फिल्म निर्माण के लिए जरूरी सुविधाओं को लेकर कभी संतुष्ट नहीं थे। एक बार साथ साथ खाना खाने के दौरान मैंने उनसे पूछा कि वे यहां फिल्म की शूटिंग क्यों नहीं करते हैं। उन्होंने कहा, मैं एक फिल्म की शूटिंग यहां करने के लिए आया था। मुझे हेलीकॉप्टर की जरूरत थी, तीन दिन तक इंतजार करने के बावजूद नहीं मिला। मैंने पूछा, क्या असली हेलीकॉप्टर? उन्होंने कहा तो क्या लकड़ी का। नब्बे के दशक में फिल्म सिटी के कई स्टूडियो शादी समारोह के आयोजन में उपयोग होने लगे। फिर यहां फिल्म से संबंधित कामकाज मामूली रह गया और कंपनियों के कॉरपोरेट ऑफिस, समाचार चैनलों के कार्यालय आदि खुल गये।हाल ही में यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण क्षेत्र में फिल्म सिटी बनाने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने आये बोनी कपूर ने नोएडा फिल्म सिटी के सवाल पर कहा कि उसकी योजना में ही कमी थी। मात्र दो दो एकड़ के भूखंडों पर फिल्मों की शूटिंग संभव ही नहीं थी। इस प्रकार बड़े जोर शोर से मुंबई की तर्ज पर नोएडा में फिल्म उद्योग को स्थापित करने का सपना पूरा होने से पहले ही धूल में मिल गया और यह एक नमूना फिल्म सिटी बन कर रह गई।
लेखक: –स्वतंत्र पत्रकार, चिंतक और विचारक हैं।