जौहर यूनिवर्सिटी की ओर एक अविस्मरणीय यात्रा— “शिक्षा शेरनी का दूध है…”

 


जौहर यूनिवर्सिटी की ओर एक अविस्मरणीय यात्रा

चौधरी शौकत अली चेची

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, किसान एकता (संघ) व .पिछड़ा वर्ग उत्तर प्रदेश सचिव (सपा) हैं।


प्रस्तावना—“शिक्षा शेरनी का दूध है…”

डॉ. भीमराव अंबेडकर जी ने कहा था—
“शिक्षा शेरनी का दूध है, जो पिएगा वही दहाड़ेगा।”

यह पंक्ति मेरे जीवन के हर संघर्ष में मार्गदर्शक रही है। आज भी जब मैं किसी संस्थान के भीतर उस प्रकाश को देखता हूं जिसे शिक्षा कहते हैं, तो मुझे लगता है कि भारत की वास्तविक शक्ति, असली क्रांति और सबसे पवित्र बदलाव—किसान, मजदूर, पिछड़े और गरीब परिवारों के बच्चों की शिक्षा में ही बसता है।

14 नवंबर 2025 का दिन, मेरे जीवन की कुछ खास स्मृतियों में से एक है।
किसान एकता (संघ) के एक छोटे से लेकिन महत्वपूर्ण डेलिगेशन को लेकर मैंने जौहर यूनिवर्सिटी, रामपुर की ओर यात्रा शुरू की। मेरे साथ थे—मेरे साथी और संगठन के मजबूत स्तंभ बदरुल इस्लाम उर्फ बदर भाई, जिनका राजनीतिक अनुभव, संघर्ष और आज़म खान साहब से निकट संबंध यात्रा को और अधिक अर्थपूर्ण बना रहा था।

यह यात्रा केवल एक मुलाकात भर नहीं थी। यह एक संकल्प यात्रा थी—शिक्षा, मानवता और सामाजिक न्याय की दिशा में चलने वाली यात्रा।


भाग 1 : रामपुर की सरज़मीं पर कदम — इतिहास की खुशबू

रामपुर हमेशा से भारत की सांस्कृतिक और राजनीतिक जमीन पर एक अनोखी पहचान रखता है।
यहाँ की मिट्टी में नवाज़ों की रिवायतें भी हैं, और आम जनता के संघर्षों की थकान भी।

जैसे-जैसे हम जौहर यूनिवर्सिटी की ओर बढ़ते गए, रास्ते में खेत, गाँव, कच्ची पगडंडियाँ, छोटे बाज़ार—सब कुछ किसी किताब के पन्नों की तरह खुलता चला गया। हर मोड़ पर मुझे लगता था कि शिक्षा का दीपक वही है जो समाज के सबसे अंधेरे कोनों तक रोशनी पहुँचा सके। यही भावना आज़म खान साहब के उस दूरदर्शी सपने के केंद्र में है—जिसे दुनिया जौहर यूनिवर्सिटी के नाम से जानती है।


भाग 2 : जौहर यूनिवर्सिटी—सपनों का उजाला

जैसे ही हम यूनिवर्सिटी के मुख्य प्रवेश द्वार के पास पहुँचे, मेरे मन में पहला विचार यही आया:

“यह सिर्फ यूनिवर्सिटी नहीं, एक आंदोलन है—शिक्षा का आंदोलन।”

करीब 300 एकड़ में फैला यह कैंपस, हर तरफ हरियाली, शांत वातावरण, और कोसी नदी का किनारा—इन सबने मिलकर एक ऐसा दृश्‍य गढ़ा जिसमें शिक्षा, प्रकृति और आध्यात्मिक शांति का संगम महसूस होता है।

एक छोटा सा इतिहास, लेकिन बड़े सपनों के साथ

  • 2004 — उर्दू यूनिवर्सिटी के रूप में प्रस्तावित
  • 2006 — यूपी विधानसभा के विशेष अधिनियम के तहत स्थापना
  • 2012 — पूर्ण विश्वविद्यालय का दर्जा
  • उद्घाटन — 18 सितंबर 2012, स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव जी द्वारा

