प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय गौतमबुद्धनगर बुद्धि सागर मिश्र ने विवाह विच्छेद वाली याचिका को निरस्त कर दिया
मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/ग्रेटर नोएडा
लंबी कानूनी जद्दोजहद के बाद तलाक नही मिल पाया गया है। पति और पत्नी करीब वर्ष 2014 से ही अलग अलग रहे थे। पति की ओर से गौतमबुद्धनगर परिवार न्यायालय में यह मामला सुनवाई के लिए आया। इसमें याची यानी पति की ओर से विवाह विच्छेद किए की मांग की गई। प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय गौतमबुद्धनगर बुद्धि सागर मिश्र ने याची इस याचिका को निरस्त कर दिया है।
अनिरूद्ध तनख निवासी कोटा, राजस्थान और अपर्णा तनखा निवासी काकदेव, कानपुर का विवाह दिनांक 08-02-2013 को हिंदु रीति रिवाजों के अनुसार सप्तपदी से परिजनों, रिश्तेदारों की उपस्थिति में संपन्न हुआ था।
शादी के कुछ दिन बाद ही पति पत्नी के बीच कुछ बातों को लेकर विवाद उत्पन्न होना शुरू हो गया। बचाव पक्ष यानी पत्नी अपर्णा तनखा के अधिवक्ता धर्मपाल सिंह एडवोकेट ने बताया कि पति पक्ष की ओर से पति पर कई तरह के आरोप लगाए गए। इसमें यह भी कह गया कि जब पत्नी से मूवी देखने अथवा बाहर घमूने जानी की बात की जाती है तो वह मना कर देती है। यहां तक की नजदीक आने की कोशिश की जाती है तो वह असामान्य हो जाती है तथा उग्र आचरण कर चिखने चिल्लाने लगती है यहां तक शरीर को छूने नही देती है। उन्होंने यह भी बताया कि गत दिनांक 08-03-2014 को पत्नी के अपने पीहर जाने के बाद से आज करीब 8 वर्ष तक निरंतर कालावधि से बिना किसी युक्तियुक्त कारण एवं आधार के तथा बिना उसकी सहमति से उसे अभित्यक्त रखा है, इसलिए विपक्षिया यानी पत्नी से याची/पति विवाह विच्छेद/तलाक चाहता है। लंबी कानूनी जद्दोजहद के बाद भी गौतमबुद्धनगर परिवार न्यायालय से पति/ याची को तलाक नही मिल पाया। न्यायालय ने याची और विपक्षिया के तर्को और सुबूतों को सुना। प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय गौतमबुद्धनगर बुद्धि सागर मिश्र ने सुबूतों और गवाहों के मद्देनजर याची/ पति की विवाह विच्छेद यानी तलाक मांगे जाने वाली याचिका को निरस्त कर दिया है।