युवाओं में तेजी से बढ़ रहा डायबिटीज़ का खतरा: कोविड के बाद बढ़ी समस्या, यथार्थ अस्पताल ने शुरू की ओबेसिटी क्लिनिक


        मौहम्मद इल्यास- “दनकौरी” / नोएडा
डायबिटीज़ अब सिर्फ बुजुर्गों तक सीमित बीमारी नहीं रही। शहरों में बदलती जीवनशैली, तनाव, गलत खानपान और लगातार बढ़ते स्क्रीन टाइम के चलते यह बीमारी तेजी से युवाओं और बच्चों में फैल रही है। नोएडा के यथार्थ अस्पताल में विश्व मधुमेह दिवस (World Diabetes Day) के अवसर पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉक्टरों ने चिंता जताई कि ओपीडी में आने वाले हर पाँचवें मरीज को डायबिटीज़ की शिकायत है।

विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड महामारी के बाद डायबिटीज़ के मामले और बढ़े हैं, क्योंकि वायरस ने शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और पैंक्रियास दोनों को प्रभावित किया। इसके साथ ही महामारी के बाद की तनावपूर्ण जीवनशैली, असंतुलित खानपान और नींद की कमी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।


🔹 कोविड के बाद बढ़े डायबिटीज़ के केस

डॉ. मंजू त्यागी, सीनियर कंसल्टेंट और हेड, इंटर्नल मेडिसिन, यथार्थ अस्पताल, नोएडा ने बताया कि कोविड संक्रमण के बाद डायबिटीज़ के मामलों में अचानक वृद्धि दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा,

“कई युवाओं में कोविड के बाद ब्लड शुगर का स्तर असामान्य रूप से बढ़ा हुआ पाया गया। पैंक्रियास पर असर पड़ने के अलावा तनाव, असंतुलित भोजन और नींद की कमी भी प्रमुख कारण हैं।”


🔹 दिल्ली-एनसीआर में हर चौथा व्यक्ति डायबिटीज़ से प्रभावित

डॉ. प्रखर गर्ग, सीनियर कंसल्टेंट, इंटर्नल मेडिसिन, ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में करीब 25-26 प्रतिशत आबादी डायबिटीज़ से प्रभावित है। उन्होंने कहा कि अब कामकाजी महिलाएँ और युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।
उन्होंने सुझाव दिया कि —

“अगर लोग नियमित रूप से शुगर टेस्ट और हेल्थ चेकअप करवाएँ तो बीमारी को शुरुआती दौर में ही रोका जा सकता है। समय रहते पहचान और जीवनशैली में सुधार दवाओं की ज़रूरत को भी कम कर सकता है।”


🔹 स्क्रीन टाइम और मोटापा बने बड़ी चुनौती

डॉ. आशीष गुप्ता, कंसल्टेंट, एंडोक्राइनोलॉजी, ने बताया कि लंबे समय तक मोबाइल या कंप्यूटर पर काम करने से शरीर की गतिविधियाँ घटती जा रही हैं।
उन्होंने कहा,

“कम शारीरिक सक्रियता और बिगड़ा खानपान वजन बढ़ाता है, जो आगे चलकर डायबिटीज़ का खतरा बढ़ाता है। युवाओं में बढ़ता मोटापा आज सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर बन गया है।”


🔹 बच्चों में भी तेजी से बढ़ रहा खतरा

डॉ. पोटलुरी चेतन, कंसल्टेंट, पीडियाट्रिक्स, ने कहा कि आजकल बच्चों में मोटापा बहुत तेजी से बढ़ रहा है और यही कम उम्र में डायबिटीज़ का बड़ा कारण बन रहा है।
उन्होंने कहा,

“बच्चे जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक्स और ज्यादा स्क्रीन टाइम के कारण मोटे हो रहे हैं। माता-पिता को बच्चों को बाहर खेलने के लिए प्रेरित करना चाहिए और पौष्टिक भोजन पर ध्यान देना चाहिए।”

डॉक्टरों ने बताया कि बच्चों में लगभग 1 प्रतिशत डायबिटिक और 15 प्रतिशत प्रीडायबिटिक पाए जा रहे हैं — यानी भविष्य में इनमें डायबिटीज़ होने की संभावना ज्यादा है।


🔹 गर्भवती महिलाओं में भी चिंता बढ़ी

विशेषज्ञों ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में भी डायबिटीज़ के मामले 10 से 14 प्रतिशत तक पहुँच गए हैं। अगर ब्लड शुगर नियंत्रित न हो, तो बच्चे के विकास पर असर पड़ सकता है या समय से पहले डिलीवरी का खतरा रहता है।


🔹 यथार्थ अस्पताल ने शुरू की ओबेसिटी क्लिनिक

बढ़ते मामलों को देखते हुए यथार्थ अस्पताल, सेक्टर 110 नोएडा में एक विशेष ओबेसिटी क्लिनिक की शुरुआत की गई है।
डॉ. मंजू त्यागी ने बताया कि इस क्लिनिक में मरीजों को वजन नियंत्रण, खानपान सुधार, फिटनेस गाइडेंस और नियमित जांच की सुविधा दी जाएगी।
उन्होंने कहा,

“हमारा उद्देश्य सिर्फ इलाज नहीं, बल्कि लोगों को स्वस्थ जीवनशैली के लिए प्रेरित करना है।”


🔹 रोकथाम ही सबसे बड़ा इलाज

डॉ. गौतमी ए. वी., सीईओ, यथार्थ अस्पताल नोएडा सेक्टर 110, ने कहा कि अस्पताल में डायबिटीज़ के इलाज के साथ-साथ जागरूकता और रोकथाम पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा,

“हम हेल्थ कैंप, परामर्श सत्र और जीवनशैली सुधार कार्यक्रमों के ज़रिए लोगों को शिक्षित कर रहे हैं। समय रहते पहचान और सुधार ही डायबिटीज़ से बचाव का सबसे सटीक तरीका है।”


🔹 विशेषज्ञों की सलाह

परिवार में डायबिटीज़ का इतिहास हो तो हर छह महीने में शुगर टेस्ट करवाएँ

रोज़ाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें

जंक फूड और शुगर ड्रिंक्स से बचें

पर्याप्त नींद लें और तनाव को कम करें

बच्चों को सक्रिय जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करें


डायबिटीज़ अब उम्र नहीं देखती
डायबिटीज़ अब उम्र नहीं देखती — यह गलत जीवनशैली की देन है। यथार्थ अस्पताल की पहल युवाओं और बच्चों में इस बीमारी की रोकथाम की दिशा में एक अहम कदम है। जागरूकता, नियमित जांच और स्वस्थ दिनचर्या ही इस “साइलेंट किलर” को रोकने का सबसे प्रभावी उपाय है।

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