यह वही जगह है जहाँ आज़म खान साहब ने सपना देखा कि मुस्लिम, दलित, पिछड़े, किसान, ग्रामीण परिवारों का बच्चा भी उच्च शिक्षा पा सके—सस्ती शिक्षा, सम्मानजनक शिक्षा, और गुणवत्ता वाली शिक्षा।


भाग 3 : मुलाकात — आज़म खान साहब का सरल व्यक्तित्व

जब हम यूनिवर्सिटी परिसर से होकर उनके निवास स्थान की ओर जा रहे थे, बदर भाई ने कहा—

“चेची जी, आप देखेंगे—इतना बड़ा नेता, इतना बड़ा नाम… लेकिन इतना सादा घर कि कोई यकीन ही न करे।”

और सचमुच, उन्होंने जो बताया था उससे भी अधिक साधारण वह जगह निकली।
एक छोटा सा पुश्तैनी मकान—जहाँ चार पहिया वाहन भी नहीं पहुँच सकता।
लगभग 300 मीटर पैदल रास्ता।

यह दृश्य देखकर मेरे मन में एक ही विचार आया—

“नेता वही महान, जिसका घर जनता की गलियों में हो।”

पिता जैसा स्नेह—मेरी छोटी बिटिया शुबुल पर उनका प्यार

मुलाकात के दौरान मेरी सबसे छोटी बेटी शुबुल अली चेची से आज़म साहब ने जिस अपनापे और प्यार से बात की, उसका वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता।
उनके शब्दों में पिता की ममता, एक मार्गदर्शक का आशिर्वाद और एक शिक्षक का सौम्य स्पर्श था।

उन्होंने कहा:

“बिटिया खूब पढ़ेगी। बेटियों की तरक्की ही असली तरक्की है।”

उनका यह लहजा, यह आत्मीयता—यात्रा को और भी भावुक, और यादगार बनाती है।


भाग 4 : यूनिवर्सिटी का भ्रमण — ज्ञान और संस्कृति का अनोखा संगम

पूरे कैंपस का भ्रमण करते समय मैं हर कदम पर एक नए आश्चर्य से गुजर रहा था।

1. मुमताज सेंट्रल लाइब्रेरी – एशिया की दुर्लभ धरोहर

  • 6000+ पुस्तकें
  • 17,000 दुर्लभ पांडुलिपियाँ
  • शांत माहौल
  • डिजिटल संसाधनों और ई-जर्नल्स की उपलब्धता

यह लाइब्रेरी केवल किताबों का भंडार नहीं—एक सभ्यता का दस्तावेज़ है।

2. ऑडिटोरियम — 480 सीटों वाला बहुउद्देश्यीय सभागार

यहाँ सेमिनार, सांस्कृतिक कार्यक्रम, छात्र सम्मेलनों का आयोजन बखूबी होता है।

3. खेल सुविधाएं—किसान पुत्रों के सपनों को पंख

  • फुटबॉल मैदान
  • हॉकी मैदान
  • क्रिकेट ग्राउंड
  • मिनी स्टेडियम
  • जिमनैजियम
  • हॉर्स राइडिंग क्लब

4. लड़कियों के लिए विशेष व्यवस्था

  • अलग हॉस्टल
  • सुरक्षा प्रोटोकॉल
  • सशक्तिकरण कार्यक्रम
  • स्कॉलरशिप सहायता

यह देखकर दिल खुश हो गया कि लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान है।


भाग 5 : क्यों कहा जाता है कि यह “छोटा AMU” है?

क्योंकि—

  • अल्पसंख्यक छात्रों को प्राथमिकता
  • 98 से अधिक कोर्स
  • इंजीनियरिंग, मेडिसिन, कानून, कृषि, विज्ञान, प्रबंधन
  • शोध और कौशल विकास (डिजिटल मार्केटिंग, इस्लामिक बैंकिंग आदि)

लेकिन इसके बावजूद…
यह केवल मुस्लिम समुदाय के लिए नहीं है
यह सभी धर्मों के छात्रों के लिए समान अवसर प्रदान करता है।


भाग 6 : शिक्षा का आर्थिक पहलू—सबसे बड़ी सच्चाई

आज के समय में जहाँ निजी विश्वविद्यालय छात्रों पर भारी आर्थिक बोझ डालते हैं, वहाँ जौहर यूनिवर्सिटी 40% तक सस्ती है।

यह बात विशेष रूप से मेरे लिए महत्वपूर्ण थी—
क्योंकि किसान परिवारों के लिए शुल्क, किताबें, हॉस्टल—सब कुछ एक बड़ा मुद्दा होता है।

यही वजह है कि यहाँ पढ़ने वाला छात्र सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पाता है, बिना कर्ज़ के बोझ के।


भाग 7 : आज़म खान साहब—एक नेता से अधिक एक शिक्षक

उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा।

  • जन्म — 14 अगस्त 1948
  • AMU से 1974 में LLB
  • 9 बार विधायक
  • रामपुर से सांसद
  • कैबिनेट मंत्री
  • 1992 में समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य
  • गरीबों, रिक्शा चालकों, मजदूरों के बीच से नेतृत्व की शुरुआत

उनके जीवन में जितना संघर्ष है, उतनी ही शिक्षा की रोशनी है।

उन्होंने कहा:

“बच्चों के हाथ में कलम रहे। हम गलत नहीं थे, लेकिन कीचड़ में पत्थर फेंका गया।
फिर भी शिक्षा का यह दीप बुझने नहीं देंगे।”

उनकी बातों ने मुझे भीतर तक छू लिया।


भाग 8 : भविष्य की योजनाएँ — एक नई सुबह का खाका

  • मेडिकल कॉलेज (MBBS)
  • नर्सिंग स्कूल
  • नई इंजीनियरिंग शाखाएँ
  • अगले 5-10 वर्षों में 20,000 छात्र
  • 10,000+ रोजगार अवसर
  • सामाजिक सद्भाव और कौशल विकास

यह सब सुनकर लगा कि यूनिवर्सिटी नहीं, एक सामाजिक क्रांति अपने रूप ले रही है।


भाग 9 : लोकतंत्र, शिक्षा और मानवता—मेरी अंतिम सोच

भारत तभी आगे बढ़ेगा जब—

  • किसान शिक्षित होगा
  • मजदूर का बच्चा डॉक्टर बनेगा
  • पिछड़े का बच्चा वकील बनेगा
  • गरीब का बच्चा इंजीनियर बनेगा
  • और हर बच्चा मानवता का पाठ सीखेगा

जौहर यूनिवर्सिटी जैसे संस्थान भारत के भविष्य को गढ़ेंगे।


भाग 10 : उपसंहार — यह यात्रा मेरे लिए क्यों खास रही

यह यात्रा केवल एक मुलाकात नहीं थी।
यह आत्मिक अनुभव था।
यह शिक्षा के मंदिर में एक साधारण मनुष्य का प्रवेश था।
यह समझने की यात्रा थी कि—
जब नेता शिक्षा का किला खड़ा करते हैं, तो आने वाली पीढ़ियाँ मजबूत होती हैं।

मुझे गर्व है कि मैं उस दिन इस संस्था का साक्षी बना।
मुझे गर्व है कि मेरी बेटी को आज़म खान साहब का प्यार मिला।
मुझे गर्व है कि किसान एकता (संघ) की आवाज़ उच्च शिक्षा के द्वार तक पहुँची।
और सबसे बड़ा गर्व—
कि यह पूरी यात्रा मानवता, शिक्षा और इंसाफ के संदेश से भरी हुई थी।


अंतिम शब्द

देश तभी तरक्की करेगा जब—

हर बच्चा शिक्षित होगा,
हर परिवार जागरूक होगा,
और हर इंसान मानवता को सर्वोपरि मानेगा।

शिक्षा ही असली शक्ति है—
और यह यात्रा उसी शक्ति के दर्शन थी।

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